UP Nikay Chunav 2023 Result: नगर पालिका से पंचायत तक निर्दलीयों का दबदबा, बिखरी सपा से दूर हो गए मुस्लिम मतदाता

UP Nikay Chunav 2023 result: निर्दलीयों ने दो नगर पालिकाओं और 12 नगर पंचायतों में कब्जा जमा लिया। भाजपा के हिस्से सिर्फ एक नगर पालिका और तीन नगर पंचायत ही आई।

Update:2023-05-14 00:48 IST
UP Nikay Chunav 2023

UP Nikay Chunav 2023 Result: नगर निकाय चुनाव में नगर पालिका से लेकर नगर पंचायत तक निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा रहा। शनिवार को वोटों की गिनती के बाद भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा को करारी शिकस्त मिली। निर्दलीयों ने दो नगर पालिकाओं और 12 नगर पंचायतों में कब्जा जमा लिया। भाजपा के हिस्से सिर्फ एक नगर पालिका और तीन नगर पंचायत ही आई। कई जगह भाजपा समेत सभी बड़े दलों की जमानत जब्त हो गई। खासबात यह रही कि कई प्रत्याशी ऐसे भी जीते जो भाजपा से टिकट मांग रहे थे। सपा, बसपा और कांग्रेस का तो सूपड़ा साफ हो गया। जीत के बाद प्रत्याशिों ने खुशी का इजहार किया। बधाई देने का सिलसिला चलता रहा।

तीन नगर पालिका और 16 नगर पंचायतों की मतगणना सभी तहसील मुख्यालयों पर कराई गई। सुबह से ही चौंकाने वाले रुझान आने लगे। भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस को निर्दलियों ने पटखनी दी। नगर पालिका उन्नाव से भाजपा प्रत्याशी श्वेता मिश्रा ने जीत हासिल की। इस जीत के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा मानी जा रही है। वहीं नगर पालिका गंगाघाट और बांगरमऊ में भाजपा ने जिसे टिकट नहीं दिया उसी ने पटखनी दे दी। गंगाघाट से सैनिक संदीप पांडेय की पत्नी कौमुदी पांडेय की लहर ऐसी चली कि सभी सियासी दल हवा हो गए। निर्दलीय कौमुदी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। बांगरमऊ पालिका सीट पर निर्दलीय रामजी गुप्ता ने जीत हासिल की।

नगर पंचायतों में तो सियासी दलों की खूब किरकिरी हुई। नगर पंचायत सफीपुर और मौरावां में प्रतिष्ठा की लड़ाई थी। मौरावां में विधायक अनिल सिंह विवेक सेठ के साथ लगे थे। यहां निर्दल प्रत्याशी विवेक सेठ ने जीत हासिल की। सफीपुर में विधायक बंबालाल दिवाकर हरिशरण लाला की पत्नी उमा देवी गुप्त को टिकट दिलाकर आए थे। भाजपा ने सौरभ बाजपेयी की पत्नी गरिमा बाजपेयी को टिकट नहीं दिया था। निर्दलीय के रूप में उतरीं गरिमा ने भाजपा प्रत्याशी को धूल चटा दी। नगर पंचायत पुरवा, औरास, रसूलाबाद, हैदराबाद, गंजमुरादाबाद, अचलगंज, मोहान, बीघापुर, मौरावां, सफीपुर, ऊगू, कुरसठ में निर्दलीयों ने परचम लहरा दिया। हालांकि न्योतिनी, भगवंतनगर और फतेहपुर चौरासी में भाजपा की जीत हुई।

शहर के मतदाताओं ने भाजपा की रख ली लाज

नगर निकाय चुनाव में 18 प्रत्याशी में से भाजपा के छह प्रत्याशी भी नहीं जीत सके। टिकट वितरण में पक्षपात कहें या फिर संगठन का बिखराव भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उन्नाव नगर पालिका के मतदाताओं ने मुख्यमंत्री की जनसभा के बाद भाजपा की लाज रख ली। फिर भी दो नगर पालिका और 12 नगर पंचायतों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा का जिला संगठन टिकट वितरण में चूक कर गया। वह अपने जिताऊ उम्मीदवार चुनकर नहीं भेज सका। भाजपा से टिकट मांग रहे कई प्रत्याशी निर्दल चुनाव मैदान में उतर गए और जीत हासिल की। भाजपा की कई जगह जमानत जब्त हो गई। शुरुआती दौर में ही संगठन की अंदरूनी रार दिखने लगी थी। भाजपा के तमाम दिग्गज संगठन से दूर होते दिखे। वह खुलकर सामने नहीं आए। भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश कटियार ने चुनाव के दिन सोशल मीडिया में अपने सभी 18 प्रत्याशियों का फोटो शेयर किया था और जनता का समर्थन मांगा था। उनके फोटो में ना तो जिले का कोई पुराना वरिष्ठ नेता दिखा और न ही विधायक। तमाम लोग पार्टी की नीतियों से नाराज होकर घर में बैठ गए। चुनाव से पहले ही संगठन की अंतर्कलह उजागर होने लगी। यहीं तक की सोशल मीडिया पर पार्टी के लोग भी विरोध जताने लगे। वह इशारों में पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ तंज कसते हुए दिखे।

उन्नाव नगर पालिका सीट से विमल द्विवेदी अपनी पत्नी अनीता द्विवेदी के लिए टिकट मांग रहे थे। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। ना ही उन्हें मना सकी। वह बसपा के टिकट से लड़े और 13 हजार वोट से अधिक हासिल किए। गंगाघाट में तमाम पुराने दिग्गजों की चाहत थी कि यहां अबकी टिकट में बदलाव हो पर ऐसा नहीं किया गया। फौजी संदीप पांडेय पत्नी कौमुदी पांडेय के लिए टिकट मांग रहे थे। टिकट नहीं मिला तो पत्नी को निर्दलीय उतार दिया। भाजपा को यहां कई हजार वोटों से हार झेलनी पड़ी। यही नहीं नगर पालिका बांगरमऊ से रामजी गुप्ता को भी भाजपा ने टिकट नहीं दिया। 2017 में रामजी गुप्ता दूसरे स्थान पर थे। इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय उतर गए। रामजी ने भाजपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी। भाजपा नगर पंचायतों में भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी। सभी सीट जीतने का दावा कर रही भाजपा नगर पंचायत में फिसड्डी रही।

महिला सीट पर पिछड़ा दांव में पिछड़ गई सपा

सपा ने निकाय चुनाव में बहुत खराब प्रदर्शन किया। नगर और गंगाघाट में सपा का पिछ़ड़ा और अगड़ा चुनाव करने का मंसूबा पूरी तरह से फेल हो गया। सपा को मुंह की खानी पड़ी। महिला सीट पर पिछड़ा प्रत्याशी उतारना सपा के लिए घाटे का सौदा रहा। संगठन की नाकामी की वजह से सपा के हिस्से की एक सीट नगर पालिका उन्नाव हाथ से फिसल गई। यहां तक कि नगर पंचायतों में भी सपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। सपा तमाम सीटों पर प्रत्याशी उतार नहीं सकी। जहां प्रत्याशी उतारे वहां जीत नहीं सके। सपा से मुस्लिम वोट बैंक फिसल गया। यहां आल इंजिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी की सबीहा आयशा को छह हजार से अधिक वोट मिला। मुस्सिम इलाके में भी सपा की साइकिल नहीं चल पाई।

सपा ने निकाय चुनाव से पहले राजेश यादव को जिलाध्यक्ष बनाया था। सपा से टिकट की दावेदारी करने वालों की लंबी फेहरिस्त थी। टिकट वितरण को लेकर सपा के पुराने कार्यकर्ताओं में रोष देखने को मिला। तमाम लोग पार्टी से कटने लगे। लोकसभा प्रभारी अन्नू टंडन के साथ कांग्रेस छोड़कर आए अवधेश सिंह की पत्नी मीरा सिंह को प्रबल दावेदार माना जा रहा था। क्योंकि 2017 में मीरा सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर 15226 वोट हासिल किया था। 2017 में सपा से ऊषा कटियार ने जीत हासिल की थी। 2023 में यह सीट फिर महिला के लिए आरक्षित हुई। माना जा रहा था कि मीरा सिंह को टिकट मिलेगा। इसके साथ ही तमाम लोग ऐसे थे जो टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे। सपा ने इस सीट पर नीतू पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया। सपा सोच रहे थे कि जिले में पिछड़ा अगड़ा चुनाव कर देंगे और 2017 की तरह जीत जाएंगे। सपा के मंसूबे पर शहर के मतदाताओं ने पानी फेर दिया और करारी शिकस्त दी।

मतगणना हुई तो सपा के हाथ से मुस्लिम वोट बैंक खिसकता दिखा। मुस्लिम इलाके में सपा को कम वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी से सपा प्रत्याशी काफी पीछे रहीं। यही नहीं गंगाघाट सीट पर भी सपा ने पिछड़ा दाव खेला। यहां वीरेंद्र शुक्ला की पत्नी अनीता शुक्ला दावेदारी कर रही थीं। 2017 में निर्दल प्रत्याशी के रूप में अनीता को 3643 वोट मिले थे। उन्होंने अबकी अपना नामांकन कराया था। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रोली निषाद को सपा ने प्रत्याशी बनाया और फिर उन्हें बदल दिया। इस सीट पर सपा ने अलका यादव को चुनाव मैदान में उतारा। यहां सपा जमानत भी बचाने में नाकाम रही। चुनाव में सपा संगठन एक साथ नहीं दिखा। यहां तक कि सपा की ओर से जो विज्ञापन जारी किया गया उसमें मोहान प्रत्याशी रही आंचल वर्मा की फोटो हटा दी गई। इससे आपसी तनातनी साफ हो गई। इसके साथ ही संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं ने हथियार डाल दिए। वह पार्टी के प्रत्याशियों के साथ प्रचार करते नहीं दिखे। यही वजह थी कि सपा सिर्फ नौ जगह ही अपने प्रत्याशी उतार सकी। सपा ने पिछड़ा दांव खेला और खुद पिछड़़ गई।

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