UP Election 2022: कांशीराम की पुण्यतिथि के बाद BSP में होगा प्रत्याशियों का एलान
UP Election 2022: कांशीराम की पुण्यतिथि के बाद BSP अपने प्रत्याशियों की सूची का एलान करेगी।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के लिए राजनीतिक दलों में प्रत्याशियों के चयन का काम प्रारम्भिक स्तर पर शुरू हो चुका है। पर अन्य दलों के मुकाबले बसपा (BSP) इन तैयारियों में सबसे आगे चल रही है। जिला प्रभारियों की तरफ से प्रत्याशियों के नामों की सूची पार्टी अध्यक्ष मायावती (Mayawati) के पास पहुंच चुकी है। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बसपा सबसे पहले अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने को तैयार है। उम्मीद है कि अगले माह 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि (Kanshi Ram Death Anniversary) के बाद बसपा प्रत्याशियों के नामों (BSP Candidates List) का एलान कर दिया जाएगा।
पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम की पुण्य तिथि पर बसपा की तरफ से लखनऊ (Lucknow) में एक बड़ा कार्यक्रम की घोषणा की जा चुकी है। सभी जिलाध्यक्षों एवं मंडल कोआर्डिनेटरों से कहा गया है कि वह अधिक से अधिक भीड़ लाकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे। कांशीराम पार्क (Kanshi Ram Park) में आयोजित इस कार्यक्रम के माध्यम से बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) प्रत्याशियों की ताकत को भी आंकने का काम करेंगी। पदाधिकारियों से कहा गया है कि वह अपने क्षेत्र में जाकर 9 अक्टूबर की तैयारियों में जुट जाए। इस कार्यक्रम के बहाने बसपा अध्यक्ष मायावती राजनीतिक दलों को अपनी ताकत भी दिखाना चाह रही हैं।
अन्य दलों से पहले प्रत्याशियों के नामों का एलान करती आई है बसपा
बहुजन समाज पार्टी के चुनावी इतिहास में पहले भी देखा गया है कि अन्य दलों के मुकाबले सबसे पहले इसी पार्टी के प्रत्याशियों के नामों का एलान होता रहा है जबकि भाजपा और कांग्रेस मे तो कई बार ऐसे मौके भी आए हैं कि आखिरी मौके पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा की गई है। उधर बसपा के सेक्टर प्रभारियों की सूची मिलने के बाद अब विधानसभा प्रभारियों की घोषणा की जाएगी। इसके बाद प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया जाएगा।
संभावना इस बात की है कि इस चुनाव में प्रदेश में चल रही ब्राम्हण राजनीति के तहत बसपा लगभग 100 विधानसभा क्षेत्रों पर ब्राम्हण प्रत्याशी उतारने का दांव चलेगी। मायावती ने अपर कास्ट तथा मुस्लिम व अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों से जुड़े प्रभावशाली लोगों को मंडल स्तर पर सेक्टर संयोजक जिला संयोजक व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर संयोजकों की नियुक्त की है।
पहले जैसी तैयारियों में जुटी पार्टी
पिछले दो विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता हासिल करने में नाकाम बहुजन समाज पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अब कोई मौका गंवाना नहीं चाहती है। इसलिए वह वह फिर 'फ्लैशबैक' में जाकर 2007 की तरह ही विधानसभा चुनाव तैयारियों में अभी से जुट गई है।
पार्टी की रणनीति इसी तर्ज पर ब्राह्मणों के अलावा ठाकुर, मुस्लिम और पिछड़ों को एक कर भाईचारा समितियों का गठन करने तथा उनके सम्मेलन करा कर सभी का वोट हासिल करने की है। प्रदेश में इन दिनों बसपा ब्राम्हण सम्मेलनों का आयोजन प्रबुद्व वर्ग सम्मेलन के नाम से आयोजित कर रही है।
पिछले दो विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी मुख्य रूप से दलितों को ही फोकस करती रही। हालांकि उसने सवर्णों को भी टिकट दिए पर मुख्य रूप से उसका सारा फोकस मुस्लिम समाज और दलितों पर रहा। जिसके कारण उसे वह सफलता नहीं मिल पाई जो 2007 के विधानसभा चुनाव में हासिल हुई थी। इस चुनाव में उसने 206 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत पाया था। पहली बार बिना किसी अन्य दल के सहयोग के प्रदेश की सत्ता हासिल की थी।
ब्राह्मण वोटों पर निशाना साधने की कोशिश में मायावती
यही कारण है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने विकास दुबे कांड के बहाने ब्राह्मण वोटों पर अपना निशाना साधना शुरू कर दिया है। मायावती ने मंडल, जिला व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर जातिवाद भाईचारा कमेटियों का गठन शुरु कर दिया है। अपनी खोई हुई सियासी ताकत को फिर से हासिल करने के लिए बसपा अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर लौटने को तैयार है।
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