महेश कुमार शिवा
सहारनपुर: भले ही हम रोजाना स्वच्छ भारत मिशन के तहत संकल्प लेते रहे कि हम अपने आसपास के इलाके को स्वच्छ बनाएंगे, लेकिन ग्रामों में यह हकीकत कोसों दूर नजर आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण कराने के प्रति ग्राम प्रधान और अन्य अधिकारी कितने गंभीर है, इसका उदाहरण सहारनपुर जनपद के नागल विकासखंड में दिखता है। इस विकासखंड के अधिकतर गांवों में स्वच्छता अभियान एवं शौचालय के नाम पर प्रधान और ग्राम सचिवों ने जमकर धांधली की है। ग्राम प्रधानों ने शौचालय निर्माण के नाम पर लाखों रुपये डकार लिए, लेकिन हकीकत में शौचालय बना ही नहीं।
विकासखंड के ग्राम जौला डिन्डौली, नगली मेहनाज, कुकावी एवं गागंनौली में प्रधानपति व सचिव मिलकर शौचालय का धन डकार गए। गांव में ऐसे लोगों के भी शौचालय का निर्माण दिखाकर पैसा हजम कर लिया जो बरसों पूर्व गांव से चले गए अथवा जिनकी मृत्यु हो गई। जौला डिन्डौली गांव में शौचालय निर्माण में जमकर गड़बड़ी हुई। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने डीएम समेत उच्चाधिकारियों से की तो डीएम ने जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक को इसकी जांच सौंप दी। उन्होंने अपने अधीनस्थ एएस पाठक को 4 सितंबर 2017 को मौके पर भेजकर जांच कराई। ग्रामीणों ने कई सालों से जो लोग गांव से बाहर रह रहे हैं, उनके नाम पर अनेक शौचालय बनाए गए हैं तथा कुछ पुराने शौचालयों पर पेंट आदि कर उसे नया रूप दिया गया है। जांच के समय लाभार्थियों ने आरोप लगाया कि शौचालय बनवाने के नाम पर उनसे प्रति लाभार्थी 1000 तक रुपये वसूले गए हैं। कुछ शौचालय बनाने वाले राजमिस्त्री भी जांच अधिकारी के सामने आए जिन्होंने लिखकर दिया कि उन्हें काम के बदले पैसे का भुगतान नहीं हुआ और न ही उनके हस्ताक्षर हैं।
यही नहीं प्रधान व सचिव ने 568 शौचालय पास कराकर उनका 68 लाख रुपया शासन से स्वीकृत कराया। इसी दौरान गांव के लोगों ने प्रधान सचिव से आय-व्यय का ब्योरा मांगा तो सचिव ने सरसावा के नथमलपुर गांव में 2 फरवरी 2017 को 4 लाख 92 हजार तथा 22 फरवरी 2017 को 9 लाख 60 हजार का चेक काटकर पैसा ट्रांसफर कर दिया। आरोप है कि उसके बाद में उस पैसे को वहां से आहरित कर उसका गबन कर लिया गया। इस संबंध में तत्कालीन एडीओ पंचायत से जानकारी की गई तो उनका कहना था कि अगर किसी गांव में लक्ष्य से अधिक पैसा आ जाए तो उसे उसी हेड में वापस किया जाता है। अन्य दूसरे ब्लॉक में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। इस संबंध में तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी दीपक मीणा के द्वारा 27 मई 2016 को भी गांव के विकास कार्यों की जांच कराई गई थी, जिसमें लाखों का घोटाला मिलने पर तत्कालीन सचिव देशराज व प्रधान के विरुद्ध करीब 18 लाख हजार की आरसी जारी कीगई थी। आरसी के दौरान ग्राम सचिव देशराज की हार्टअटैक से मौत हो गई। उसके बाद उक्त रिकवरी के बारे में ना तो कोई गांव का व्यक्ति जानता है ना ही खंड विकास कार्यालय का कोई अधिकारी बताने को तैयार है।
सीएम से शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं
गांव के ही संदीप कुमार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराते हुए शौचालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। उस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीएम पोर्टल पर एक शिकायत के आठ रिमाइंडर देने के बाद आज तक शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिल सकी। संदीप कुमार का कहना है कि शौचालय गांव में अभी भी अपूर्ण है। गांव में 450 शौचालय का निर्माण हुआ। गांव में 430 शौचालय मौके पर निर्मित हैं। जो बने भी हुए हैं वे अपूर्ण हैं। 20 ऐसे लोगों के शौचालय कागजों में बने हैं जो गांव में रहते ही नहीं जबकि कुछ लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मस्टर रोल में नाम अंकित पुत्र तेजपाल का लिखा हुआ है मगर भुगतान शमशाद ताजपुर के नाम के व्यक्ति को किया हुआ हैं।
भौतिक सत्यापन में मिलीं तमाम खामियां
लोहिया ग्राम जोला डिंडोली में बनाए गए शौचालयों की अनियमितता के कारण अनेक बार शिकायत हुई। जांच अधिकारी ने मामले की गंभीरता से लेते हुए शौचालयों का भौतिक सत्यापन किया। इस दौरान उन्हें भारी खामियां देखने को मिलीं। कई स्थानों पर शौचालय के गड्ढे ही नहीं मिले तो कई स्थानों पर पुराने शौचालय को ही पेंट इत्यादि कर नया दिखाया गया। कुछ अपात्र लोगों के यहां शौचालय बनवाकर गांव से बाहर रहने वाले लोगों तथा मृतकों के नाम पर पैसा निकाला गया। ग्रामीणों ने मौके पर आरोप लगाया कि उनसे प्रति शौचालय 300 से लेकर 1000 की वसूली की गई है। जांच अधिकारी एएस पाठक ने बताया कि मामले की रिपोर्ट जिला अधिकारी को सौंपी जाएगी।
गांववासी ओमकुमार, संदीप, अशोक कुमार, रश्मि, राम सिंह, मामचंद, सोनू सिंह, राजपाल, राजेश, जोगेंद्र सिंह, कंवरपाल व छोटा आदि ने जांच अधिकारी के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाएं। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में शौचालय निर्माण में धांधली की गई है। गांव में लंबे समय से बाहर रह रहे गगन, सोलर, नरेश एवं धर्मवीर सरकारी सेवाओं में कार्यरत राम गोपाल व राकेश तथा चार पहिया वाहन स्वामी शीशपाल, मांगा, नवाब, शील चंद, प्रताप, कंवरपाल, ओमपाल एवं लोकेश आदि के नाम पर शौचालय बनाकर धन निकाल लिया गया। कुछ पुराने शौचालय को पेंट इत्यादि कर नए का रूप देकर धन की बंदरबांट हुई है। शौचालय में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया है।
निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं
इसके अलावा ग्राम गांगनौली में भी शौचालय की भारी शिकायत है। गांव में पात्र व्यक्तियों को छोडक़र अपात्र व्यक्तियों के शौचालय बनाए गए हैं जिनमें से कुछ शौचालय अभी भी अधूरी हालत में हैं। गांगनौली के रणवीर सिंह ने बताया कि धर्म सिंह, सोमपाल, बाला, शब्बीर के शौचालय अर्ध निर्मित हैं। शौचालय निर्माण एवं उनके गड्ढों में दोयम दर्जे की ईंटों का प्रयोग किया गया है। इतना ही नहीं लाभार्थी के खाते में शौचालय का पैसा स्थानांतरित नहीं हुआ है। गांव में विनोद, विक्रम, मंगलू, कुड़ी, प्रभा, हरपाल, राजपाल,रवि, सुशील कुमार, शिवकुमार, सुरेशो, कमल किशोर को पात्रता की श्रेणी में रखते हुए भी इनके शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया है।
पुराने को नया दिखाकर डकारी रकम
एक अन्य गांव नगली मेहनाज एवं कुकावी में भी शौचालय निर्माण को लेकर गांव की लहरी ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की है। गांव में लल्लू, निरंजन, सेवा के पुराने शौचालय को ही उखाडक़र दोबारा से नया शौचालय दिखाकर भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। इनकी छतों पर आज भी पुरानी टॉयलेट की शीट रखी हुई देखी जा सकती है। ग्राम नगली मेहराज में अभी भी दर्जनभर शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं। गांव कुकावी में भी अन्नु के यहां भी शौचालय निर्माण कार्य के दो दिन बाद ही धराशायी हो गया था।
इसके अतिरिक्त पवन कुमार कश्यप, जोगेन्दर कश्यप, सकटु, गिरवर,गोपाल, इन्दरपाल, ईश्वर कश्यप, हरिपाल आदि के शौचालयों में भी घटिया किस्म की निर्माण सामग्रियों का प्रयोग किया गया है। कुछ शौचालयों के इस्तेमाल ना होने के कारण गोबर के उपले घासफूस उगी हुई देखी जा सकती है। जो आवश्यकता ना होने के बावजूद धन की बंदरबांट करने के कारण ग्राम प्रधानों ने उक्त शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है जबकि पात्रता की श्रेणी रखने वाले व्यक्ति आज भी बिना शौचालय के खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
जांच रिपोर्ट दबाए बैठे हैं अफसर
गांव जौला डिन्डौली में ग्राम प्रधान एवं सचिव के प्रथमदृष्टया दोषी करार सिद्ध होने के बावजूद अफसर एक साल से ज्यादा जांच रिपोर्ट दबाए बैठे हैं। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जांच अधिकारी ने मौके पर शिकायतकर्ता एवं ग्रामीणों से कहा था कि प्रथम दृष्टया जांच में प्रधान एवं सचिव दोषी हैं।भौतिक सत्यापन में जांच अधिकारी ने गांव वालों को आश्वस्त किया था कि इसकी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी सहारनपुर को प्रेषित कर दी जाएगी, किंतु जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जांच रिपोर्ट आज तक दबाए हुए है।
कोई जांच रिपोर्ट जिला पंचायत राज अधिकारी अथवा मुख्य विकास अधिकारी अथवा जिलाधिकारी कार्यालय को दर्जनों अनुस्मारक पत्र भेजने के बावजूद आज तक अपनी जांच रिपोर्ट नहीं प्रेषित किया है। जिलाधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि जिन गांवों में शौचालय निर्माण में ग्राम प्रधान अथवा ग्राम सचिव द्वारा धांधली बरती गई है, उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जांच अधिकारी को भी तलब किया जाएगा कि उन्होंने अभी तक भी अपने जांच रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी है।