UP Power Privatisation: संघर्ष समिति का मनगढ़ंत प्रोपेगंडा करने का कारपोरेशन पर आरोप, पूछा बिना अप्रूवल कैसे जारी किया RFP

UP Power Privatisation: संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों के गुस्से को देखते हुए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन एफएक्यू के नाम से मनगढ़ंत प्रश्नोत्तरी आए दिन जारी कर रहा है जिसके झांसे में बिजली कर्मी आने वाले नहीं हैं।;

Newstrack :  Network
Update:2024-12-05 12:25 IST

UP Power privatization   (photo: social media )

UP Power Privatisation: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि पॉवर कारपोरेशन निजीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में मनगढ़ंत प्रोपेगेंडा कर रहा है। उन्होंने कहा कि झूठ और धमकी के सहारे कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने सवाल उठाया है कि निजीकरण का आरएफपी प्रबन्धन बिना अप्रूवल के कैसे जारी कर सकता है।

इसी के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने एक बार फिर चेताया है कि झूठे आंकड़ों और धमकी के बल पर पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन हजारों कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। संघर्ष समिति ने यह सवाल भी उठाया है कि आए दिन कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में मनगढ़ंत प्रोपेगेंडा कर रहे पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ने बिना किसी अप्रूवल के निजीकरण का आरएफपी डॉक्यूमेंट कैसे सर्कुलेट करना शुरू कर दिया है। साफ है यह सब झूठ का पुलिंदा है और बिजली कर्मचारी इससे भ्रमित होने वाले नहीं है।

कर्मचारियों की भारी संख्या में छंटनी और पदावनति

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों के गुस्से को देखते हुए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन एफएक्यू के नाम से मनगढ़ंत प्रश्नोत्तरी आए दिन जारी कर रहा है जिसके झांसे में बिजली कर्मी आने वाले नहीं हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के बाद कर्मचारियों की भारी संख्या में छंटनी और पदावनति होने वाली है। आउटसोर्स कर्मचारी तत्काल हटा दिए जाएंगे। निजीकरण के बाद यही आगरा और अन्य स्थानों पर हुआ है।

समिति ने प्रबंधन को इस बारे में सार्वजनिक तौर पर या किसी भी न्यूज चैनल पर खुली बहस की चुनौती देते हुए कहा कि प्रबंधन संघर्ष समिति द्वारा उठाए जा रहे सवालों का कर्मचारियों के सामने जवाब दे तो दूध का दूध और पानी का पानी स्वतः साफ हो जाएगा। विडम्बना यह है कि आउट सोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन तक न देने वाला प्रबन्धन उन्हें निजीकरण के बाद के सब्जबाग दिखा रहा है।

ताजा प्रश्नोत्तरी में आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी 

इसी के साथ संघर्ष समिति ने पूछा कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा जारी की गई ताजा प्रश्नोत्तरी में आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी किया गया है। कार्पोरेशन प्रबंधन को यह बताना चाहिए की आरएफपी डॉक्यूमेंट निविदा मांगने के पहले कैसे सार्वजनिक किया जा रहा है इसका आधार क्या है ?

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण की असली तस्वीर कर्मचारियों के सामने प्रस्तुत करने के लिए उड़ीसा और दिल्ली के कर्मचारी उत्तर प्रदेश आएंगे और विभिन्न स्थानों पर जाकर कर्मचारियों के बीच निजीकरण होने के बाद कर्मचारियों की छटनी, सेवा शर्तें पूरी तरह प्रभावित होने और दुर्दशा के घटनाक्रम से सीधे कर्मचारियों को अवगत कराएंगे।

समिति ने एक बार फिर कहा है कि पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन अपने पद का और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिजली व्यवस्था में सुधार या महाकुंभ की बिजली व्यवस्था कैसे और बेहतर बनाई जाए इन सवालों पर चर्चा करने के बजाय निजी कंपनी के प्रवक्ता की तरह निजी क्षेत्र की खूबियां बताने में और निजीकरण के विरोध में बोलने वाले कर्मचारियों को बर्खास्तगी की धमकी देने में व्यस्त है। संघर्ष समिति इन बातों से भलीभांति अवगत है और संघर्ष समिति ने इस मामले में विधिक कार्यवाही के लिए हाईकोर्ट के वकीलों का एक पैनल बना दिया है जो यथा समय विधिक करवाई सुनिश्चित करेगा और कर्मचारियों का कोई अहित नहीं होने देगा।

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