लखनऊ : यूपी की जेलों में बंद कैदियों की सेहत एचआईवी का दीमक तेजी से खोखला कर रहा है। इस खुलासे से शासन में हडकंप मचा हुआ है। एनएचआरसी ने भी सरकार से जवाब तलब किया है। प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने इस पर अब अपनी सफाई पेश की है। उनके मुताबिक जेलों में बंद कैदियों में सिर्फ 0.36 फीसदी कैदियों में एचआईवी पाजिटिव की शिकायत पाई गई है।
इस पर मच रहे शोर के बाद उन्होंने शनिवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 31 जनवरी तक 99 हजार बंदियों के परीक्षण में 356 बंदी एचआईवी पाजिटिव पाए गए हैं। इनका उपचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि चूंकि बंदी, एचआईवी के अति जोखिम समूह के तहत आते हैं। ऐसे में यहां रोगियों का प्रतिशत सामान्य आबादी में पाई जाने वाली प्रतिशत रोगग्रस्तता से अधिक होना स्वाभाविक है।
मीडिया में चल रही खबरों पर उनका कहना है कि वह खबरें तथ्यात्मक नही हैं। जिसमें कहा गया है कि कारागारों में एचआईवी पाजिटिव प्रकरणों की स्थिति गंभीर है। बंदियों के कारागार में प्रवेश के तुरंत बाद मानवाधिकार आयोग के प्रोफार्मा के अनुसार उनका चिकित्सीय परीक्षण कराया जाता है। इसके उपचार के लिए 45 जिलों में कुल 64 डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है।