UP New Transfer Policy: तीन साल पूरे कर चुके पुलिसकर्मियों के होंगे ट्रांसफर, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लाई गई नई स्थानांतरण नीति

UP News: यूपी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय की ओर से नई स्थानांतरण नीति का आदेश जारी किया गया है।

Update: 2023-09-24 07:53 GMT

सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)

UP News: उत्तर प्रदेश में अब कोई पुलिसकर्मी किसी जिले में तीन साल से अधिक तैनात नहीं रह सकेगा। जिन-जिन जिलों में ऐसे पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिनका सेवाकाल तीन साल पूरा हो चुका है या पूरा होने को है, उनके स्थानांतरण की तैयारी शुरू कर दी गई है। यूपी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय की ओर से नई स्थानांतरण नीति का आदेश जारी किया गया है।

नई स्थानांतरण नीति की प्रमुख बातें -

- जिनकी सेवाएं एक जिले में 3 वर्ष पूर्ण हो चुकी है या दिनांक 31.05.2024 तक पूर्ण हो जाएगी, उनका तबादला किया जाए।

- निर्वाचन कार्य में लगा कोई भी निरीक्षक/उप निरीक्षक पुलिस अपने गृह जिले नियुक्त हो तो उसे जिले से ट्रांसफर किया जाए।

- वे पुलिस निरीक्षक जो कट ऑफ डेट दिनांक 31.05.2024 तक विगत चार वर्षों में 3 वर्ष की अवधि पूरी कर रहे हैं, को उस जिले से अन्य जिले में ट्रांसफर किया जाना है।

- जो निरीक्षक दिनांक 31.05.2024 से पूर्व उस विधानसभा क्षेत्र में हुए सामान्य/उप निर्वाचन में नियुक्त रहे हैं या लगातार नियुक्त हैं, को भी उस जिले से अन्य जिले में ट्रांसफर किया जाएगा।

- जो उपनिरीक्षक विगत चार सालों में तीन वर्ष की अवधि कट ऑफ डेट दिनांक 31.05.2024 तक उस पुलिस सब डिवीजन में पूर्ण कर रहे हैं, का ट्रांसफर उस पुलिस सब डिवीजन से दूसरे पुलिस सब डिवीजन जो उस विधानसभा क्षेत्र में न पड़ता हो में स्थानान्तरित किया जाना है। अगर जिले के छोटे क्षेत्र की वजह से यह किया जाना संभव न हो तो उसे जिले से बाहर स्थानान्तरित किया जाए।

- जो उपनिरीक्षक दिनांक 31.05.2024 से पूर्व उस विधानसभा/लोकसभा क्षेत्र में हुए सामान्य/उपनिर्वाचन में नियुक्त रहे हैं या लगातार नियुक्त हैं, का भी ट्रांसफर उस पुलिस सब डिवीजन से अन्य विधानसभा क्षेत्र में किया जाए।

- तीन साल की अवधि में निरीक्षक/ उप निरीक्षक की उस जिले में पदोन्नति से पूर्व की नियुक्ति अवधि को भी जोड़ा जाएगा। 

बता दें कि डीजीपी मुख्यालय ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यह कार्य दिनांक 30.09.2023 तक यानी इस माह के आखिरी तक अवश्य पूर्ण कर ली जाए और इस आशय का प्रमाणपत्र मुख्यालय को उपलब्ध करायें। बताया जा रहा है कि ये सारी कवायद आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है। 

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