बुलंदशहर हिंसा: आरोपी गिरफ्तार, इलाके में तनावपूर्ण शांति, जानें आजम खान ने क्या कहा..

Update: 2018-12-04 07:23 GMT

मेरठ: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के स्याना गांव में सोमवार को गोहत्‍या की अफवाह के बाद फैली हिंसा के मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार ने आज बताया कि बुलंदशहर हिंसा के मामले में तीन लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।

घटना के शेष नामजद और अज्ञात अभियुक्तों की गिरफ्तारी केलिए दबिशें जी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल घटनास्थल क्षेत्र में पूरी तरह शांति है। हालति एहतियात के तौर पर वहां पर अतिरिक्त पुलिस तैनात कर दी गई है।

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एडीजी ने बताया कि हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। इस जांच में यह पता लगाया जाएगा क्‍यों हिंसा हुई और क्‍यों पुलिस अधिकारी इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार को अकेला छोड़कर भाग गए। इस मामले में पुलिस ने कुल 27 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में आरोपी योगेश राज बजरंग दल का जिला संयोजक बताया जा रहा है। बता दें कि सोमवार को भीड़ के हमले में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार शहीद हो गए थे।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनको गोली लगने (बुलेट इंजरी) की पुष्टि हुई

एडीजी के मुताबिक इंस्पेक्टर सुबोध की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनको गोली लगने (बुलेट इंजरी) की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक बुलेट उनकी बाईं भौंह से होते हुए सिर के अंदर चली गई। उन्होंने बताया कि घटना में मारे गए सुमित पुत्र अमरजीत निवासी चिंगरावठी का भी पोस्टमाटर्म हो गया है। पोस्टमाटर्म रिपोर्ट में उसकी मृत्यु का कारण गोली लगने से बताया गया है। इससे पहले आज सुबह शहीद इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी दी गई। जिसके बाद इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार के शव को अंतिम संस्‍कार के लिए उनके गृह जनपद एटा के लिए ले रवाना किया गया।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर में गोकशी की अफवाह के बाद हुई हिंसा पर दुख व्यक्त किया और उस हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी को 40 लाख रुपये और माता-पिता को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने दिवंगत इंस्पेक्टर के आश्रित परिवार को असाधारण पेंशन तथा परिवार के एक सदस्य को मृतक आश्रित के तौर पर सरकारी नौकरी देने का भी ऐलान किया।

एडीजी के मुताबिक...

एडीजी के मुताबिक सोमवार सुबह गोवंश के काटे जाने की सूचना मिली थी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची। गांव के लोगों ने आक्रोशित होकर रोड जाम कर दिया। महाव और चिगलवाली समेत तीन गांवों के लोग वहां पर मौजूद थे। ग्रामीणों की शिकायत थी कि खेत में गोवंश के अवशेष पाए गए थे। उनको कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया था लेकिन गांववाले ट्रैक्टर पर अवशेष लादकर लाए और मेन रोड ब्लॉक कर दिया। विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस बल ने लाठीचार्ज कर दिया।'

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उन्होंने आगे बताया, 'गोवंश का मांस मिलने पर गांववाले उत्तेजित हो गए। शुरुआत में पुलिस से बातचीत के दौरान ग्रामीण सहमत हो गए लेकिन बाद में वह फिर से उत्तेजित हो गए। ग्रामीणों ने पुलिस चौकी पर पथराव कर दिया। तीन गांव के करीब 400 लोग वहां मौजूद थे। बवाल के दौरान 15 वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया। कई गाड़ियों को आग लगा दी गई। हमले में इंस्पेक्टर के सिर पर पत्थर लगा। यह पूरा घटनाक्रम दोपहर 12 बजे का है। पथराव भी हुआ है और आगजनी भी हुई है। गोहत्या के सबूत अभी नहीं मिले हैं। गोकशी का आरोप और हिंसा दोनों की जांच के लिए आईजी रेंज मेरठ की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की गई है। तीन से चार सदस्य एसआईटी में होंगे।

जानें आजम खान ने क्या कहा...

बुलंदशहर शहर में पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत पर बोलते हुए सपा नेता अजाम खान ने कहा कि दो मौतें हुई हैं, एक इंस्पेक्टर की हुई है और एक आमजन की हुई है और जो बात सुनने में आ रही है और अगर में इस बात को जुबान से कहूँगा तब भी माहौल खराब होगा। एसआईटी अगर जाँच करेगी तो उसे यह जाँच भी करनी चाहिए कि आखिर इस काबिले एतराज गोश्त को यहाँ लाया कौन था या यह काम किया किसने था? क्योंकि वहाँ तो दूर-दूर तक अकलियते फिक्र की आबादी नहीं है और इस सारी भीङ में कोई शख्स ऐसा नहीं है और अभी तक कोई सुराग भी नहीं है। क्योंकि लोग इज्तमा से लोग लौट रहे थे और यह विवाद भी बहुत खतरनाक शक्ल इख्तियार कर सकता था। तो हो सकता है यह विवाद भी कम का हो जाता।

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आजम खान ने कहा कि मृतक इंस्पेक्टर अखलाक लॉन्चिंग केस के आईओ रह चुके थे इस लिए एसआईटी की जिम्मेदारी और भी अधिक हो जाती है। जी अखलाक मर्डर में यह गवाह थे... आईओ थे इनवेस्टिगेशन ऑफिसर थे तब तो एसआईटी की और ज्यादा जिम्मेदारी बढ़ जाती है। एसआईटी की जिम्मेदारी में जो वीडियो वायरल हुआ है अभी थोड़ी देर पहले और उसमें जो जुमले इस्तेमाल हुए हैं उन लोगों से भी पूछताछ होनी चाहिए जिन्होंने आईओ और इंस्पेक्टर की शिनाख्त की है और पहचाना है कि यह वही हैं।

कैसे यह कह दिया जाये कि एसआईटी की जाँच निष्पक्ष होगी

अब एसआईटी के बारे में बहुत कुछ कहा नहीं जा सकता कि कितनी उसकी प्रमाणिकता है। यह पुलिस के अफसरान उसमें होते हैं यही सीबीआई में होते हैं। अब इन जाँच एजेंसियों का जो हश्र हुआ है बह किसी से छिपा तो है नही अब कैसे यह कह दिया जाये कि एसआईटी की जाँच निष्पक्ष होगी जब सीबीआई ही निष्पक्ष नही कही जा रही है। लेकिन हां बहुत खैरियत हो गई उस बक्त उस हादसे के बाद बहुत कंट्रोल है। पुलिस ने अब यह हालात आगे भी कंट्रोल रहे यह एक चुनौती है|

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