उन्नाव रेप केस: CBI हुई एक्टिव, तीन महिला अफसरों के लिए लिखी चिट्ठी
उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना तत्कालीन जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान को भारी पड़ गई।
लखनऊ: उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना तत्कालीन जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान को भारी पड़ गई। सीबीआई ने यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को पत्र भेज कर एक आईएएस तथा दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
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तीन महिला अधिकारीयों को दोषी माना गया है
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीबीआई की जांच में आईएएस अदिति सिंह और आईपीएस नेहा पांडेय और पुष्पांजलि सिंह को दोषी माना गया है। पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कार्रवाई के पीड़ित ने तत्कालीन डीएम और एसपी के समक्ष गुहार लगाई थी लेकिन विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
वर्ष 2009 बैच की आईएएस अदिति सिंह इस समय हापुड़ की जिलाधिकारी हैं। जबकि वर्ष 2009 बैच की आईपीएस नेहा पांडेय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसके अलावा आईपीएस पुष्पांजलि वर्तमान में गोरखपुर में डीआईजी रेलवे के पद पर तैनात हैं। दुष्कर्म केस के दौरान तीनों अफसरों की नियुक्ति उन्नाव में थी। इससे पहले तत्कालीन माखी कोतवाली के एसएचओ इसी मामलें में जेल में है।
विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था
बता दे कि 04 जून 2017 को उन्नाव की रहने वाली एक नाबालिग ने बांगरमऊ से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। जिसे विधायक के रसूख के कारण दबा दिया गया लेकिन 08 अप्रैल 2018 में पीड़िता अपनी गुहार लगाने के लिए परिवार सहित मुख्यमंत्री आवास पहुंच गई और आत्मदाह की कोशिश की। 08 अप्रैल की रात में ही जेल में बंद पीड़िता के पिता की मौत हो गई। जिससे मामला सियासी तूल पकड़ गया तो सरकार ने भी कार्रवाई तेज कर दी। प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन कर मामलें की जांच कराई और 10 अप्रैल को जांच रिपोर्ट के आधार पर विधायक के भाई अतुल सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ पीड़िता के पिता की हत्या का मामला दर्ज किया। 1 अप्रैल को देर रात अतुल सिंह को हसनगंज थानाक्षेत्र में गिरफ्तार कर लिया गया।
कुलदीप सेंगर उन्नाव जेल भेज दिया
चूंकि मामला सियासी रंग ले चुका था तो 12 अप्रैल को कांग्रेस ने कैंडल मार्च किया और विधायक भाजपा का होने के कारण उसकी गिरफ्तारी न किए जाने को लेकर यूपी सरकार को घेरा। इसी दिन रात में प्रदेश सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने इस मामलें में सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी और देर रात ही सीबीआई ने विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा अगले दिन सुबह ही कुलदीप सेंगर को उनके लखनऊ स्थित आवास से पाक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया तथा 14 अप्रैल को विशेष पाक्सो कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। इसके बाद सीबीआई ने सेंगर को 14 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की। रिमांड पूरी होने के बाद सीबीआई ने उन्हे उन्नाव जेल भेज दिया लेकिन कुछ ही दिन बाद पीड़िता के चाचा की आपत्ति पर सेंगर को सीतापुर जेल भेज दिया गया।
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पिछले साल 28 जुलाई को पीड़िता जेल में बंद अपने चाचा से मिलने रायबरेली जा रही थी। लेकिन, रास्ते में हादसे का शिकार हो गई थी। हादसे में पीड़िता की मौसी व चाची की मौत हो गई और पीड़िता व उसका वकील गंभीर रुप से घायल हुआ था। पीड़िता के परिवार वालों ने पूर्व विधायक पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई हुई। 20 दिसंबर 2019 को 54 साल के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सेंगर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। वर्तमान में सेंगर तिहाड़ जेल में है। दोषी ठहराए जाने के बाद राज्य विधानसभा की उनकी सदस्यता भी समाप्त हो गई थी।
मनीष श्रीवास्तव
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