बहराइच: द्वापर युग की तरह कलयुग में भी कई ऐसी यशोदा मां हैं जो दूसरे के नौनिहालों को ममता की छांव दे रही हैं। डॉ. बलमीत कौर भी उनमें से एक हैं, जिनके आंगन में छह दिव्यांग बच्चे अपना भविष्य संवार रहे हैं। डॉ. कौर इन बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी सिखा रहीं हैं।
दिव्यांग बच्चों के दर्द को महसूस किया
-बहराइच के कानूनगोपुरा मोहल्ला निवासी डॉ, बलमीत कौर के घर के आसपास कई दिव्यांग बच्चे रहते थे।
-इन बच्चों की दिव्यांगता डॉ. बलमीत को बचपन से ही सोते-जागते कचोटती थी।
-डॉ. बलमीत ने साल 1992 में पोस्ट ग्रेजुएशन, इसके बाद पीएचडी किया।
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-लखनऊ के एनसी चतुर्वेदी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का प्रशिक्षण लिया।
-इसके बाद डॉ. बलजीत अपने घर में दिव्यांग स्कूल का संचालन करने लगीं।
बच्चे जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया
-शुरुआत में डॉ बलमीत कौर ने महज 5 बच्चों से अपने लक्ष्य का कारवां शुरू किया।
-आज उनके इस स्कूल में 85 मूक बधिर और 35 मंदबुद्धि बच्चे अपना जीवन संवार रहे हैं।
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नहीं की शादी
-इन बच्चों को डॉ. बलमीत कौर अविवाहित रहकर आत्म निर्भर बनाने में जुटी हुई हैं।
-इसके अलावा 6 बच्चे डॉ. बलमीत कौर के साथ उनके घर में रहकर जीने की कला सीख रहे हैं।
-ये बच्चे दूसरों के हैं लेकिन डॉ. कौर ही इनकी अब मां हैं।
मां-बाप ने डॉ. कौर को सौंपी अपनी बिटिया
-थाना कैसरगंज के खजुहा पट्टी गांव निवासी अनिल सिंह मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
-8 साल पहले अनिल सिंह के घर एक बेटी अंशिका ने जन्म लिया।
-अंशिका जन्म से ही मूक बधिर थी।
-अंशिका जब 6 साल की हुई तो उसके पिता और मां पुष्पा को बेटी के भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी।
-साल 2014 में अंशिका के मां-बाप ने डॉ. कौर को लिखित रुप से बेटी अंशिका को सौंप दिया।
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-अब अंशिका के लिए डॉ. कौर ही उसकी मां हैं।
-डॉ कौर ने अंशिका को पढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है।
इन बच्चों के लिए डॉ, कौर बनीं यशोदा मइया
-डॉ. कौर के साथ लखीमपुर जिले की रहने वाली सगी बहनें शालू (6) और गरिमा (8), कैसरगंज निवासी प्रांशू (12), विकास(2), आशुतोष (14),अंशिका (8) उनके घर में रहती हैं।
-डॉ. कौर ही इन बच्चों के खान-पीने, रहन-सहन और अन्य जरुरी चीजों का इंतजाम करती हैं।
-डॉ. कौर जब भी किसी शादी समारोह या अन्य किसी जगहों पर जाती हैं तो बच्चों को जरुर ले जाती हैं।
24 सालों में 20 बच्चों को बनाया आत्मनिर्भर
-साल 1992 में बाराबंकी निवासी टैली जायसवाल को डॉ. बलमीत कौर ने गोद लिया था।
-वह मूक बधिर और मंदबुद्धि थी।
-अब टैली की शादी हो चुकी है और उसके बच्चे भी हैं।
-टैली अपने परिवार को बखूबी चला रही है।
-इन 24 सालों में 20 बच्चों को डॉ. कौर ने एक मां का प्यार-दुलार दिया।
-उन्हें मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया है।