BHU में अब मनुस्मृति रिसर्च प्रोजेक्ट पर मचा बवाल, अनुसूचित जाति के छात्र कर रहे विरोध...क्या है विवाद?

BHU News: रामचरित मानस पर विवाद अभी थमा नहीं था कि बीएचयू में 'मनुस्मृति' पर बवाल खड़ा खड़ा हो गया है। इसके पक्ष और विपक्ष में अपने-अपने तर्क हैं। जानें क्या है पूरा विवाद?

Written By :  aman
Update:2023-03-02 19:15 IST

BHU (Social Media)

BHU News: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में 'मनुस्मृति' (Manusmriti Research in BHU) शोध पर बवाल मचा हुआ है। मनुस्मृति रिसर्च को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय (Faculty of Sanskrit Vidya Dharma Vigyan) के धर्मशास्त्र-मीमांसा विभाग ने बीते 21 फरवरी को 'मनुस्मृति की भारतीय समाज पर प्रयोज्यता' नाम के प्रोजेक्ट के लिए फेलोशिप का विज्ञापन दिया था। जिसके बाद, 27 फरवरी तक इस प्रोजेक्ट के फेलोशिप के लिए आवेदन की समय सीमा भी पूरी हो गई।

बीएचयू की तरफ से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2024 तक की मियाद दी गई है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र-मीमांसा विभाग (Department of Dharmashastra & Mimamsa) के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शंकर कुमार मिश्रा बताते हैं, ये पहला मौका नहीं है जब मनुस्मृति पढ़ाई जा रही है। जब से उनका विभाग बना है, तभी से मनुस्मृति सहित अन्य ग्रंथ कोर्स में शामिल हैं। वो पढ़ाई जाती है।

प्रोफ़ेसर- भ्रमित लोगों को उबारने के ऐसे रिसर्च

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शंकर कुमार मिश्रा ने मीडिया को बताया, उनके यहां सभी वर्ग के छात्र आते हैं। पढ़ाई के साथ डिग्रियां लेते हैं। इसके बाद स्टूडेंट PHD भी करते हैं। स्मृतियों में मानवता के लिए उपदेश और सद-आचरण की शिक्षा से भ्रमित लोगों को उबारने के लिए ऐसे रिसर्च की आवश्यकता है। 

'वर्ग-व्यवस्था सेकेंडरी है'

शंकर कुमार मिश्रा कहते हैं, धर्मशास्त्र (Dharmshastra) में कई विचार और विषयों को सरल शब्दों तथा संक्षेप में जनमानस के सामने रखा जाए। ताकि, मानव कल्याण की बताई गई बातों से आम जनता परिचित हो। इसी उद्देश्य से कोरोना काल (Corona period) में ही प्रपोजल को आईओई (IOE) सेल में भेजा गया था। उन्होंने कहा, इस प्रोजेक्ट में मानव की बात करना चाहता हूं। बाकी वर्ग-व्यवस्था सेकेंडरी है।'

मनुस्मृति में ऐसा कुछ नहीं जो अप्रासंगिक हो

बीएचयू प्रोफ़ेसर ने कहा, 'पिछले दो-तीन दशकों में मानवता और सामाजिक पतन हुआ है। मनुस्मृति की बात करें तो इसमें ऐसा कोई प्रसंग नहीं मिला, जो असंगत और अप्रासंगिक हो। बावजूद अगर ऐसा लगता है कि मनुस्मृति की जो चीजें आज के अनुसार अप्रासंगिक मिलती है, तो मैं अपने प्रोजेक्ट में सुधार के लिए निवेदन करूंगा।'

क्या कहते हैं विरोध में उतरे छात्र

वहीं, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) के अनुसूचित जाति के छात्रों का कहना है 'देश मनुस्मृति से नहीं, बल्कि संविधान से चलता है। संविधान सभी को बराबरी का हक देता है। जबकि, मनुस्मृति वर्ण (Cast) और ऊंच-नीच की बात करती है। संविधान सभी को शिक्षा और समानता का अधिकार देता है। मनुस्मृति ऐसी शिक्षा नहीं देती। इसलिए संविधान के अनुसार इस तरह का रिसर्च प्रोजेक्ट नहीं चलना चाहिए।'

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