लखनऊ: उत्तर प्रदेश में घाघरा, राप्ती, सरयू, गंगा, यमुना और इनकी सहायक नदियां तबाही मचाए हुए हैं। हालत यह है कि लाखों लोग घर-बार छोड़ कर भागने पर मजबूर हुये हैं। यही नहीं, बाढ़ से खेती को बहुत नुकसान पहुंचा है और हजारों हेक्टेयर जमीन डूब चुकी है। प्रदेश के सिंचाई और जल संसाधन विभाग का कहना है कि प्रदेश के तराई और गंगा बेसिन वाले क्षेत्र सबसे ज्यादा बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ के कारण तमाम गांवों से संपर्क कट गया है।
सबसे ज्यादा बुरा हाल बहराइच, फैजाबाद, गोंडा, लखीमपुर खीरी, इलाहाबाद, मिर्जापुर बलिया, महराजगंज व सीतापुर का है। इसके अलावा वाराणसी, गोरखपुर व चंदौली में भी बाढ़ का व्यापक असर है। इन जिलों में मूंग, अरहर, मूंगफली, तिल, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तिल, उर्द, और सोयाबीन जैसी फसलों की बुवाई भी बहुत कम हुई है। उन्नाव जिले में गंगा का 84 किलोमीटर का कटरी क्षेत्र हर साल की तरह इस साल भी बाठ़ से प्रभावित है।
राहत और बचाव अभियान में लगी हैं एनडीआरएफ की टीमें
घाघरा के कहर से बहराइच के बौंडी इलाके में घर, खेतों में खड़ी फसलें व स्कूल बाढ़ के पानी में डूब गये हैं। नदी का जलस्तर अब भी बढ़ रहा है। जलस्तर में उफान से घाघरा से दर्जनों गावों में कटान के कारण ग्रामीणों में दहशत है। महसी तहसील के दो दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है और हजारों बीघे में लगी फसल डूब गयी हैं। घर-बार छोड़ कर भागे गांववाले तटबंध व स्कूलों में शरण लिये हुये हैं।
घूरदेवी स्पर पर घाघरा खतरे के निशान से आठ सेमी ऊपर बह रही है। एनडीआरएफ ने मोटरबोट लगा कर सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। वैस, इस इलाके में घाघरा की बाढ़ हर साल का अफसाना है। बरसात के मौसम में हर साल दर्जनों गांव कटान के कारण बर्बाद हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में पडऩे वाले लखीमपुर खीरी इलाके में किसान बर्बादी का मंजर देख रहे हैं। यहां हजारों एकड़ फसल तबाह हो चुकी है, मवेशियों के लिये चारा नहीं बचा है। रिहायशी इलाकों में लोग बाढ़ की कटान से अपने घर खो चुके हैं। चूंकि कटान से मकान ध्वस्त होने ही हैं इसलिये गांव वाले पहले ही चौखट, पल्ले आदि तोड़ कर निकाल ले रहे हैं। हजारों लोग ऊंचे स्थानों पर खुले में रातें गुजार रहे हैं। बाढ़ की वजह से प्रदेश के अवध क्षेत्र में बुरा हाल है। सीतापुर में घाघरा व शारदा नदियां उफान पर हैं और 87 गांव बाढ़ से घिरे हैं। गांववाले छप्पर और मकानों की छत पर डेरा डाले हुये हैं।
बलरामपुर जिले में राप्ती नदी जैसे जैसे घटती जा रही है, तेजी से कटान शुरू हो गया है। इस जिले के दर्जनों गांव कटान से प्रभावित हैं जिनमें ढेरों मकान पानी में बह गये हैं। गांववालों का कहना है कि लेखपाल व अन्य अधिकारियों ने गांव में आकर सुरक्षित जगह पर जाने की बात कही थी लेकिन कहां जाएं यह बताने वाला कोई नहीं है। उतरौला तहसील के 50 गांव पानी से घिरे हुये हैं। उधर पड़ोस के श्रावस्ती जिले में राप्ती का जलस्तर बढऩे लगा है।
पानी रे पानी यानी यूपी की नंबर वन विधानसभा
महेश कुमार
सहारनपुर: ‘मैंने बनाया मकान तो बारिश में ढह गया, मैंने लगाया बाग तो बारिश नहीं हुई।’ किसी शायर का यह शेर उत्तर प्रदेश की नंबर वन विधानसभा क्षेत्र बेहट के अंतर्गत पडऩे वाले घाड़ क्षेत्र पर बिल्कुल सटीक बैठता है। यहां के बाशिंदों की बदकिस्मती ही है कि मौसम बदलने के साथ इनकी समस्याएं भी बदल जाती है। गर्मी के मौसम में पानी की बूंद-बूंद को तरसने वाले घाड़ में बरसात में पानी ही तबाही लेकर आता है। दर्जनों बरसाती नदियां घाड़ का सीना चीरकर निकलती है। जिससे प्रतिवर्ष काफी जान माल का नुकसान होता है।
बेहट विधानसभा क्षेत्र में सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी का मंदिर स्थित है। यूपी में विधानसभा चुनाव का श्रीगणेश करने से पहले भाजपा के राष्टुीय अध्यक्ष अमित शाह ने मंदिर में दर्शन करने के बाद यूपी की इस नंबर वन विधानसभा बेहट से अपना चुनावी अभियान शुरू किया था।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नरेश सैनी ने भाजपा प्रत्याशी को परास्त किया था। लोगों का मानना है कि कांग्रेस का विधायक बनने के कारण ही भाजपा सरकार इस क्षेत्र की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है
बेहट तहसील के 122 गांवों को घाड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यहंा भूजल स्तर काफी गहराई पर है, इसलिए सिंचाई के लिए ट्यूबवेल तो क्या हैंडपंप लगवाना तक लोगों के बूते से बाहर की बात है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही घाड़ के दर्जनों गांवों में पानी का संकट खड़ा हो जाता है।
बारिश न होने से सिंचाई नहीं हो पाती और फसलें भी बरबाद हो जाती हैं। इसके बाद बरसात के मौसम में पानी ही लोगों के लिए मुसीबत लेकर आता है। शिवालिक तलहटी से निकलने वाली संहस्रा खोल, शाकुम्भरी खोल, कोठड़ी खोल, खिरनियां, बादशाहीबाग, चपड़ी, गंजी, शाहजहंापुर खोल, बडक़ला खोल आदि बरसाती नदियां उफान पर आ जाती हैं। ये हर साल कृषि रकबे का कटाव तो करती ही हैं साथ ही कई गांवों का संपर्क भी तहसील मुख्यालय से कट जाता है।
घाड़वासियों को अब तक केवल आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला है। कई बरसाती नदियों पर पुल न होने के कारण गांवों का संपर्क तहसील मुख्यालय से कट जाता है। चुनाव के दौरान शाहपुर एवं हुसैन मलकपुर के लोगों ने बरसाती नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार भी किया था। उस समय उन्हें समस्या से निजात दिलाने की बात कही गई थी लेकिन आज तक स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी है।
क्या कहते हैं विधायक
बेहट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के नरेश सैनी विधायक हैं। उनका कहना है कि अब तक की जो भी सरकारें आई, सभी ने बेहट के घाड़ क्षेत्र की उपेक्षा की है। मैं घाड़ क्षेत्र के विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं। यूपी में भाजपा की सरकार होने के कारण गैर भाजपाई विधायकों वाले क्षेत्रों को नजर अंदाज किया जा रहा है।