Bihar News: इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक, कई सालों से नवरात्र पर आधी आबादी के लिए नो इंट्री
Women Entry Ban Temple in Bihar: यह मंदिर है नालंदा के जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से करीब 16 किलोमीटर दूर घोसरावां गांव में स्थित मां आशा देवी की
Bihar News: बिहार में बुद्ध की धरती के नाम से मशहूर नालंदा में एक ऐसा मंदिर जहां नवरात्र में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो चुकी है। मंदिर के गर्भगृह तो क्या परिसर में भी एक महिला नहीं दिखी। यह मंदिर आज पूरे देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मंदिर है नालंदा के जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से करीब 16 किलोमीटर दूर घोसरावां गांव में स्थित मां आशा देवी की। शारदीय नवरात्र में 9 दिन महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहने की परंपरा सालों से चली आ रही है। नवरात्रि की समाप्ति के बाद ही महिलाएं मंदिर में पूजा अर्चना करती हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा अर्चना करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां आशापुरी मंदिर को आसाथान के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर के पुजारी का कहना है कि नवरात्र में माता की विशेष पूजा की जाती है। तंत्र पूजा होती है। सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा का लोग आज भी निर्वहन कर रहे हैं। दूर-दूर से कई तांत्रिक इस जगह पर आकर सिद्धिया प्राप्त करते हैं। इसी वजह से नवरात्र के अवसर पर नौ दिनों तक इस मंदिर में महिलाओ के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी जाती है। मंदिर में देवी मां की दो मूर्तियों के अलावे शिव पार्वती और भगवान बुद्ध की कई मूर्तिया है। ये मूर्तियां पाल कालीन बताई जाती है।
मंदिर परिसर के अंदर गर्भगृह में अति प्राचीन पालकालीन अष्टभुजी मां आशापुरी की प्रतिमा स्थापित है। इसकी स्थापना मगध सम्राज्य के पाल काल की मानी जाती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार यहां सबसे पहले राजा घोष ने पूजा की थी। तब यह एक गढ़ हुआ करता था। इसपर मां आशापुरी विराजमान थीं। उसी गढ़ पर मां का मंदिर बना हुआ है। राजा घोष के कारण ही गांव का नाम घोसरावां रखा गया। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय के छात्र यहां पर आकर पढ़ाई करते थे और मां के दरबार में पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते थे।