UP Politics: 2024 के लिए पकने लगी विपक्ष की खिचड़ी, आजम के जेल से बाहर आते ही हो सकता है नए मोर्चे का एलान
UP Politics: 2024 में विपक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश में एक नया गठजोड़ बनाने की तैयारी चल रही है। अभी इस गठजोड़ की तस्वीर साफ नहीं है।
UP Politics: 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अभी से खिचड़ी पकने लगी है। अभी तक के जो संकेत मिल रहे हैं वें समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए अच्छे नहीं हैं। राजनीतिक हलकों से छनकर आ रही खबरों पर यकीन करें तो 2024 में विपक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश में एक नया गठजोड़ बनाने की तैयारी चल रही है। अभी इस गठजोड़ की तस्वीर साफ नहीं है लेकिन इतना तय है कि इस नए गठजोड़ में समाजवादी पार्टी नहीं होगी।
इस नए संभावित गठजोड़ में चौधरी जयन्त सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, शिवपाल यादव की पार्टी शामिल होंने की चर्चाएं राजनीतिक हलको में गश्त कर रही हैं। कांग्रेस भी इस गठजोड़ में शामिल हो सकती है। सीतापुर जेल (Sitapur Jail) में करीब ढाई साल से बंद आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों के साथ हाल में हुई रालोद, प्रसपा, कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी व कांग्रेस नेताओ की मुलाकातें प्रदेश में नए मोर्चे के गठित होने की चुगली कर रही हैं। आज कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जेल में आजम खान से मुलाकात करने के बाद इस बात का इशारा कर भी दिया कि आजम खान के जेल से बाहर आते ही यूपी की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होगा।
जयंत और आजम की नजदीकी के चर्चे
इससे पहले हाल के यूपी चुनावों में सपा के साथ गठजोड़ करने वाले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी 20 अप्रैल को रामपुर में आजम खान के परिवार से मिलने पहुंचे थे। यह तब है जब खान खेमा कथित तौर पर सपा नेतृत्व द्वारा 'अनदेखा' किए जाने से परेशान बताया जा रहा है। पहले माना गया कि अखिलेश यादव के कहने पर जयंत रामपुर गए हैं, लेकिन उसी दिन अखिलेश ने आगरा में साफ कर दिया कि जयंत को मैंने नहीं भेजा। जिसके बाद जयंत और आजम की नजदीकी को सियासी हल्के में खास तरह से जोड़कर देखा जाने लगा। इसके बाद 22 अप्रैल को अखिलेश यादव से नाराज चाचा शिवपाल यादव ने सीतापुर जेल पहुंच कर आजम खान से मुलाकात की। उन्होंने साफ कहा कि अखिलेश चाहते तो आजम खान रिहा हो सकते थे।
कांग्रेस नेता ने की आजम खान से मुलाकात
इसके साथ आजाद समाज पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष अब्बास गाजी भी आजम खान के घर जाकर उनकी पत्नी और बेटे से मिले और भरोसा दिलाया कि उनके अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद जल्द परिवार और आजम खान से मिलेंगे। चंद्रशेखर पहले भी आजम खान के पक्ष में आवाज बुलंद करते रहे हैं। इसी क्रम में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी आजम खान को पत्र भेजकर अपनी पार्टी में आने का न्योता दे चुकी हैं। आज कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जेल में आजम खान से करीब सवा घंटे की मुलाकात करने के बाद कहा कि आजम खान सपा से बहुत नाराज हैं।
उन्होंने (आजम) कहा कि वह किसी सपा नेता से नहीं मिलना चाहते हैं। शक्ल तक नहीं देखना चाहते हैं। कांग्रेस नेता की बात में सच्चाई भी नजर आती है। क्योंकि एक दिन पहले सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा आजम खां से मिलने जेल पहुंचे पर आजम ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया। जबकि सोमवार को आजम खान और कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम के बीच सीतापुर जेल में करीब सवा घंटे तक मुलाकात चली
दरअसल, इस संभावित गठजोड़ की जरुरत में विपक्ष में विधानसभा चुनाव के नतीजों के ठीक बाद से ही होने लगी थीं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव 2022 के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की उनके चाचा प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव से संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। हाल ही में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बयानों से बहुत कुछ सियासी तस्वीर इसी ओर इशारा कर रही है। शिवपाल यादव खुद को पार्टी से निकालने की बात भी कह चुके हैं।
शिवपाल यादव की मानिन्द रामपुर से दस बार के एमएलए आजम खान भी अखिलेश यादव से नाराज बताए जाते हैं। दरअसल, आजम खान और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी आजम खान को विधानसभा में नेता विपक्ष बनाएगी, उसके बाद कानूनी शिकंजा ढीला पड़ जाएगा। इसलिए उन्होंने सांसद का पद भी छोड़ दिया, लेकिन अखिलेश यादव खुद नेता विपक्ष बन गए। इससे आजम समर्थकों मे नाराजगी सामने आई। उनके मीडिया प्रभारी फसाहत शानू ने बाकायदा मीडिया के सामने सपा और अखिलेश पर आजम का साथ नहीं देने का आरोप लगाया। उसके बाद जगह-जगह से आजम की रिहाई की आवाज उठने लगीं। सूबे के कई सपाइयों ने अपने पद से आजम के पक्ष में इस्तीफा दे दिया।
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