UP Election 2022: पश्चिमी यूपी में भाजपा से ज्यादा सपा को डैमेज कर रही कांग्रेस, मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर बढ़ाई मुश्किलें

UP Election 2022: पश्चिमी यूपी में कांग्रेस की ओर से उतारे गए प्रत्याशियों का विश्लेषण किया जाए तो साफ पता चलता है कि कांग्रेस भाजपा से ज्यादा नुकसान सपा को पहुंचा रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2022-02-02 12:32 IST

पश्चिमी यूपी में भाजपा से ज्यादा सपा को डैमेज कर रही कांग्रेस (photo : social media )

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण की सीटों पर चुनाव प्रचार (UP Election 2022) धीरे-धीरे चरम पर पहुंच चुका है और सभी दलों के प्रत्याशियों ने चुनावी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिमी यूपी (Western UP) में शानदार प्रदर्शन किया था मगर इस बार पार्टी को सपा-रालोद (sp-rld)के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस (Congress)  और बसपा (BSP) ने भी इस बार बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कमर कस रखी है।

पश्चिमी यूपी में कांग्रेस की ओर से उतारे गए प्रत्याशियों का विश्लेषण किया जाए तो साफ पता चलता है कि कांग्रेस भाजपा से ज्यादा नुकसान सपा को पहुंचा रही है। कांग्रेस ने भले ही करहल और जसवंतनगर विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी न उतारकर सपा को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया है मगर पश्चिमी यूपी में तमाम सीटों पर पार्टी सपा का खेल बिगाड़ती नजर आ रही है। हालांकि कांग्रेस ने कई सीटों पर भाजपा के लिए भी मुश्किलें खड़ी की हैं मगर पार्टी भाजपा की अपेक्षा सपा को ज्यादा नुकसान पहुंचाती दिख रही है।

दो वीआईपी सीटों पर नहीं लड़ेगी कांग्रेस

कांग्रेस ने दो वीआईपी सीटों करहल और जसवंतनगर पर अपने उम्मीदवार न लड़ाने का फैसला किया है। मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने नामांकन दाखिल किया है जबकि सपा ने जसवंतनगर सीट से एक और बड़े नेता शिवपाल सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी का न लड़ना सपा को अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का समर्थन माना जा रहा है।

कांग्रेस की ओर से जारी की गई पहली सूची में ही करहल सीट से ज्ञानवती यादव को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की गई थी मगर मंगलवार को उन्हें पार्टी ने नामांकन करने से रोक दिया। सियासी जानकारों का मानना है कि इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने एक तरह से सपा को वाकओवर दे दिया है मगर जहां तक बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है तो पार्टी ने कई सीटों पर सपा को मुश्किल में डाल दिया है और इसका फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है।

मुस्लिम प्रत्याशी बिगाड़ेंगे सपा का खेल

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले दो चरणों की 113 सीटों का विश्लेषण किया जाए तो इनमें से 33 सीटों पर कांग्रेस की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी (Muslim candidates)  चुनाव मैदान में उतारे गए हैं। इन मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से निश्चित तौर पर मुस्लिम मतों का बंटवारा होगा जिसका भाजपा को सियासी फायदा हो सकता है। दस और सीटों पर भी कांग्रेस की ओर से किया गया खेल सपा को नुकसान पहुंचाने वाला साबित हो सकता है। दरअसल 10 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस ने सपा की जाति वाले उम्मीदवारों को भी टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है।

इन दस सीटों पर भी सपा का जातीय समीकरण गड़बड़ होने की आशंका जताई जा रही है। वैसे 10 सीटों पर कांग्रेस भाजपा का भी नुकसान करती नजर आ रही है क्योंकि इन सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी की जाति वाले उम्मीदवारों को ही चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के इस कदम से भाजपा उम्मीदवारों के वोटों में सेंधमारी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

इन इलाकों में बढ़ेंगी मुश्किलें

कांग्रेस की ओर से घोषित पहली सूची में सबसे ज्यादा टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए गए थे। पार्टी ने मुरादाबाद मंडल की 8 सीटों और संभल की 4 में से 2 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिए हैं। कांग्रेस छपरौली, अमरोहा, अलीगढ़, मीरगंज और ददरौली सीटों पर भी सपा को नुकसान पहुंचाती दिख रही है। इनके अलावा भी तमाम सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ते दिख रहे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 113 सीटों में से 60 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस की ओर से उतारे गए प्रत्याशी सपा, बसपा और भाजपा तीनों से अलग जाति के हैं। पार्टी की ओर से काफी संख्या में महिलाओं को उम्मीदवार बनाकर भी महिला वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की गई है।

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