27 सालों से सोलह श्रृंगार कर घूम रहा है ये आदमी, वजह जान खड़े हो जाएंगे रोंगटे

मौत के खौफ ने एक आदमी को स्त्री के रूप में रहने को मजबूर कर दिया है। माता-पिता, पत्नी, भाई और दो-दो बेटे-बेटि‍यों समेत परिवार के कई लोगों की मौत से डरा यह व्यक्ति सोलह श्रृंगार करकर रहता है।

Update:2019-11-05 15:54 IST

लखनऊ: मौत के खौफ ने एक आदमी को स्त्री के रूप में रहने को मजबूर कर दिया है। माता-पिता, पत्नी, भाई और दो-दो बेटे-बेटि‍यों समेत परिवार के कई लोगों की मौत से डरा यह व्यक्ति सोलह श्रृंगार करकर रहता है।

यह आदमी 27 सालों से मौत के डर से प्रतिदिन एक दुल्हन की तरह लाल साड़ी, बड़ी नथुनी, चूड़ियां और झुमका पहनता। इस व्यक्ति का नाम चिंताहरण है और इसकी शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जलालपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला है चिंता हरण चौहान।

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जब चिंताहरण की उम्र 21 साल हो गई है तो वह पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर चला गया और वह वहां एक ईंट भट्टे पर काम करने लगा। वह वहां पर मजदूरों के भोजन के लिए अनाज खरीदने का काम करने लगा।

जिस दुकान से चिंताहरण सामान खरीदता है उसने उस दुकानदार की बेटी से शादी कर ली। परिवार ने इस शादी पर आपत्ति जताई तो चौहान ने अपनी बंगाली पत्नी को तुरंत छोड़ दिया और घर वापस आ गया। इससे दुखी होकर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली। एक साल बाद चौहान जब वहां गया तो उसे इसकी जानकारी मिली।

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उसके बाद वह वापस लौट आया और उनके परिवार वालों ने उसकी तीसरी शादी कर दी, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही चिंताहरण बीमार हो गए। इसके साथ ही उनके घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। चिंताहरण के मुताबिक उसके पिता राम जीवन, बड़ा भाई छोटाउ, उसकी पत्नी इंद्रावती और उसके दो बेटे, छोटा भाई बड़ाऊ और तीसरी पत्नी से तीन बेटियां व चार बेटों की मौत हो गई।

चिंता हरण ने बताया कि उनकी मृतक बंगाली पत्नी हमेशा उनके सपने में आती थी और चिंताहरण से धोखे पर रोती थी। परिवार के सदस्यों की मौत से चिंताहरण टूट गया था।

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इसके बाद उसने एक दिन सपने में मृतक बंगाली पत्नी से उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को बख्श देने के लिए विनती की। तब मृतक बंगाली पत्नी नेकहा कि मुझे सोलह सिंगार के रूप में अपने साथ रखो, तब सबको बख्श दूंगी।

इसी डर से चिंताहरण 27 सालों से सोलह श्रृंगार करके एक महिला के वेश में जी रहा है। फिलहाल चिंता हरण के दो बेटे दिनेश और रमेश जिंदा हैं जो अपने पिता के साथ काम करते हैं।

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