Shikshak Sanyukt Morcha: आखिर क्यों करने जा रहा है कर्मचारी संयुक्त मोर्चा नौ दिसम्बर को कार्य बंदी

Shikshak Sanyukt Morcha: कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Monika
Update: 2021-12-06 05:57 GMT

कर्मचारी संयुक्त मोर्चा कामबंदी (फोटो : सोशल मीडिया ) 

Shikshak Sanyukt Morcha: उत्तर प्रदेश के कर्मचारी एक बार फिर लामबंद होने को हैं। अपनी मांगो को लेकर कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा (shikshak sanyukt morcha) नौ दिसम्बर (9 December) को कामबंदी (kambandi) करने की तैयारी कर रहा है। मोर्चे का मानना है कि कई बार वार्ता के बाद भी अब तक राज्य सरकार (State Government) का उनकी मांगो के प्रति गंभीरतापूर्ण रुख नहीं दिखाई दे रहा है।

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। वेतन (salary ) समिति की रिपोर्ट तीन वर्ष से लागू नहीं हो रही है। इसलिए उन्हे मजबूरी में कार्यबंदी का फैसला लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। मोर्च के नेताओं ने इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि कर्मचारियों एवं शिक्षकों की नाराजगी एवं आक्रोश विधान सभा के चुनाव में सत्ताधारी दल के लिए भारी पड़ेगा। उनका कहना है कि कई बार अपनी मांग को रखने के बाद भी अधिकारी मामले को टालने का प्रयास करते आ रहे हैं जिसके कारण प्रदेश का कर्मचारी नाराज एवं आक्रोशित है इसलिए आंदोलन करना पड़ रहा है।

कई बार मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा

मोर्चा के महासचिव शशी कुमार मिश्र, अतुल मिश्र व सुनील यादव ने बताया कि मोर्चा की तरफ से कई बार मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा गया। लेकिन अबतक इस मामले में कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने की पहल नहीं की है।

इन नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार के सर्वोच्च अधिकारी उन कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय नहीं कर रहे हैं जो कोरोना के दौरान अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। इनमें डिप्लोमा फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट तथा नर्सेज के वेतन एवं पदनाम परिवर्तन आदि मामलें शामिल हैं।

इसके अलावा सिंचाई और व्यापार कर आदि के कई संवर्गों की नियमावलियां स्थानीय निकायों के दिसंबर 2001 तक के दैनिक कर्मचारियों के विनियमितीकरण और उनके पदों के पुनर्गठन के साथ ही वेतन विसंगतियां समेत सभी राजकीय निगमों के कर्मचारियों को घाटे के नाम पर सातवें वेतन आयोग को लागू न करने तथा महंगाई भत्तों का भुगतान नियमावली के सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं दिए जा रहे हैं।

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