Raebareli News: देश के दूसरे जलियांवाला बाग कहे जाने वाले मुंशीगंज कांड की बरसी, राज्य मंत्री ने किया शहीदों को याद
Raebareli News: देश के दूसरे जलियांवाला बाग कहे जाने वाले मुंशीगंज कांड की बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई, इस दौरान शहीदों की याद में बने स्तंभ पर पुष्पगुच्छ चढ़ाये गए।
Raebareli News: देश के दूसरे जलियांवाला बाग कहे जाने वाले मुंशीगंज कांड ( Munshiganj incident) की बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश सिंह समेत पूरा ज़िला प्रशासन यहां पहुंचा। इस दौरान शहीदों की याद में बने स्तंभ पर पुष्पगुच्छ चढ़ाये जाने के साथ ही भव्य कलश यात्रा का भी यहां समापन हुआ।
क्या है मुंशीगंज के शहीद स्मारक का इतिहास और क्यों कहते हैं इसे दूसरा जलियांवाला कांड दरअसल 7 जनवरी 1921 को यहां सई नदी के तट पर सैकड़ों किसानों को तीन तरफ से घेरकर उन पर गोलियां बरसाई गयीं थीं। गोलियों की बौछार के बीच अपनी जान बचाने के लिए किसान चौथी तरफ कल कल बह रही सई नदी में छलांग लगा दी थी। इसी लिए इस घटना को दूसरा जलियांवाला कांड कहा जाता है।
किसानों के खून से लाल हो गया था नदी का जल
कहते हैं उस दौरान सई नदी का जल किसानों के खून से लाल हो गया था। दरअसल अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान किसानों पर तालुकेदारों का अत्याचार बढ़ गया था। अनाप शनाप लगान वसूला जा रहा था और फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा था। उस समय किसान नेता अमोल शर्मा,बाबा जानकीदास,बाबा रामचंद्र और चंद्रपाल सिंह की अगुवाई में सैकड़ों किसान यहां विरोध स्वरूप सभा करने पहुंचे थे।
अंग्रेजों द्वारा सैकड़ों किसानों को गोलियों से भून दिया गया
पांच जनवरी को किसान नेता अमोल शर्मा को गिरफ्तार कर लखनऊ जेल भेज दिया गया था। इधर यह अफवाह उड़ी की किसान नेताओं की अंग्रेजों ने हत्या कर दी है। मुंशीगंज में मौजूद किसानों की बेचैनी बढ़ी तो सूचना पाकर पंडित जवाहर लाल नेहरू भी यहां पहुंच गए। पंडित जवाहर लाल नेहरू को 7 जनवरी के दिन कलेक्ट्रेट में नजरबंद कर दिया गया और इधर अंग्रेज़ अफसर के हुक्म पर मुंशीगंज में सभा कर रहे सैकड़ों किसानों को गोलियों से भून दिया गया।