यूपी के सहायक शिक्षकों के लिए आया सुप्रीम आर्डर, अब तो लड्डू बटेगा

हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि, इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सरकार ने अपना कोई फैसला नहीं किया था। एक अनुमान के अनुसार ऐसे शिक्षकों की संख्या 50 हजार से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था।

Update: 2019-07-16 13:22 GMT

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लगभग एक लाख से ज्यादा सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने 30 मई 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले को बदल दिया है, जिसमें कहा गया था कि जिन लोगों का TET रिजल्ट पहले आया और B.ed या BTC का रिजल्ट बाद में आया है उनका TET प्रमाण पत्र वैध नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट यह फैसला 2011 और उसके बाद राज्य में हुए सभी टीईटी परीक्षाओं और नियुक्तियों पर लागू होता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन रद्द कर दें।

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हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि, इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सरकार ने अपना कोई फैसला नहीं किया था। एक अनुमान के अनुसार ऐसे शिक्षकों की संख्या 50 हजार से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था।

माना जा रहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश ने यूपी के सहायक शिक्षकों को राहत दी है।

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सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यूपी टीईटी के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।

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