UP Assembly Election: मोदी-शाह के करीबी धर्मेन्द्र प्रधान की देखरेख में लड़ा जाएगा यूपी विधानसभा का चुनाव
UP Assembly Election: आज केन्द्रीय हाईकमान ने केन्द्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को प्रदेश के चुनाव प्रभारी के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का काम किया।
UP Assembly Election: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की तैयारियों को लेकर फिलहाल भाजपा (BJP) सबसे आगे चल रही है। पार्टी ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश चुनाव प्रभारी तक के स्तर का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है।
आज केन्द्रीय हाईकमान ने केन्द्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) को प्रदेश के चुनाव प्रभारी के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का काम किया। यूपी में पहली बार धर्मेन्द्र प्रधान की देखरेख में देश के सबसे बड़े सूबे का चुनाव लड़ा जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के करीबी सहयोगी और भरोसेमंद माने जाते हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नढ्ढा (JP Nadha) ने केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के साथ छह सह प्रभारियों की भी तैनाती की है जिनमें सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर संसदीय कार्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राज्य सभा सदस्य सरोज पाण्डेय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शोभा करंदलाजे, पूर्व मंत्री कैप्टेन अभिमन्यु,शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी तथा राज्य सभा सदस्य विवेक ठाकुर को यह जिम्मेदारी दी गयी है।
संगठनात्मक दृष्टि से बंटे छह क्षेत्र प्रभारियों के नाम भी तय
इसके अलावा संगठनात्मक दृष्टि से बंटे छह क्षेत्रों पश्चिम, बृज,अवध, कानपुर,गोरखपुर तथा काशी क्षेत्र के प्रभारियों के नाम भी तय कर दिए है। इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी लोकसभा सदस्य संजय भाटिया, बृज क्षेत्र की जिम्मेदारी विधायक संजय चौरसिया अवध क्षेत्र की जिम्मेदारी राष्ट्रीय मंत्री वाय सत्याकुमार को दी गयी है। इसके अलावा कानपुर क्षेत्र में राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष सुधीर गुप्ता गोरखपुर में राष्ट्रीय मंत्री अरिवन्द मेनन तथा काशी क्षेत्र की जिम्मेदारी सह प्रभारी उत्तर प्रदेश सुनील ओझा को दी गयी है।
मूल रूप से उडीसा के रहने वाले धर्मेंद्र प्रधान पूर्व सांसद डॉ. देवेंद्र प्रधान के बेटे हैं। अपने पिताजी की राजनीति के समय वह उनकी मदद किया करते थें। वह पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े फिर अपने कालेज में छात्रसंघ अध्यक्ष बनें।
संगठनात्मक जिम्मेदारियां देने का काम शुरू
इसके बाद 1998 में लालकृष्ण आडवाणी ने उनको भाजपा में शामिल कर संगठनात्मक जिम्मेदारियां देने का काम शुरू किया। वह पहली बार साल 2000 में विधानसभा चुनाव लडे़। इस चुनाव में जीत के बाद वह पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए 14वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में सांसद बने। इसके अलावा पार्टी ने उन्हे राज्यसभा भी भेजा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हे बिहार का प्रभारी बनाया गया। इस चुनाव में भाजपा को बिहार से बडी सफलता हासिल हुई। फिर 2014 में जब देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार का गठन हुआ तो उन्हे पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया। अपने मंत्रालय में रहते हुए उन्होंने मोदी सरकार की सबसे लोकप्रिय उज्जवला योजना की शुरुआत की। जिससे उनका पूरे देश में नाम हुआ।