बनारसी पान बना जानलेवा: संकट में आ गया काशी, बढ़ें कैंसर के मामले
डॉक्टर सत्यजीत प्रधान ने बताया कि कैंसर प्रतिशत की बात करें तो वाराणसी में प्रति एक लाख आबादी पर पुरुषों में इसकी संख्या 59.2 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं में यह दर 52.2 प्रतिशत है।
वाराणसी अगर आप पान और गुटका के शौकीन हैं तो सावधान हो जाईये। पान और गुटका अब जानलेवा साबित हो रहा है। वाराणसी में तो आलम ये है कि हर तीन में से एक व्यक्ति के कैंसर का सम्बंध मुख से है। इस बात का खुलासा महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र और होमी भाभा कैंसर अस्पताल की ओर आई एक रिपोर्ट से हुआ है। शुक्रवार को जारी जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री (PBCR) के अनुसार वाराणसी में पुरुषों में होने वाला हर तीन में से एक व्यक्ति का कैंसर मुख से सम्बंधित है। PBCR रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में मुख का तो महिलाओं ने स्तन, गर्भाशय-ग्रीवा और पित्त की थैली का कैंसर अत्याधिक है।
जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री से हुआ खुलासा
इस सम्बन्ध में वाराणसी के टाटा मेमोरियल सेंटर कैंसर हॉस्पिटल (होमी भाभा कैंसर अस्पताल) में हॉस्पिटल के निदेशक डॉ सत्यजीत प्रधान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताई और इसपर गहरी चिंता जतायी। डॉ सत्यजीत प्रधान ने मीडिया के सामने PBCR के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि 2017 में वाराणसी में कैंसर के कुल 1907 मामले पंजीकृत हुए थे। इनमे 1058 पुरुष, जबकि 849 महिला मरीज़ थीं। इसी वर्ष कैंसर से कुल 762 लोगों की मौत हुई थी। कैंसर से जान गवाने वालों में 429 पुरुष और 333 महिलाएं थी।
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तेजी से बढ़ती जा रही है कैंसर पेशेंट की संख्या
डॉक्टर सत्यजीत प्रधान ने बताया कि कैंसर प्रतिशत की बात करें तो वाराणसी में प्रति एक लाख आबादी पर पुरुषों में इसकी संख्या 59.2 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं में यह दर 52.2 प्रतिशत है। वहीं मौत की बात करें तो प्रति एक लाख पर 24.4 पुरुष मरीज़ और 20.8 प्रतिशत महिलाओं की मौत हो रही है।
कैंसर सेंटर के निदेशक डॉक्टर सत्यजीत प्रधान ने कहा कि वाराणसी के मरीज़ इलाज के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल, बीएचयू हॉस्पिटल सहित वाराणसी के निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे थे। वहीं कई मरीज़ इलाज के लिए प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, चांदगढ़ और मुंबई जाते थे। इन सभी रिपोर्ट के आधार पर पुरुषों में होने वाले कैंसर में मुख का कैंसर सबसे ज़्यादा है।
शहरी क्षेत्रों में कैंसर का असर ज्यादा
इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र के लोग मुख के कैंसर की चपेट में ज़्यादा आये हैं। वहीं महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण इलाकों में दोगुना अधिक दिखा। डॉ सत्यजीत प्रधान ने कहा कि इन कैंसर को समय रहते रोका जा सकता है, हालाँकि उसके लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम और अभियान की आवश्यकता है।
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उन्होंने बताया कि इन इलाकों में तम्बाकू का सेवन भी बहुत अधिक है, ऐसे में लोगों में तम्बाकू के सेवन न करने के बारे में जागरूक करना भी आवश्यक है। स्कूल कालेजों और स्वास्थ्य केंद्र पर काम करने वालों में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। बता दें की PBCR की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2017 से लेकर सितम्बर 2020 तक 8500 कैंसर के मामले वाराणसी में दर्ज किये जा चुके हैं, जबकि तीन हज़ार से अधिक लोगों की कैंसर की वजह से मौत हुई है।
आशुतोष सिंह रिपोर्टर वाराणसी