तीस हजारी कोर्ट: दिल्ली में अधिवक्ताओं पर हमले का विरोध
दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण किए गए जानलेवा हमले के विरोध में सोमवार को हाईकोर्ट के वकीलों ने न्यायिक कार्य नहीं किया। पुलिस द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता आज पूरी तरह से न्यायिक कार्य से विरत रहे।
प्रयागराज। दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण किए गए जानलेवा हमले के विरोध में सोमवार को हाईकोर्ट के वकीलों ने न्यायिक कार्य नहीं किया। पुलिस द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता आज पूरी तरह से न्यायिक कार्य से विरत रहे। वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य प्रभावित रहा।
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घटना पर आक्रोश जताते
अदालतें सुबह अपने अपने कोर्ट में बैठीं, लेकिन वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते जज उठकर अपने अपने चेम्बरांे में चले गए। जिसके फलस्वरूप कोर्ट में काम नही हो सका। इससे पूर्व वकीलों ने आमसभा भी की। जिसमें घटना पर आक्रोश जताते हुए उसकी घोर निन्दा की गयी।
कहा गया कि पुलिस का कृत्य हिंसक और अपमानजनक है। साथ ही साथ पुलिस ने आपराधिक कार्य किया है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय ने कहा कि अधिवक्ता समाज इस प्रकार के कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगा।
महासचिव जे पी सिंह ने कहा कि सरकार तत्काल ही एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल लागू करे। उन्होंने कहा की सरकार को इस आशय का पत्र लिखकर अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की जाएगी।
आमसभा में कार्यकारिणी के प्रियदर्शी त्रिपाठी, आशुतोष पाण्डेय, आंचल ओझा, नीलम शुक्ला, सर्वेश कुमार दुबे समेत तमाम पदाधिकारी और सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल थे। सभा के अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि सोमवार को न्यायिक कार्य नहीं किया जाएगा। इसके फलस्वरूप वकीलों ने काम नहीं किया।
वकीलों ने नहीं किया न्यायिक कार्य, सुभाष चैराहे पर प्रदर्शन
तीस हजारी न्यायालय में अधिवक्ताओं पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का समर्थन करते हुए लायर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने भी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी घोर निंदा की है।
अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह कलहंस और महासचिव मनीष द्विवेदी ने संयुक्त रूप से कहा कि लगातार अधिवक्ताओं के साथ हो रहीं घटनाएं बेहद निंदनीय हैं। ऐसे में जिम्म्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाई की जानी चाहिए। केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार तत्काल अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाकर लागू करे।
इस मौके पर कमलदेव पांडेय, राजेश शुक्ल, मान सिंह वर्मा, पंकज शर्मा, गौरी शंकर, संजय शुक्ला, नागेंद्र त्रिपाठी आदि रहे। उधर कुछ अधिवक्ताओं ने सुभाष चैराहे पर पहुंचकर अधिवक्ताओं पर हुए हमले की निन्दा करते हुए प्रदर्शन किया। उ
नकी मांग थी कि संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अधिवक्ताओं ने सरकार विरोधी नारे भी लगाए। अधिवक्ताओं की मांग थी कि दोषियों की गिरफ्तारी कर जेल भेजा जाए। वहीं राजस्व परिषद बार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं ने सोमवार को न्यायिक कार्य नहीं किया।
तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं के साथ हुई घटना के विरोध में एसोसिएशन के अध्यक्ष हर्ष नारायण शर्मा और महासचिव डा. बालकृष्ण पाण्डेय की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें सर्वसम्मति से वकीलों ने न्यायिक कार्य नहीं किया। इस मौके पर मनीष कुमार पाण्डेय, विजय शंकर तिवारी, सुमन जायसवाल, सुधांशु पाण्डेय, मनोज मिश्रा आदि रहे।
बार कौंसिल ने की घायल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिए जाने की मांग
उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के अध्यक्ष अधिवक्ता हरिशंकर सिंह ने सोमवार को पत्रकार वार्ता कर तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं पर हुए हमले की भत्र्सना की। श्री सिंह ने कहा कि कुछ दिन पूर्व मेरठ के अधिवक्ता मुकेश कुमार शर्मा की हत्या, घाटमपुर कानपुर के अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह सिसौदिया की हत्या, एटा की अधिवक्ता एपीओ नूतन यादव की हत्या, प्रतापगढ़ के अधिवक्ता ओम मिश्रा की हत्या तथा प्रयागराज के अधिवक्ता सुशील पटेल की हत्या, आगरा कचहरी परिसर में पूर्व बार कौंसिल अध्यक्ष कुमारी दरवेश सिंह की हत्या, शामली में गुलजार अहमद की हत्या, इलाहाबाद में गौसनगर करेली के अधिवक्ता मो. इदरीस की हत्या की गयी है।
इससे पूरे प्रदेश के अधिवक्ता सहम गए हैं। उन्होंने कहा कि दो नवम्बर को दिल्ली में अधिवक्ताओं को पुलिस वालों ने बुरी तरह से पीटा और फायरिंग की, जिसमें कई अधिवक्ताओं को गंभीर चोटें आयी हैं। जिसमें शासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
अध्यक्ष ने कहा कि इसके विरोध में 8 नवम्बर को अधिवक्ता विरोध दिवस मनायेंगे। अध्यक्ष ने मांग की है कि तीस हजारी कोर्ट में घायल अधिवक्ताओं को दस लाख रूपये मुआवजा दिया जाए।
दोषी पुलिस वालों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाए। अधिवक्ता भविष्य निधि की धरराशि 1.25 लाख से 5 लाख किया जाए। अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाए।
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