UP STF ने परीक्षा लिपिक को पकड़ा, फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर लोगों को बनाता था शिक्षक

यूपी एसटीएफ ने आज शनिवार को जिस जालसाज सरगना को गिरफ्तार किया है, इसका नाम नरेंद्र कनौजिया है। यह प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकरण कार्यालय में कनिष्ठ लिपिक पद पर तैनात है।

Report :  Sandeep Mishra
Published By :  Ashiki
Update: 2021-09-18 11:59 GMT

कांसेप्ट इमेज (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: यूपी एसटीएफ ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षक भर्ती कराने वाले रैकेट के सरगना को आज गिरफ्तार कर लिया है। इस सरगना के तीन साथियों को एसटीएफ की टीम कल लखनऊ के थाना विभूतिखण्ड से गिरफ्तार करने में पहले ही कामयाब हो चुकी है। बीते शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए तीनों जालसाजों से रात भर की गई पूछताछ के बाद आज शनिवार को एसटीएफ की टीम ने इस गिरोह के सरगना को भी गिरफ्तार किया है।

कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र गिरफ्तार

यूपी एसटीएफ ने आज शनिवार को जिस जालसाजी के सरगना को गिरफ्तार किया है, इसका नाम नरेंद्र कनौजिया है। यह प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकरण कार्यालय में कनिष्ठ लिपिक पद पर तैनात है। गिरफ्तार कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया अपने पद व गोपनीयता का दुरुपयोग कर फर्जी मार्कशीट के आधार पर अयोग्य अभ्यर्थियों को सरकारी शिक्षक बनाने का ठेका लिया करता था। शुक्रवार को एसटीएफ के द्वारा गिरफ्तार किए गए जालसाज माफिया राम निवास, रविन्द्र व संजय सिंह इसके रैकेट के ही मुख्य सदस्य थे। इन्हीं से पूछताछ के बाद नरेंद्र को गिरफ़्तार किया गया है।

फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति में करोड़ो कमाए हैं

यूपी एसटीएफ के सूत्रों ने बताया है कि गिरफ्तारी के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक से एसटीएफ के अधिकारी कड़ाई से पूछताछ कर रहे हैं। इस पूछताछ में जालसाजी के सरगना व कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र कनौजिया ने बताया कि वह फर्जी मार्कशीट के आधार पर सूबे के अलग अलग जनपदों में अब तक 100 से अधिक लोगों की प्राथमिक विद्यालयों में ज्वाईनिग करवा चुका है। उसने एसटीएफ के अधिकारियों को बताया है कि फर्जी मार्कसीट के आधार पर करवायी गई ज्वाईनिग के एवज में प्रति कैंडिडेट से 6 लाख रुपये मिलते है। इस हिसाब से यह जालसाज सरगना अपने कनिष्ठ लिपिक के पद पर रहते हुए कई करोड़ रुपये की अवैध वसूली कर चुका है।

गिरफ्तार रामनिवास भी था फर्जी शिक्षक

जालसाज माफिया व कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र कनौजिया ने बताया कि उसने ही फर्जी मार्कशीट का सत्यापन कर राम निवास को शिक्षक बनवाया था।बाद में जब इसे विभागीय जांच में फर्जी मार्कशीट के आधार पर शिक्षक बनना पाया गया,तब उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उसके बाद से वह भी कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र के रैकेट से जुड़ गया और फर्जी मार्कशीट के आधार पर शिक्षक बनवाने का ठेका लेने लगा था।जिसके एवज में नरेंद्र, राम निवास को प्रति कैंडिडेट 50 हजार रुपये देता था।

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की अब जांच जरूरी

हालांकि आज शनिवार को यूपी एसटीएफ के द्वारा गिरफ्तार किए गए परीक्षा नियामक प्राधिकरण कार्यालय के कनिष्ठ लिपिक से इस बात की जानकारी ली जा रही है कि उसने सूबे के किन किन जनपदों के किस किस प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर तैनाती करवाई है?लेकिन अब सरकार व शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के लिए भी यह बेहद गम्भीर जांच का मामला है। हालांकि सूबे की योगी सरकार ने पूर्व में फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर तैनाती पाए शिक्षकों के ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए थे। इटावा जैसे कई जनपदों में फर्जी शिक्षक पकड़े भी गए और उन्हें बर्खास्त भी किया गया । लेकिन बाद में सरकार के इस आदेश को सूबे के शिक्षक संगठनों ने राजनीति का रंग दे दिया। योगी सरकार के इस आदेशों को शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जो अब तक ठंडे बस्ते में ही पड़ा है।

Tags:    

Similar News