Lucknow: दीवाली के दूसरे दिन लगता है जमघट, आज खूब लड़ेंगे पेंच, पतंग की दुकानों पर उमड़ी भीड़
Lucknow: दीवाली के दूसरे दिन जमघट से दो अलग-अलग मान्यताओं के साथ 'गोवर्धन' पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन लोग पतंगबाजी भी खूब करते हैं ।;
दीवाली के दूसरे दिन लगता है जमघट, आज खूब लड़ेंगे पेंच, पतंग की दुकानों पर उमड़ी भीड़: Photo- Newstrack
Lucknow: दीवाली के दूसरे दिन जमघट (Jamghat) से दो अलग-अलग मान्यताओं के साथ 'गोवर्धन' पूजा की शुरुआत होती है। अपने को भगवान कृष्ण का वंशज बताने वाले ग्वाल 'गोवर्धन पर्वत' और किसान 'गोबर-धन' के रूप में एक पखवारे तक ड्योढी में पशुओं के गोबर का टीला बनाकर पूजा करते हैं। इस दिन लोग पतंगबाजी भी खूब करते हैं जिसको लेकर पतंग की दुकानों पर जमकर भीड़ देखी जा रही है।
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दीवाली के दूसरे दिन को 'जमघट' के नाम से पुकारा जाता है
प्रकाश पर्व दीवाली के दूसरे दिन को 'जमघट' के नाम से पुकारा जाता है। जमघट के तड़के गांवों में भगवान कृष्ण का वंशज बताने वाले ग्वाल (यादव) समाज के लोग दीवारी नृत्य व बुंदेली गीत 'बिरहा' गाते हुए पशुओं विशेषकर गायों को जगाते हैं। इसके बदले किसान बक्सीस (इनाम) के तौर पर कुछ अनाज या रुपया भेंट करते हैं और इसके बाद शुरू होती है 'गोवर्धन' पूजा। इस दौरान पड़ोसी को गोबर देना अशुभ माना जाता है।
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सबसे खास बात है कि यह पूजा सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। यहां गोवर्धन को महिलाएं 'गोधन दाई' के नाम से पुकारती हैं। जमघट के दिन सूर्य निकलने से पूर्व घर के पशुओं के गोबर का टीला बनाया जाता है। घर में बचा बासी खाना कटोरी में गोवर्धन को खाने के लिए रखा जाता है। रोजाना शाम को स्नान के बाद मिट्टी के दीपक 'दूलिया' की ज्योति जलाई जाती है।
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'जमघट' में जुआ और पतंगबाजी खूब होती है
'जमघट' में जुआ खेलने की परम्परा भी पुरानी है। लोगों का मानना है कि 'जमघट' के जुए में जीतने वाले की साल भर किसी भी मामले में हार नहीं होती। इस दिन लोग पतंगबाजी भी खूब करते हैं जिसको लेकर पतंग की दुकानों पर जमकर भीड़ देखी जा रही है।