02 अक्टूबर तक शौचालयों के निर्माण में TOP पर उत्तर प्रदेश

स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत 02 अक्टूबर तक शौचालयों के निर्माण में यूपी को देश में पहला स्थान मिला है। केंद्र शासित प्रदेशों समेत 34 राज्यों में 18,24,549 शौचालय निर्मित हुए।

Update:2017-10-03 16:24 IST
02 अक्टूबर तक शौचालयों के निर्माण में TOP पर उत्तर प्रदेश

लखनऊ: स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत 02 अक्टूबर तक शौचालयों के निर्माण में यूपी को देश में पहला स्थान मिला है। केंद्र शासित प्रदेशों समेत 34 राज्यों में 18,24,549 शौचालय निर्मित हुए। इसमें यूपी को 3,52,950 शौचालयों का निर्माण कराने में प्रथम स्थान, राजस्थान को दूसरा और कर्नाटक को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। इस दौरान राजस्थान में कुल 2,54,953 और कर्नाटक में 2,41,708 शौचालय बने।

मुख्य सचिव राजीव कुमार ने पंचायतीराज और नगर विकास विभाग के स्वच्छ भारत और सफाई अभियान के कराए जा रहे कामों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिजनौर की पहली नगर पंचायत सहनपुर को बीते चार सितंबर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। 12 नगर पंचायत और नगर निकायों को ओडीएफ घोषित करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है।

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ये नगर पंचायत व ​नगर निकाय घोषित होंगे ओडीएफ

बिजनौर, नजीबाबाद, स्योहारा, धामपुर, कीरथपुर, जलालाबाद, नगीना, आगरा के स्वामी बाग, अमरोहा के अमरोहा स्थानीय निकाय, शामली के जलालाबाद व थाना भवन को ओडीएफ घोषित करने के लिए पहले थर्ड पार्टी इन्सपेक्शन होगा। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है। बता दें कि मई 2019 तक सभी 653 स्थानीय निकायों को ओडीएफ घोषित कराया जाना है।

अपर मुख्य सचिव पंचायती राज चंचल तिवारी के मुताबिक 98,604 ग्रामों में से कुल 12,542 ग्रामों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। इस साल व्यक्तिगत शौचालय निर्माण का लक्ष्य 78,86,237 है। इसके सापेक्ष 13,49,153 शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। जो बीते साल के वर्तमान समय में निर्मित 6,52,654 व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण से दो गुना से अधिक है।

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व्यक्तिगत शौचालय बनाने को आठ हजार की जगह 20 हजार

प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के नगर निकायों में व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण के लिए दी जाने वाली धनराशि आठ हजार से बढ़ाकर 20 हजार किए जाने के आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। बढ़ी हुई 12 हजार रूपये धनराशि स्थानीय निकाय अपने फण्ड से लाभार्थी को देगी। पूर्व में आठ हजार में से चार हजार रूपये केंद्र और चार हजार रूपये राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा था।

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