यूपी: मेडिकल कालेजों में दवा खरीद-भण्डारण व वितरण की गाइडलाइन जारी

राजकीय एवं स्वशासी मेडिकल कालेजों तथा गैर स्वायत्तशासी चिकित्सा संस्थानों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में गुणवत्तापरक औषधियों का न्यूनतम दरों पर क्रय, भण्डारण, पारदर्शी वितरण तथा सभी भर्ती रोगियों के लिए ‘राउण्ड-द-क्लाक’ उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए ‘‘चिकित्सा शिक्षा विभाग औषधि प्रबन्धन मार्गदर्शिका’’ लागू कर दी है।

Update: 2020-01-03 15:32 GMT

लखनऊ: राजकीय एवं स्वशासी मेडिकल कालेजों तथा गैर स्वायत्तशासी चिकित्सा संस्थानों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में गुणवत्तापरक औषधियों का न्यूनतम दरों पर क्रय, भण्डारण, पारदर्शी वितरण तथा सभी भर्ती रोगियों के लिए ‘राउण्ड-द-क्लाक’ उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए ‘‘चिकित्सा शिक्षा विभाग औषधि प्रबन्धन मार्गदर्शिका’’ लागू कर दी है।

सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों एवं सम्बद्ध चिकित्सालयों एव गैर स्वायŸाशासी संस्थानों को इस मार्गदर्शिका के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। मार्गदर्शिका के सिद्धान्तों को सोसाइटी के द्वारा संचालित नवस्थापित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों को अपने बायलाॅज में शामिल करने की स्वतंत्रता होगी।

पहले 364 प्रकार की औषधियां निर्धारित थी

प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा, डा. रजनीश दुबे ने शुक्रवार को बताया कि इस गाइडलाइन्स के अनुसार औषधि का तात्पर्य रोगियों के उपचार में उपयोग होने वाले केमिकल्स, बायो केमिकल्स, बायोसिमिलर प्रकार की जेनेरिक औषधियों से है।

पूर्व में राजकीय तथा स्वशासी मेडिकल कालेजों व गैर स्वायत्तशासी चिकित्सा संस्थानों में लगभग 364 प्रकार की औषधियां निर्धारित थी, जिसे वर्तमान आवश्यकतानुसार 839 कर दिया गया है। इससे बाजार से स्थानीय क्रय व्यवस्था के माध्यम से औषधियों के क्रय पर रोक लगेगी व लागत में भी कमी आयेगी तथा राउण्ड द क्लाक लगभग सभी आवश्यक औषधियां मेडिकल कालेजों व सम्बद्ध चिकित्सालयों में उपलब्ध हो जायेगी।

839 में से 99 औषधियों का क्रय मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के माध्यम से

सूचीबद्ध औषधियों की 80 प्रतिशत मात्रा उप्र. मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लि. के जरिये खरीदी जायेगी। सूचीबद्ध 839 में से 99 औषधियों का क्रय मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के माध्यम से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा पूर्व से किया जा रहा है।

इन 99 औषधियों के लिए निर्माता कम्पनी का वार्षिक टर्नओवर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की तर्ज पर 20 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त 740 औषधियों के लिए निर्माता कम्पनी का वार्षिक टर्नओवर 50 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।

खरीदी जाने वाली औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निर्माता फर्म को डब्ल्यूएचओ-जीएमपी से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य होगा। गाइडलाइन के अनुसार राजकीय मेडिकल कालेजों व संस्थानों में आवश्यक औषधियों की कुल वार्षिक अनुमानित आवश्यकता का 80 प्रतिशत मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन के माध्यम से तथा 20 प्रतिशत संबंधित प्रधानाचार्य या निदेशक द्वारा आकस्मिक परिस्थितियों तथा वैकल्पिक रिजर्व के रूप में वित्तीय नियमों के अनुसार खरीदी जायेगी।

मेडिकल कालेजों व संस्थानों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में औषधियों के वितरण के लिए कालेज स्तर पर संबंधित प्रधानाचार्य या निदेशक की अध्यक्षता में एक औषधि प्रकोष्ठ का गठन किया जायेगा, जो पूरी प्रक्रिया की मानीटरिंग करेगी। इसके साथ ही इस प्रणाली को शीघ्र ही ई-फार्मेसी से भी जोड़ा जायेगा, जिससे पारदर्शिता आयेगी।

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