इन दो राष्ट्रीय पार्टियों के सामने सम्मान बचाने की चुनौती, किसी के पास उम्मीदवार नहीं तो कोई अंतर्कलह से जूझ रही
UP Nikay Chunav 2023: लंबे वक्त से कांग्रेस पार्टी अपनी अंदरूनी लड़ाई से ही परेशान रहती है। निकाय चुनाव से पहले ही कांग्रेस 25 सीटों पर बाहर हो गई है। इन सीटों पर कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है। माना जा रहा है कि खींचा तानी को लेकर किसी को टिकट नहीं मिल सका
UP Nikay Chunav 2023: दो राष्ट्रीय पार्टियां जिनका कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम किरदार था। नंबर एक की पार्टी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। आज दोनों अपने आस्तित्व के लिए लड़ रही हैं। बसपा वह पार्टी है, जिसके पास टिकटार्थियों की लंबी लाइन लगी रहती थी, लेकिन वर्तमान आलम यह है कि कानपुर जैसे शहर में ढूंढ़ने से भी उसे प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के 110 सिटिंग पार्षदों में आज उसके पास सिर्फ तीन ही बचे हैं। बाकी दूसरे दलों का रुख कर चुके हैं।
लंबे वक्त से कांग्रेस पार्टी अपनी अंदरूनी लड़ाई से ही परेशान रहती है। निकाय चुनाव से पहले ही कांग्रेस 25 सीटों पर बाहर हो गई है। इन सीटों पर कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है। माना जा रहा है कि खींचा तानी को लेकर किसी को टिकट नहीं मिल सका, जबकि 24 सीटों पर दो उम्मीदवारों ने नामांकन कर दिये थे। कई सीटों अभी भी मनमुटाव की बातें सामने आ रही हैं। वहीं, लखनऊ शहर अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। जानकारों की मानें तो यह कमजोर मैनेजमेंट के चलते व कार्यकर्ताओं की अनदेखी का परिणाम है।
कानपुर में नहीं मिले प्रत्याशी
इस बार बसपा की स्थिति छेटे राजनीतिक पार्टियों की तरह हो गई है। निकाय चुनाव में इसे सभी वार्डों के लिए प्रत्याशी नहीं मिले। 110 वार्डों में सीर्फ 70 वार्डों में ही प्रत्याशियों के उतारे जाने का दावा किया जा रहा है। कानपुर में तो ये आलम रहा कि ढूंढ़ने पर भी पार्टी को कोई प्रत्याशी नहीं मिला। इसके बाद मजबूरन उस सीट को खाली छोड़ना पड़ा। इसके अलावा पंचायत, पालिकाओं की सीटों पर पार्टी को उम्मीदवार काफी मसक्कत के बाद भी नहीं मिले। नाराज मायावती मुख्य जोनल प्रभारी मुनकाद अली उनके पद से हटा दिया है।
पिछले चुनाव के आंकड़े
2017 के निकाय चुनाव में पूरे यूपी में बसपा के 147 पार्षद जीते थे। लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो पांच सीट बसपा ने जीता वो भी अपने धुर विरोधी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद जबकि कांग्रेस को सीर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। विधानसभा चुनाव 2022 में तो बसपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। लगभग तीन दशकों तक उत्तर प्रदेश में राज करने वाली कांग्रेस को अपना आस्तित्व बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं, चार बार की मुख्यमंत्री मायावती ने भी नहीं सोचा होगा कि कभी उनकी पार्टी की ऐसी हालत होगी। फिलहाल, वह पार्टी को ऊंचाइयों पर ले जाने की भरसक कोशिश में लगी हैं।