यूपी उपचुनाव: सभी पार्टियों में सियासी चाल तेज, इनको नहीं मिल रही संजीवनी

यह कहना गलत नहीं होगा कि सत्ताधारी बीजेपी ने अपना पलड़ा पहले से सब पर भारी रखा है। विधानसभा उपचुनाव के लिए भी पार्टी ने अपना प्लान तैयार कर लिया है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान योगी सरकार ने जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा और उपचुनाव से पहले अपना सियासी जाल बिछा दिया।

Update: 2019-08-27 05:58 GMT

लखनऊ: यूपी में विधानसभा उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने होमवर्क करने शुरू कर दिये हैं। यही नहीं, सभी पार्टियां तेजी से अपना होमवर्क खत्म करने में लगी हुई हैं। पहले ही मंत्रिमंडल का विस्तार कर चुकी यूपी सरकार उपचुनाव के लिए अपना सियासी समीकरण वाला फॉर्मूला पेश कर चुकी है।

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वहीं, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, जबकि कांग्रेस अभी भी अपने लिए संजीवनी की तलाश में जुटी हुई है।

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अभी तक सिर्फ हमीरपुर सीट पर उपचुनाव की तारीख का ही ऐलान हुआ है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की बाकी बची 12 विधानसभा सीटों का ऐलान कभी भी हो सकता है। इस स्थिति में सभी पार्टियों ने अपनी चाल सेट कर ली है। यही नहीं, जैसे-जैसे तारीख करीब आ रही हैं, वैसे-वैसे यूपी की सियासत भी गरमा रही है।

अखिलेश यादव के सामने ये है बड़ी चुनौती

समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब दोबारा से अपने संगठन को मजबूत करने में लग गए हैं। ऐसे में पार्टी ने सभी इकाइयों को भंग कर दिया है। साथ ही, अखिलेश यादव अब अपने पूरे परिवार और पुराने नेताओं को जोड़ने में लग गए हैं। इसके लिए सोमवार को अखिलेश ने पूर्व मंत्री घूरा राम समेत कई नेताओं को सपा ज्वॉइन कराई।

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अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही पार्टी में जल्द ही अंबिका चौधरी की वापसी भी होने वाली है। साथ ही, पार्टी इसपर भी चर्चा कर रही है कि उसे रामपुर सीट कैसे बचानी है। इसके अलावा अखिलेश यादव यह भी रणनीति तैयार कर रहे हैं कि मुस्लिम-ओबीसी बाहुल्य क्षेत्रों में बढ़त कैसे हासिल करनी है। बता दें, यूपी की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें से सिर्फ रामपुर सीट ही सपा के खाते में आती है। हालांकि, बीजेपी पहले ही इस सीट पर अपना चौतरफा जाल बिछा चुकी है।

बसपा मुखिया मायावती भी कर रहीं प्लानिंग

बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को इस बार लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन तोड़ लिया। अब बसपा ने उपचुनाव को लेकर अपनी तैयारियां काफी तेज कर ली हैं। बसपा मुस्लिम, ओबीसी और ब्राह्मण तबके पर ध्यान दे ही रही है।

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साथ में, पार्टी सोशल मीडिया पर भी काफी काम कर रही है। समाजवादी पार्टी की तरह बसपा के खाते में भी महज एक ही सीट है, जोकि लोकसभा चुनाव के बाद खाली हो गई है। ऐसे में बसपा के लिए अंबेडकर नगर की जलालपुर सीट बचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।

बेहद खस्ता हालत में नजर आ रही कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिल्कुल भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। ऐसे में कांग्रेस अब काफी कमजोर पार्टी के रूप में नजर आ रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी की कमान सौंपी गई थी लेकिन पार्टी कुछ भी नहीं कर पाई। यही नहीं, राहुल गांधी अमेठी से भी हर गए।

अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर की हालत भी पस्त

अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर को लोकसभा चुनाव के दौरान काफी नुकसान हुआ। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बीजेपी ने अपना दल कोटे को तवज्जो नहीं दी और अपनी मंशा साफ कर दी। वहीं, योगी कैबिनेट में सहयोगी रहे कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी अपना वजूद बचाने के लिए किसी पार्टी के सहयोग को तलाश रहे हैं।

बीजेपी का पलड़ा सबपर भारी

यह कहना गलत नहीं होगा कि सत्ताधारी बीजेपी ने अपना पलड़ा पहले से सब पर भारी रखा है। विधानसभा उपचुनाव के लिए भी पार्टी ने अपना प्लान तैयार कर लिया है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान योगी सरकार ने जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा और उपचुनाव से पहले अपना सियासी जाल बिछा दिया। यूपी की 13 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से 10 सीटें बीजेपी के अकाउंट में हैं, जिनको बचाना बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

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