सुपरहिट के फेर में फंस गया भोला-भाला 'मंगलू', समाज के उपेक्षित वर्ग से स्वार्थ और झांसे की कहानी
Lucknow News: इन्द्रधनुष नाट्य समारोह की पांचवी संध्या में नाटक 'मंगलू' का मंचन हुआ। जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह समाज के उपेक्षित वर्ग को सफलता की सीढ़ी मानकर इस्तेमाल किया जाता है।
Lucknow News: संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से अपनी तरह का पहला सात दिवसीय नाट्य समारोह 'इन्द्रधनुष' का आयोजन हुआ है। गोमतीनगर के अकादमी परिसर स्थित संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में नाट्य मंचन किया जा रहा है। शुक्रवार (17 मार्च) को जी.पी.सिंह लाडी के लिखे 'मंगलू' नाटक का मंचन देहरादून की एकलव्य थिएटर की ओर से किया गया। जिसका निर्देशन अखिलेश नारायण ने किया। इस नाटक ने संदेश दिया कि समाज के उपेक्षित वर्ग के कल्याण का दिखावा कर अपना स्वार्थ नहीं सिद्ध करना चाहिए।
अकादमी के निदेशक, तरुण राज ने बताया कि शनिवार (18 मार्च) को नाटक 'किस्सा ए इनलाइटमेंट' का मंचन नई दिल्ली की नवरस संस्था की ओर से किया जायेगा। मनोज मिश्र के लेखन और निर्देशन में नाट्य मंचन होगा।
क्या है मंगलू की कहानी?
'मंगलू' एक व्यंग्य नाटक है। जिसमें दर्शाया गया है कि नाटक कम्पनी का निर्देशक सोनी, नाटक के लिए मंगलू नाम के युवक का चयन करता है। मंगलू, वास्तव में एक सफाईकर्मी होता है। आयोजक इसे मीडिया में सनसनी बनाकर अपना शो हाउसफुल करना चाहते हैं। मंगलू इन सब से अंजान रहता है। सफाईकर्मी के चयन पर नाटक में अभिनय कर रहा दूसरा कलाकार सईद, खफा हो जाता है। आखिरकार नाटक कंपनी की लीड एक्ट्रेस रानू, उसे विलेन का अभिनय करने के लिए मना लेती है। दरअसल, रानू, सईद की प्रेमिका होती है। सोनी, रानू को भी यह कहकर मनाता है कि उनका नाटक देखने फिल्म इंडस्ट्री के प्रोड्यूसर आएंगे जिससे उन्हें भी चांस मिलेगा।
भोले-भाले मंगलू की प्रेम कहानी
रिहर्सल में भोला-भाला मंगलू ऐसी हरकतें करता है जिससे हास्य उत्पन्न होता है। क्योंकि, वह न तो अभिनेता है और न ही कभी बड़े लोगों के साथ रहा होता है। मंगलू के लिए अभिनय की चुनौती इसलिए भी बड़ी हो जाती है क्योंकि उसे रानू के प्रेमी का किरदार दिया जाता है। रानू जैसी खूबसूरत युवती से वह सपने में भी प्यार की नहीं सोच सकता था। ऐसे में सोनी, अपने नाटक को सफल बनाने के लिए मंगलू से कहता है कि रानू उससे सच में प्यार करती है। बेचारा मंगलू उसके झांसे में आ जाता है। सुनहरे कल के सपने संजोने लगता है। एक दिन मंगलू रानू को अकेला पाकर उसे शादी के लिए प्रपोज कर देता है। इससे रानू अपना आपा खो बैठती है और उसे बुरा भला कहती है। दूसरी ओर, सईद भी उसे मारने दौड़ता है। दोनों में हाथापाई होने ही वाली होती है कि सोनी आकर बीच-बचाव करता है। लोगों को इस बात के लिए रजामंद कर लेता है कि शो देखने फिल्म जगत के नामी प्रोड्यूसर आ रहे हैं। ऐसे में परिस्थितियों को बिगड़ने न दिया जाए।
क्या उपेक्षित वर्ग के लोग होते हैं सफलता की सीढ़ी?
अगले दिन ग्रैंड रिहर्सल में मंगलू शराब पीकर आकर सईद को मारने की धमकी देता है। कहता है 'वह रानू से शादी करेगा। वह रानू से प्यार करता है। यह सब झगड़ा वहां आमंत्रित प्रोड्यूसर देख लेता है। उसे नाटक का हिस्सा समझ कर मंगलू के अभिनय की तारीफ करता है। वह उससे इतना अधिक प्रभावित हो जाता है कि उसे अपनी अगली फिल्म के लिए चयनित कर लेता है। दरअसल, वह भी समाज के उपेक्षित वर्ग पर ही फिल्म बनाना चाहता है। नाटक के इस चरम बिंदु पर पहुंच कर मंगलू कहता है कि वह समझ गया है कि उसके जैसे लोगों को केवल सफलता की सीढ़ी बनाया जाता है। इससे उपेक्षित वर्ग का भला न होकर केवल सम्पन्न वर्ग के स्वार्थ ही फलीभूत होते हैं। ऐसे में अब वह उनके स्वार्थ के खातिर अपना उपयोग नहीं होने देगा। वह सभी प्रस्तावों को नकार कर चला जाता है।