'उत्तर प्रदेश बौद्ध धर्म का प्रारंभिक केंद्र, यहीं से दुनियाभर में हुआ विस्तार : जयवीर सिंह

UP News : 'आषाढ़ पूर्णिमा' कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर ने संबोधन में महात्मा और उनके उपदेशों को बताया। उन्होंने कहा कि आषाढ़ पूर्णिमा को ही 'गुरु पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-21 16:44 GMT

UP News : उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग तथा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को उत्तर प्रदेश की सुप्रसिद्ध बौद्ध स्थली सारनाथ के केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान के आतिशा हॉल में 'धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस' के रूप में आषाढ़ पूर्णिमा का उत्सव मनाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अनिल राजभर, श्रम एवं रोजगार मंत्री उप्र. रहे। कार्यक्रम में विभिन्न बौद्ध संस्थानों से पधारे अतिथियों ने आषाढ़ पूर्णिमा के महत्व और धम्म पर व्याख्यान दिया। 

दीप प्रज्ज्वलन और पाली, संस्कृत तथा तिब्बती में मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मंच पर उपस्थित अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव शार्त्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चोएडेन ने स्वागत भाषण में बुद्ध के उपदेशों और वर्तमान समय में उसकी महत्ता को बताया। केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान के छात्रों के सांस्कृतिक प्रदर्शन ने उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। 

आषाढ़ पूर्णिमा ही गुरु पूर्णिमा

'आषाढ़ पूर्णिमा' कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर ने संबोधन में महात्मा और उनके उपदेशों को बताया। उन्होंने कहा कि आषाढ़ पूर्णिमा को ही 'गुरु पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को ही तथागत गौतम बुद्ध ने सारनाथ के मृगदाय वन में पंच वग्गीय भिक्षुओं को धम्म चक्क पवत्तन उपदेश देकर धम्म देशना की शुरुआत की थी। इसलिए इसदिन के महत्व को समझा जा सकता है। बुद्ध पूर्णिमा के बाद यह दूसरा महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।'


अनिल राजभर ने कहा कि आज जिस तरह विश्व में अशांति, निराशा, गुस्सा, ईर्ष्या, हताशा और चिंता का भाव है, उससे निजात हमें बुद्ध के वचनों से ही मिल सकता है। वैश्विक नकारात्मकता के भाव पर नियंत्रण के लिए तथागत के उपदेश अहम हैं। बौद्ध धर्म समाज के हर वर्ग, हर वर्ण के लोगों को शांति का पाठ पढ़ाता है। मानसिक व्याधियां लोगों के मन में समस्याएं पैदा कर रही हैं, ऐसे में सकारात्मकता बेहद आवश्यक है। बुद्ध अपने संदेश में हरेक के प्रति करुणा का भाव जगाते हैं, सभी की मंगल कामना करते हैं।

भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों से हमें ज्ञान का सूत्र बताया

महाबोधि सोसायटी, बेंगलुरु के महासचिव आनंद भिक्खु ने आषाढ़ पूर्णिमा के महत्व और धम्म के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन अपने उपदेशों से हमें ज्ञान का सूत्र बताया। उन्होंने दुख के बारे में बताया कि दुख के कारण को समझाया। इसके साथ ही आश्वासन दिया कि हर दुख से जीता जा सकता है। भगवान बुद्ध ने हमें जीवन के लिए अष्टांग सूत्र, आठ मंत्र दिए। महात्मा बुद्ध ने सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक मन, सम्यक समाधि यानी मन की एकाग्रता को विस्तार से बताया।' इसके बाद वाराणसी के शिवोम कथक समूह द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। 

केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ के कुलपति प्रो. (डॉ.) वांगचुक दोरजी नेगी ने धम्म वार्ता में महत्वपूर्ण बातें की। उन्होंने कहा कि सारनाथ में ही बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था। धम्म चक्र को गति प्रदान की थी। आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ दिन, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है, इसे श्रीलंका में एसाला पोया और थाईलैंड में असन्हा बुचा के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन महात्मा बुद्ध के पांच तपस्वी शिष्यों को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह तथागत के शिष्यों की पहली शिक्षा का प्रतीक है। 


यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र 

उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आषाढ़ पूर्णिमा के आयोजन पर कहा कि उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है। यहीं से बौद्ध धर्म का विस्तार दुनिया के बाकी हिस्सों में हुआ। बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में देश-दुनिया से उत्तर प्रदेश आते हैं। हाल ही में हमने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 'बोधि यात्रा' का आयोजन किया था, जिसमें बुद्ध के जीवन, अनुभव और उपदेशों के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रस्तुत किया गया। आज का आयोजन उसी की एक कड़ी है। 

कार्यक्रम के समापन से पहले प्रो. रविन्द्र पंथ, निदेशक, आई.बी.सी. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। एक फिल्म 'Sacred journey of Holy Relics from India to Thailand' का प्रदर्शन भी किया गया। 'आषाढ़ पूर्णिमा' कार्यक्रम के आयोजन के लिए बौद्ध विद्वान, लेखक एवं साहित्यकार आनंद श्रीकृष्ण ने सभी का आभार जताया और गुरु पूर्णिमा की बधाई दी।

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