UP Assembly Monsoon Session 2022: आजादी के बाद पहली बार सदन में गूंजी महिला आवाज, आज पुरुष विधायक सिर्फ सुने

UP Assembly Monsoon Session 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र का चौथा दिन महिला सदस्यों के लिए समर्पित रहा। सत्र के दौरान सभी सदस्यों सहित विधानसभा अध्यक्ष ने महिला सदस्यों को सुना।

Written By :  aman
Update:2022-09-22 14:28 IST

यूपी विधानसभा में महिला विधायक 

UP Assembly Monsoon Session 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार (22 सितंबर 2022) का दिन बेहद खास रहा। दरअसल, विधानसभा के मानसून सत्र (UP Assembly Monsoon Session) के दौरान यह दिन महिला विधायकों के लिए खास रहा। आज केवल महिला विधायक ही अपनी बातें रखीं। हालांकि, इसकी घोषणा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने पिछले दिनों ही कर दी थी।

उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र का चौथा दिन महिला सदस्यों के लिए समर्पित रहा। सत्र के दौरान सभी सदस्यों सहित विधानसभा अध्यक्ष ने महिला सदस्यों को सुना। इस विशेष मौके पर विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी बातें रखी।


CM योगी- इस दिन के लिए आभारी हैं

अपने संबोधन में सीएम योगी ने कहा, हम सब आभारी हैं कि देश का सबसे बड़ा विधानमंडल एक नए इतिहास को बनाने के लिए अग्रसर हो रहा है। आजादी के 75 वर्ष के बाद आधी आबादी अपनी आवाज को इस सदन के माध्यम से प्रदेश की 25 करोड़ जनता तक पहुंचेगी। साथ ही साथ ही प्रदेश की समस्याओं और उपलब्धियों को लेकर और अन्य समसामायिक महत्वपूर्ण मुद्दों को इस सदन में रखने का उन्हें अवसर प्राप्त होगा। इसके लिए मैं सभी बहनों का अभिनंदन करता हूं।


'ये कार्य पहले ही होना चाहिए था'

योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, ये कार्य पहले ही होना चाहिए था। आज का पूरा दिन आपने माननीय महिला सदस्यों को लिए आरक्षित किया है। ये सभी अपनी बात रखेंगे। लेकिन शुरुआत में एक प्रारंभिक प्रस्तावन रखने के लिए यहां खड़ा हुआ हूं। मुझे महार्षि वेदव्यास की पंक्तियां याद आती है। जो उन्होंने नारी शक्ति के लिए कहा है..नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गति:। नास्ति मातृसमं त्राणं. नास्ति मातृसमा प्रिया। यानि मां के सामना कोई छाया नहीं, मां के सामान कोई सहारा भी नहीं, मां के सामान कोई रक्षक भी नहीं और मां के सामान कोई प्रिय भी नहीं होता है। मुझे लगता है कि मातृ शक्ति के प्रति ये सम्मान हर नागरिक के मन में आ जाए तो मुझे लगता है कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा नहीं पहली बार हो रहा हो, आजादी के बाद इस दिशा में बहुत अच्छे प्रयास हुए, काफी प्रगति भी हुई। आज उन पर चर्चा भी होगी।'


उन्होंने कहा, 'देश के भीतर बिना भेदभाव के पहले निर्वाचन से पुरुष और महिला को अपना मत देने का अधिकार है। यही नहीं इंग्लैंड जैसे कई देशों में ये अधिकार भारत के बाद मिला। भले वहां लोकतंत्र पहले से रहा हो। ये भारत की ताकत का एहसास पूरे भारत को कराता है।'














सभी फोटो- आशुतोष त्रिपाठी  

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