Meerut News: उत्तर प्रदेश में किस करवट बैठेगी राजनीति, भारत जोड़ो यात्रा समापन कार्यक्रम में साफ होगी तस्वीर
Meerut News: उत्तर प्रदेश की राजनीति के मद्देनजर माना जा रहा है कि बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी भाजपा विरोधी पार्टियों का महागठबंधन बनेगा या नहीं।
Meerut News: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर में होने वाले समापन कार्यक्रम पर सबकी नजरें लगीं है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के मद्देनजर माना जा रहा है कि बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी भाजपा विरोधी पार्टियों का महागठबंधन बनेगा या नहीं। इसका काफी हद तक खुलासा कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर में होने वाले समापन कार्यक्रम के दिन हो जाएगा। जाहिर है कि समापन कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव, मायावती और जयन्त चौधरी अगर शामिल होते हैं तो प्रदेश की राजनीति 2024 में किस करवट बैठने वाली है इसका काफी हद तक खुलासा जरुर हो जाएगा।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में जिन 21 दलों को न्योता दिया है उनमें उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव रखने वाले समाजवादी पार्टी व बीएसपी भी प्रमुख रुप से शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का तालमेल पहले से है। इसमें बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के जुड़ने से महागठबंधन बनेगा।
भारत जोड़ो यात्रा में न्योते के बाद भी अखिलेश यादव और मायावती यात्रा से हैं दूर
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो भारत जोड़ो यात्रा में न्योते के बाद भी अखिलेश यादव और मायावती यात्रा से दूरी ही बनाए रखी थी। हालांकि समाजवादी पार्टी की सहयोगी पार्टी रालोद ने यात्रा में शामिल होने का फैसला किया। खुद जयंत चौधरी यात्रा से नहीं जुड़े लेकिन बागपत, शामली और कैराना में उनकी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों ने यात्रा में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पूरे जोशो-खरोश के साथ हिस्सा लिया था। यही नहीं रालोद के साथ साथ भारतीय किसान यूनियन के सदस्य भी यात्रा से जुड़े और बाद में जब यात्रा हरियाणा पहुंची तो किसान नेता राकेश टिकैत भी यात्रा में शामिल हुए।
वैसे, उत्तर प्रदेश की जमीनी हकीकत के मद्देनजर संभावना बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी भाजपा विरोधी पार्टियों का महागठबंधन बन सकने की दिख रही है। क्योंकि अकेले लड़ने का खतरा सबको पता है। यह भी हकीकत है कि सपा,बसपा और रालोद वर्तमान राजनीतिक माहौल मॆं भाजपा से तालमेल नहीं कर पाएंगी। प्रदेश में सपा और रालोद पहले से ही साथ हैं। उम्मीद है कि बसपा भी अपने भविष्य के मद्देनजर आने वाले चुनाव में सपा-रालोद के पाले में जा सकती है। यह बसपा की मजबूरी भी मानी जा सकती है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति
गौरतलब है 2014 में बसपा अकेले लड़ी थी और उसे 20 फीसदी वोट मिलने के बावजूद एक भी सीट नहीं ई थी। लेकिन 2019 में वह सपा के साथ लड़ी और उसे 10 सीटें मिलीं। फिर 2022 में विधानसभा चुनाव में वे अकेले लड़ी और सिर्फ एक सीट जीत पाईं। सो, बसपा के लिए अकेले लड़ना बिल्कुल आसान नहीं है। इसलिए संभव है कि वे फिर सपा के साथ तालमेल करें और बड़ा महागठबंधन बनें। वैसे, समाजवादी, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल अलग अलग समय में साथ मिलकर चुनाव लड़ चुकी हैं। कांग्रेस ने 2017 का विधानसभा चुनाव और बसपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव सपा के साथ मिल कर लड़ा था।
उत्तर प्रदेश में भारत-जोड़ो यात्रा के दौरान जिस तरह लोंगो खासकर दलितों और मुसलमानों की भीड़ उमड़ती दिखी है उसको देखते हुए सपा और बसपा के लिए कांग्रेस को नजरअंदाज करना अब पहले जितना आसान नहीं रहा है।