33 हजार करोड़ दबाए बैठा है यूपीपीसीएल… फिर क्यों कर रहे महंगी बिजली

Electricity Rate Increased: यूपी विद्युत नियामक आयोग की पहली बैठक में उपभोक्ता परिषद का दावा, कार्पोरेशन पर उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ बाकी है।

Written By :  Snigdha Singh
Update:2024-07-08 22:31 IST

Electricity Rate Increased: यूपी पॉवर कार्पोरेशन के खर्च बढ़ने और वार्षिक घाटे को आधार बनाकर बिजली महंगी करने की मांग पर सोमवार को यूपी विद्युत नियामक आयोग ने आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार की अध्यक्षता में पहली जनसुनवाई की। इसमें बिजली दरों को बढ़ाने का विरोध किया गया। उपभोक्ताओं का पक्ष रख रहे उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली की दरें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं। पॉवर कार्पोरेशन पर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। इसको समायोजित किया जाए तो एक बार में 40 प्रतिशत और पांच साल में प्रति वर्ष आठ प्रतिशत बिजली की दरें कम हो जाएंगी।

आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार ने कहा कि हर साल बिजली की दरों के निर्धारण के लिए बिजली कंपनियां अपने खर्च का ब्यौरा देती हैं। आयोग इसकी समीक्षा और निगरानी करता है। यह देखता है कि कंपनियां जो खर्च मांग रही हैं, वह मानक के मुताबिक हैं या नहीं। आयोग के तय लक्ष्य के आधार पर कंपनियां खरी नहीं उतरती हैं तो उनके बढ़े खर्च की मांग को खारिज कर दिया जाता है। अभी कानपुर में पहली जनसुनवाई है। यूपी के पांच अन्य डिस्कॉम में जनसुनवाई के बाद फैसला लिया जाएगा। चेयरमैन ने उपभोक्ताओं से भी समय पर बिजली बिल जमा करने की हिदायत दी। इस दौरान आयोग के सदस्य तकनीकी संजय कुमार सिंह, सचिव शैलेंद्र गौड़, निदेशक टैरिफ डॉ. अमित भार्गव, केस्को एमडी सैमुअल पॉल एन आदि मौजूद रहे।

बिजली खरीद और बिक्री पर सीबीआई जांच की मांग

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पावर कॉरपोरेशन की तरफ से बिजली की खरीद और बिक्री में घोटाले की आशंका जताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग मुख्यमंत्री से की। कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए वर्ष 2023-24 में 2951 मिलियन यूनिट बिजली दूसरे राज्यों से 2741 करोड़ रुपये में खरीदी और अपनी दो गुना अधिक सरप्लस 6397 मिलियन यूनिट बिजली सिर्फ 2765 करोड़ में बेच दी। इसी तरह 2024 -25 में 1192 मिलियन यूनिट बिजली 473 करोड़ रुपये में बेची जबकि दूसरे राज्यों से 3243 मिलियन यूनिट 3096 करोड़ रुपये में खरीदी। बिजली खरीद की कोई पारदर्शी नीति नहीं है। आयोग के चेयरमैन ने बिजली कंपनियों से बिजली की योजनाबद्ध तरीके से बिजली खरीदने के निर्देश दिए।

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