UP By Elections: UP की दस विधानसभा सीटों पर NDA और INDIA में होगा कड़ा मुकाबला, BSP की एंट्री से बदलेगा समीकरण
UP By Elections: लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगने के बाद भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने को बेकरार है।
UP By Elections: लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी दलों ने मंथन शुरू कर दिया है। नौ विधायकों के सांसद बनने और सपा विधायक इरफान सोलंकी को सात साल की सजा होने के बाद इन सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। विधानसभा उपचुनाव के दौरान कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं। लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगने के बाद भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने को बेकरार है तो दूसरी ओर सपा-कांग्रेस गठबंधन एक बार फिर एनडीए को करारा झटका देना चाहता है।
बहुजन समाज पार्टी वैसे तो उपचुनाव से दूर रहा करती है मगर पार्टी की मुखिया मायावती ने इस बार विधानसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उपचुनाव में बसपा की एंट्री से सियासी समीकरण प्रभावित होने की संभावना है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बाद अब 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
इन दस सीटों पर होने वाला है उपचुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें करहल, मीरापुर, खैर, फूलपुर, मझवा, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ सीटें शामिल हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष सचिव ब्रजभूषण दूबे ने बताया कि इन सभी सीटों के रिक्त होने की सूचना चुनाव आयोग के पास भेज दी गई है। प्रक्रिया के मुताबिक इन सीटों पर छह महीने के भीतर ही उपचुनाव पूरे होंगे।
चुनाव आयोग की ओर से अभी तक उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि आयोग की ओर से जल्द ही तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दलों ने भीतर ही भीतर इन सीटों पर उपचुनाव की तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी हैं।
उपचुनाव के नतीजे संख्यात्मक लिहाज से भाजपा के लिए महत्वहीन होंगे क्योंकि सरकार के पास अच्छा खासा बहुमत है। वैसे उपचुनाव के नतीजे का दोनों पक्षों के मनोबल पर काफी असर पड़ेगा। यदि भाजपा की अगुवाई वाला गठबंधन अपनी ताकत नहीं दिखा सका तो इससे योगी सरकार की साख पर भी असर पड़ेगा।
एनडीए और इंडिया दोनों के सामने साख बचाने की चुनौती
प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है, उनमें से पांच सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई थी। करहल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने खुद जीत हासिल की थी। उन्होंने इस बार कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी है। एक सीट पर राष्ट्रीय लोकदल को जीत हासिल हुई थी।
राष्ट्रीय लोकदल ने उस समय समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर रखा था मगर अब पार्टी एनडीए में शामिल हो चुकी है। तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी जबकि एक सीट पर सहयोगी निषाद पार्टी का प्रत्याशी विजयी हुआ था। इस तरह 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन के सामने साख बचाने की बड़ी चुनौती होगी।
सहयोगी दलों ने भी लगा रखी हैं निगाहें
उत्तर प्रदेश में होने वाला विधानसभा उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। सपा और कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वे यूपी विधानसभा उपचुनाव एक साथ लड़ेंगे मगर कांग्रेस की ओर से भी सीटों की डिमांड की गई है। सपा की ओर से यह डिमांड पूरी किए जाने के बाद यह गठबंधन पूरी मजबूती के साथ इस विधानसभा उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरेगा। वैसे यदि सपा की ओर से आनाकानी की गई तो मतभेद भी उभर सकते हैं।
यही स्थिति एनडीए की भी है। रालोद और निषाद पार्टी ने इन 10 में से दो सीटों पर निगाहें लगा रखी हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि सहयोगी दलों को साथ बनाए रखने के लिए भाजपा की ओर से यह डिमांड पूरी की जाएगी। तभी बीजेपी आगे भी सियासी मुश्किलों से बच सकती है।
इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत का दावा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा उपचुनाव में भी इंडिया गठबंधन अपनी ताकत दिखाएगा। उन्होंने दावा किया कि गठबंधन सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहेगा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को यूपी में मिली कामयाबी से समाजवादी पार्टी और सहयोगी कांग्रेस के कार्यकर्ता बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। विधानसभा उपचुनाव में भी इसका असर नजर आएगा जिसके दम पर इंडिया गठबंधन को बड़ी जीत हासिल होगी।
बसपा की एंट्री से बदलेगा समीकरण
बहुजन समाज पार्टी अभी तक उपचुनावों से दूरी बनाकर चलती रही है मगर इस बार पार्टी की मुखिया मायावती ने उपचुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को उपचुनाव की तैयारी में जुटने का निर्देश भी दिया है। उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों का पैनल भी अभी से ही तैयार किया जाएगा ताकि यूपी चुनाव में पार्टी की ओर से मजबूत प्रत्याशी उतारे जा सकें।
मायावती का यह कदम सपा और कांग्रेस की टेंशन बढ़ने वाला साबित होगा। बसपा प्रत्याशी भले ही जीत हासिल न कर सकें, लेकिन वे कई सीटों पर दूसरे दलों के मजबूत प्रत्याशियों की हार का कारण जरूर बन जाते हैं। ऐसे में उपचुनाव में बसपा की एंट्री से सियासी समीकरण प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।