UP Election 2022: पश्चिमी यूपी की हारी हुई 27 सीटों को पाने के लिए भाजपा ने तेज किया धुव्रीकरण का फार्मूला

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कमजोर सीटों पर नजर गड़ा दी हैं।

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-01-03 08:09 GMT

BJP UP (Photo Concept)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव(UP Election 2022) में भाजपा एक बार फिर विकास के साथ धुव्रीकरण की राजनीति करने के लिए चुनाव मैदान में उतर चुकी है। पूर्व निधारित एजेंडे के तहत ही साम्प्रदायिकता की आग में वर्षो झुलसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मोदी योगी की जोड़ी(Modi Yogi Ki Jodi) ने अपनी मुहर लगाते हुए साफ कर दिया है  कि पार्टी इसी लाइन पर अपना चुनाव प्रचार करते हुए पश्चिम की हवा को पूर्वांचल तक ले जाएगी।  

इस रैली में भाजपा(BJP) ने इस क्षेत्र के लोगों को अतीत की याद दिलाते हुए उनके मर्म को छूने का काम किया। यहां के नाराज किसानों को पार्टी से फिर से जोड़ने की नीति के तहत की उन्हे दंगों की याद दिलाते हुए मोदी योगी की जोड़ी (Modi Yogi Ki Jodi) ने युवतियों के छेडखानी और मवेशियों के गायब होने आदि की घटनाओें को याद दिलाने का काम किया।

भाजपा ने कमजोर सीटों पर गड़ाई नजर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022(Vidhan Sabha Chunav 2022) के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कमजोर सीटों पर नजर गड़ा दी हैं। पश्चिमीय  यूपी में 16 जिलों की 27 विधानसभा की हारी सीटों पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फोकस है। इसलिए पिछले विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर भाजपा को हार मिली थी उन सीटों पर भाजपा ने दम लगाना शुरू कर दिया है।

ऐसी सीटों पर भाजपा को लाभ देने के लिए पहले ही सरकारी योजनाओं में शामिल किया जा चुका है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ रूहेलखंड की सीटों पर भी नजर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शाहजहांपुर बदायुं पीलीभीत बरेली आदि में कई योजनाओं की सौगात पहले ही दे चुके हैं।


पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गढ मेरठ में भाजपा को मुंह की खानी पडी थी। डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी समेत भाजपा के सात में से छह नेता चुनाव हार गए थें। जबकि सहारनपुर में सात में से तीन तथा मुरादाबाद मे छह में से चार पर भाजपा चुनाव हार गयी थी।इसी तरह अमरोहा और फिरोजाबाद में उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी।

भाजपा को ध्रुवीकरण का बहुत फायदा

इसी तरह बदायूं में छह में से पांच भाजपा जीती और एक हारी, उसपर सपा जीती। संभल में चार में से दो बीजेपी हारी, वहां सपा जीती। बिजनौर में 8 में से दो बीजेपी हारी, सपा जीती। रामपुर में 5 में से 3 भाजपा हारी, सपा जीती।

शामली में 3 में से एक भाजपा हारी, सपा जीती, हापुड़ में 3 में से एक बीजेपी हारी, बीएसपी विजयी हुई। शाहजहांपुर में 6 में से एक भाजपा हारी, सपा जीती। मथुरा में 5 में से एक भाजपा हारी,  हाथरस में तीन में से एक भाजपा हारी थी।

जहां तक पश्चिमी यूपी में धु्रवीकरण की बात है तो 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में भाजपा को ध्रुवीकरण का बहुत फायदा मिला था। इस बार किसान अंदोलन के चलते कुछ सीटों के नुकसान उठाने के भय से भाजपा ने हिन्दुत्व की धार तेज करने की कवायद और तेज कर दी है।

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