Mission 2022: मायावती की महिला वोटरों पर नजर, कल्पना मिश्रा को सौंपी अहम जिम्मेदारी, जानें- कौन हैं कल्पना मिश्रा?

UP Assembly Elections 2022: कल्पना मिश्रा को मैदान में उतारने के पीछे मायावती की खास रणनीति है। दरअसल, महिलाओं की एक बड़ी संख्या है। मायावती ने उसी को ध्यान में रखते हुए कल्पना मिश्रा को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

Published By :  Shreya
Update: 2021-09-01 09:55 GMT

कल्पना मिश्रा (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

UP Assembly Elections 2022: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती मिशन 2022 (Mission 2022) के लिए कई नए प्रयोग कर रही हैं। एक तरफ जहां वह अपने सबसे खास सतीश चंद्र मिश्रा को ब्राह्मणों को बीएसपी से जोड़ने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन करा रही हैं तो दूसरी ओर मायावती की नजर अब महिला ब्राह्मण वोटरों पर है, जिसके लिए उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा को मैदान में उतारकर विरोधियों को चौंका दिया है। 

यह पहली बार हुआ है जब सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) की पत्नी सार्वजनिक तौर पर राजनीतिक कार्यक्रम में शिरकत कर रही हों। कल्पना मिश्रा (Kalpana Mishra) महिला प्रबुद्ध सम्मेलन के जरिए बीएसपी (BSP) के पक्ष में महिलाओं को एकजुट करने में लग गई हैं। 

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

महिला वोट बैंक पर नजर

कल्पना मिश्रा को मैदान में उतारने के पीछे मायावती की खास रणनीति है। दरअसल, महिलाओं की एक बड़ी संख्या है। मायावती ने उसी को ध्यान में रखते हुए कल्पना मिश्रा को यह जिम्मेदारी सौंपी है। मायावती 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कई तरह के एक्सपेरिमेंट पहले ही कर चुकी हैं। इससे पहले उन्होंने पहली बार मीडिया के लिए प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी। पहले बीएसपी में कभी कोई प्रवक्ता नहीं होता था। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए मायावती ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए चार प्रवक्ताओं की नियुक्ति की है।

वैसे ही अब महिला मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ने के लिए उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी पर भरोसा जताते हुए उन्हें भी एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है । लेकिन कल्पना मिश्रा महिला प्रबुद्ध सम्मेलन के जरिए बीएसपी के पक्ष में एकजुट होकर वोट देने के लिए उन्हें प्रेरित करने का कार्य कर रही हैं। 

सतीश चंद्र मिश्रा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मिशन 2022 में लगे सतीश चंद्र मिश्रा

बहुजन समाज पार्टी ने 2007 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के अपने फॉर्मूले को यूपी चुनाव 2022 में एक बार फिर आजमाने की ठानी है। यह फॉर्मूला है दलित+ब्राह्मण मतदाता, कभी "तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार" का नारा देने वाली बहुजन समाज पार्टी साल 2007 में दलित+ब्राह्मण सोशल इंजीनियरिंग का सफल प्रयोग कर चुकी है। तब इस सोशल इंजीनियरिंग के आर्किटेक्ट थे मायावती के विश्वासपात्र सतीश चंद्र मिश्रा। अब 2022 के लिए मायावती एक बार फिर इसी फॉर्मूले को लागू कर यूपी की सत्ता को हासिल करना चाहती हैं।

2007 में 86 में 41 ब्राह्मण विधायक जीते

बता दें साल 2007 में बसपा ने 86 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे और 41 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी। इसके लिए चुनाव से एक वर्ष पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई थी। उस वक्त राजनीतिक पंडितों ने बसपा की इस सोशल इंजीनियरिंग को कामयाब नहीं माना था। लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए तो सब चौंकने को मजबूर हुए। बसपा ने 403 में से 206 सीटें जीतकर पूर्व बहुमत की सरकार बनाई और मायावती मुख्यमंत्री बनीं थीं। 

यूपी में करीब 12 फीसदी ब्राह्मणों की आबादी

उत्तर प्रदेश में अगर ब्राह्मणों की आबादी की बात करें तो 12 से 13 फीसदी मानी जाती है। कुछ विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां ब्राह्मणों की आबादी 20 प्रतिशत के आसपास है। यहां ब्राह्मण मतदाताओं का रुझान उम्मीदवार की जीत और हार तय करता है। बसपा और सपा की नजर ऐसे ही ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा सीटों पर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, मेरठ के अलावा ज्यादातर ऐसे जिले पूर्वांचल और लखनऊ के आस-पास के हैं, जहां ब्राह्मण मतदाता उम्मीदवार की हार और जीत तय करने की स्थिति में हैं। 

सतीश चंद्र मिश्रा (फोटो साभार- ट्विटर) 

कौन हैं सतीश चंद्र मिश्रा ?

सतीश चंद्र मिश्रा का जन्म 9 नवंबर, 1952 को कानपुर में हुआ था। इनके पिता त्रिवेणी सहाय मिश्रा जज थे। इन्होंने कानपुर के पंडित प्रीति नाथ कॉलेज से पहले ग्रजुएशन की पढ़ाई पूरी की फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया और वकालत करने लगे। सतीस चंद्र मिश्रा की पत्नी का नाम कल्पना मिश्रा है, वह भी पेशे से वकील हैं। इनके चार बेटियां और एक बेटा है। बार काउंसिल के सदस्यक के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले सतीश मिश्र बसपा में शामिल हुए और फिर पार्टी के महासचिव बने। इस वक्त वह मायावती के सबसे खास हैं। कहा जाता है कि मायावती उन्हीं से राय लेकर आगे बढ़ती हैं।   

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