वीरता पुरस्कार पाकर पहली बार चर्चित हुई थीं आनंदी बेन पटेल

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की पद की शपथ लेने वाली आनंदी बेन पटेल अपनी राजनीतिक उपलब्धियों के अलावा वीरता का एक बड़ा काम भी कर चुकी हैं। इस काम के लिए उन्हें गुजरात सरकार की ओर से वीरता पुरस्कार भी दिया गया था।

Update:2019-07-29 17:32 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की पद की शपथ लेने वाली आनंदी बेन पटेल अपनी राजनीतिक उपलब्धियों के अलावा वीरता का एक बड़ा काम भी कर चुकी हैं। इस काम के लिए उन्हें गुजरात सरकार की ओर से वीरता पुरस्कार भी दिया गया था। इस पुरस्कार को पाने के बाद वे पहली बार गुजरात में चर्चा में आई थीं।

दो छात्राओं की बचाई थी जान

आनंदी बेन के जीवन से जुड़ी यह महत्वपूर्ण घटना काफी पुरानी है। हुआ यूं कि गुजरात के मोहिनाबा कन्या विद्यालय की दो छात्राओं को नर्मदा नदी में डूबने से बचाने के लिए उन्होंने अपने जान की बाजी लगा दी। अपनी युवावस्था के दौरान उन्होंने बिना आगा-पीछा सोचे दो छात्राओं को बचाने के लिए उफनती नदी में छलांग लगा दी थी और डूबती हुई लड़कियों को सुरक्षित बाहर निकाल लाई थीं। इतना बड़ा साहस दिखाने के लिए उन्हें गुजरात सरकार की ओर से वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय चर्चा में आईं आनंदी बेन के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि भविष्य में उसका नाम देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियों में शामिल होगा। बाद के दिनों में उन्होंने राजनीति में अपना लोहा मजबूती से मनवाया।

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गांधीवादी परिवार से है नाता

आनंदी बेन पटेल का ताल्लुक एक गांधीवादी परिवार से रहा है। उनका जन्म 21 नवंबर, 1941 को हुआ था। बचपन से ही वह खेलकूद और एथलेटिक्स में सक्रिय थीं और उन्होंने कई प्रतिस्पर्धाओं में पुरस्कार भी जाता। उनकी शादी मफतभाई पटेल के साथ हुई, जो उन दिनों गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे।

मोदी व वाघेला ने भाजपा से जोड़ा

वीरता पुरस्कार मिलने के बाद पति के मित्र नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुडऩे और महिलाओं को पार्टी के साथ जोडऩे के लिए कहा। 1987 में आनंदी बेन गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर भाजपा में शामिल हो गईं। पार्टी में उन दिनों कोई मजबूत महिला नेता नहीं थी। इसलिए कुछ ही दिनों में आनंदी बेन की कामयाबी का रास्ता खुल गया और वे भाजपा में एक निडर नेता के तौर पर उभरीं।

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सात साल में बन गईं राज्यसभा सदस्य

राजनीति में आने के सात साल बाद ही वे 1994 में गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनीं। उसके बाद 1998 से 2012 तक वे लगातार गुजरात विधानसभा की सदस्य चुनी गईं। केशुभाई पटेल की सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री का पद मिला। इसके बाद 2007-2014 तक उन्होंने राजस्व मंत्री का कार्यभार संभाला।

2014 में बनीं गुजरात की पहली महिला सीएम

2014 में वे गुजरात के सर्वोच्च राजनीतिक पद पर पहुंचीं। 22 मई, 2014 को वे गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री चुनी गईं। अपने कार्यकाल में उन्होंने गुजरात को 100 प्रतिशत खुले में शौच-मुक्त करने का अभियान चलाया। इसके साथ ही उनकी एक योजना भी चर्चा का विषय बनी। उन्होंने सभी महिलाओं के लिए कैंसर की जांच और मुफ्त इलाज की शुरुआत की। उन्होंने नर्मदा के पानी को खेतों तक पहुंचाने का भी जोतोड़ अभियान चलाया। बाद में उन्होंने निजी कारणों से सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह विजय रूपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया।

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कई बार कर चुकी हैं विदेश का दौरा

आनंदी बेन ने कई मौकों पर विश्व पटल पर भारत और गुजरात का प्रतिनिधित्व किया। 1996 में उन्होंने भारतीय संसदीय दल के साथ बुल्गारिया की यात्रा की। इसके साथ ही वे फ्रांस, जर्मनी, हॉलैंड, इंग्लैंड, नीदरलैंड, अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको आदि की शिक्षा अध्ययन यात्रा में भी शामिल रहीं। वे कई अन्तरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। मई, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ उन्होंने चीन का दौरा किया था।

साल भर पहले बनी थीं एमपी की राज्यपाल

मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने 23 जनवरी, 2018 को मध्यप्रदेश की राज्यपाल का कार्यभार संभाला। 15 अगस्त, 2018 को उन्हें मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। अब उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल बनाया गया है। सोमवार को उन्होंने पदभार संभाल लिया है।

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