इंसेफेलाइटिस को लेकर जनजागरूकता का दिखा असर, मौतों की संख्या हुई आधी

Update:2018-08-30 10:38 IST

गोरखपुर: बीते वर्ष ऑक्सीजन कांड की घटना में हुई कई बच्चों की मौत के बाद प्रदेश सरकार ने शासन-प्रशासन सख्त हिदायत दी थी कि इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों का अच्छे से देख-रेख और बेहतर इलाज बीआरडी प्रशासन करे और इस बीमारी के विषय में सभी लोगों को जागरूक करें जागरूकता के काम में अफसर से लेकर कर्मचारी शुरू से लगे जिसका नतीजा बीते साल की तुलना में इस साल भर्ती मरीजों के साथ मौत की संख्या आधी हो गई है।

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इंसेफेलाइटिस को लेकर सरकार की चौकसी का असर साफ दिखने लगा है पिछले साल की तुलना में मरीजों की भर्ती व मौत की बात करें तो दोनों की तादाद आधी रह गई है। यदि दो-तीन साल पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो इस बार मौत एक-तिहाई या उससे भी कम रह गई हैं मरीजों के घटने की तादात की वजह जानकार जागरूकता को मान रहे हैं जबकि मौतें कम होने का कारण अस्पतालों की चुस्त-दुरुस्त हुई व्यवस्था को बता रहे हैं।

इंसेफेलाइटिस के तीन चौथाई से अधिक मरीज भर्ती होते हैं

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज जहां इंसेफेलाइटिस के तीन चौथाई से अधिक मरीज भर्ती होते हैं। वहां संसाधन बढ़ाए गए। बालरोग के वार्डों में बाल रोग के वार्डों में बेड़ों की तादाद 264 से बढ़कर 428 कर दी गई। इसमें 90 से अधिक आईसीयू बेड हैं वेंटिलेटर की संख्या 58 से71 मॉनिटर 41 से 102 वार्मर 16 से बढ़ाकर 78 कर दिया गया है। इसके अलावा इंसेफेलाइटिस के अति गंभीर मरीजों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 37 बेड का हाई डिपेंडेसी वार्ड भी बनाया गया है।

इस बार जब सरकार ने हर हाल में इंसेफेलाइटिस पर लगाम लगाने वह मौत रोकने के लिए प्रतिबद्धता जताई तो असर नीचे तक दिखाई दिया पूर्वांचल के प्रमुख चिकित्सा केंद्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तो डॉक्टर व संसाधन बढ़े ही, इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर के रूप में तब्दील किए गए गोरखपुर मंडल के 67 स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था भी दुरुस्त की गई। यहां तक कि कमिश्नर डीएम एडी हेल्थ सीएमओ दूसरे अफसरों ने 100 से अधिक बार निरीक्षण किया जिसमें अनुपस्थिति डॉक्टरों पर कार्यवाही की गई।

बच्चे ही इंसेफेलाइटिस से ज्यादा होते हैं प्रभावित

जागरूकता के काम में अफसर से लेकर कर्मचारी शुरू से लगे हैं क्योंकि इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे ही प्रभावित होते हैं। लिहाजा स्कूल पर सर्वाधिक फोकस किया गया हर स्कूल में एक शिक्षक को स्वास्थ शिक्षक बनाया गया जिम्मेदारी सौंपी गई कि वह प्रार्थना सभा में ही बच्चों को इंसेफ्लाइटिस वह दूसरी मच्छर जनित बीमारियों के कारण लक्षण व बचाव की जानकारी दें यह काम अनवरत चल भी रहा है।

इसके अलावा साफ सफाई व पेयजल के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। खराब पानी देने वाले देसी हैंडपंप पर लाल निशान लगाकर उनका इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जा चुका है। इंडिया मार्क-2 हैंडपंपों को लगाने व मरम्मत का काम भी जारी है।

वहीं, अपर निदेशक स्वास्थ्य गोरखपुर मंडल डॉक्टर पुष्कर आनंद ने बताया कि इंसेफेलाइटिस को लेकर सरकार सख्त हैं। मरीजों की संख्या कम करने के लिए जहां लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वही साफ सफाई व शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की कोशिश चल रही है। मौत रोकने के लिए डॉक्टर व स्टाफ की संख्या बढ़ाई गई है। चिकित्सकीय उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इसका असर है कि मरीजों की मौत की संख्या कम हुई है।

अगस्त तक भर्ती युवा मौत का ग्राफ

साल भर्ती मौतें

2018 575 63

2017 1120 120

2016 1182 205

2015 906 133

2014 1079 253

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