UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनावी जंग के बीच मायावती और प्रियंका गांधी एक दूसरे से निपटने में लगी हैं

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में एक ओर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में विजेता बनने की होड़ लगी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस तथा बहुजन समाज पार्टी में तीसरे और चौथे नंबर की पार्टी बनने की होड़ लगी है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Sushil Kumar
Update: 2022-01-30 11:46 GMT

Mayawati-Priyanka Gandhi

मेरठ। उत्तर प्रदेश चुनाव में एक तरफ़ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) एक दूसरे से निपटने में जिस तरह लगी है उससे ऐसा लग रहा है मानों दोंनो ही दल चुनाव में अपनी हार स्वीकार तीसरे और चौथे नम्बर के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

 दरअसल, पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में भी सपा गठबंधन  उस स्थिति में है, जिसमें भाजपा विरोधी मतदाता उसे वोट देंगे। चुनाव में जिस तरह धीरे-धीरे ध्रुवीकरण तेज हो रहा है उसमें भाजपा विरोधी मतदाताओं का गठबंधन जिसकी कमान सपा के अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के हाथों में हैं के पाले में  जाना तय माना जा रहा है। क्योंकि भाजपा विरोधी मतदाताओं को गठबंधन ही भाजपा को हराने में सक्षम दिख रहा है। चुनाव में इस हैसियत में होना खासा लाभदायक होता है। मसलन, पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराने की इच्छा रखने वाले तमाम मतदाता तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के इर्द-गिर्द इकट्ठे हुए। उसका खामियाजा लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को भुगतना पड़ा। कुछ ऐसा ही खामियाजा उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) और कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।  

ऐसी स्थिति में बसपा और कांग्रेस के पास एक दूसरे से निपटने के अलावा और चारा हो भी क्या सकता है। सो,यही वों कर रहे हैं। मसलन, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती (Mayawati) ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कांग्रेस की बजाय बीएसपी को वोट देने की अपील की। जबकि कांग्रेस ना तो इस समय सत्ता में है और ना ही चुनाव में कुछ एक सीटों को छोड़ कर कहीं मुकाबले में दिख रही है। यही नही खुद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) भी चुनाव में अपनी पार्टी की कमजोर स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है। यही वजह है कि यूपी चुनाव में कांग्रेस के चेहरे को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रियंका गांधी ने पहले कहा था कि ''क्या आपको उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तरफ़ से कोई और चेहरा दिखाई दे रहा है?'' लेकिन, बाद में प्रियंका गांधी ने इस बयान को वापस ले लिया और कहा कि यूपी में सिर्फ़ वो ही पार्टी का चेहरा नहीं हैं, उन्होंने वो बात चिढ़कर कह दी थी क्योंकि बार-बार एक ही सवाल पूछा जा रहा था।

प्रियंका गांधी का ऐसा कहना था कि तपाक से मायावती ने प्रियंका गांधी को निशाने पर ले लिया और लोगों से कांग्रेस पर वोट बर्बाद ना करने की अपील कर डाली। इससे पहले प्रियंका गांधी ने भी अपने एक बयान में बसपा के असक्रिय रहने पर हैरानी जताई थी और उस पर बीजेपी का दबाव होने की बात कही थी। मायावती और प्रियंका गांधी इससे पहले भी कई मौकों पर एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे चुकी हैं। दरअसल,जानकार इसके पीछे दोनों के वोट बैंक की समानता को अधिक वजह मानते हैं। बता दें कि दलितों को लेकर कांग्रेस और बसपा में उस समय भी टकराव दिखा था जब राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश में एक दलित के घर रुकने पर मायावती ने कहा था कि राहुल गांधी दलितों के घर से लौटने पर विशेष साबुन से नहाते हैं।

 जैसा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक सुनील शर्मा कहते हैं। राज्य में तक़रीबन 22 फ़ीसद दलित आबादी है। ऐसे में सभी दलों की नज़र इस वोट बैंक पर रहती है। बकौल सुनील शर्मा, कांग्रेस की राजनीति दलित, मुस्लिम और बाह्मणों  के इर्दगिर्द रही है। ये तीनों कांग्रेस का वोट बैंक रहे हैं। लेकिन, प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी  के उभरने के बाद से कांग्रेस का वोट बैंक खिसकना शुरू हो गया। सुनील शर्मा आगे कहते हैं, ''कांग्रेस और बसपा दोनों के वोट बैंक का बड़ा आधार जाटव दलित रहे हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश में जैसे ही बसपा का उदय हुआ,जाटव बसपा की तरफ चले गये। ''अब भी कांग्रेस और बसपा के बीच जाटव दलित वोटों को लेकर टकराव है।

2019 के आम चुनाव के बाद से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जिस तरह से उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को फिर से जिंदा करने की कोशिशों में जुटी है, उससे भी मायावती में बैचेनी बढ़ी है। हाल के कुछ सालों में प्रिंयका ने अपनी छवि ऐसी नेता की बनाई है, जो यूपी में जहां कहीं अत्याचार हो, वहां जाकर वो खड़ी होती हैँ। एंटी-सीएए प्रोटेस्ट (CAA Protest) के दौरान उत्पीड़ित हुए लोगों से लेकर हाथरस, प्रयागराज, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, पहले लॉकडाउन के बाद माइग्रेंट लेबर्स की मदद आदि जैसी अनेक मिसालें हैं, जहां विपक्ष की भूमिका सिर्फ निभाती सिर्फ वे और उनके समर्थक नजर आए।

फिर मायावती यह हकीकत भी मानती है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिंदगी मिलना बसपा के लिए मौत है। इसलिए मायावती बयान देकर लोगों को सतर्क करती रहती हैं। डॉक्टर अंबेडकर के साथ कांग्रेस ने ग़लत किया था इस तरह की बातें भी कहती हैं।                                                                                

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