Varanasi News: काशी में सावन के महीने में चिंतामणि गणेश जी की होती है ख़ास पूजा, जानिए क्या है मान्यता

Varanasi News: देवों में श्रेष्ठ भगवान गणेश अपने पिता भगवान महादेव और माता पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य का वरदान प्राप्त किया था। काशी की तंग गलियों में श्री विद्या मठ के पहले चिंतामणि गणेश का मंदिर स्थित है।

Update: 2023-07-05 14:59 GMT

Varanasi News: भगवान महादेव की नगरी काशी में विघ्नहर्ता भगवान गणेश 56 विनायकों के रूप में वास करते हैं। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ऐसे में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा काशी में सबसे पहले की जाती है। पूरे ब्रह्मांड में काशी ही एक ऐसी नगरी है जहां भगवान गणेश के 56 स्वरूप विराजमान हैं। 56 विनायकों के रूप में भगवान गणेश की काशी में पूजा होती है।

काशी की तंग गलियों में स्थित है ऐतिहासिक मंदिर

देवों में श्रेष्ठ भगवान गणेश अपने पिता भगवान महादेव और माता पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य का वरदान प्राप्त किया था। काशी की तंग गलियों में श्री विद्या मठ के पहले चिंतामणि गणेश का मंदिर स्थित है। चिंतामणि गणेश के बारे में मंदिर के मुख्य महंथ चुल्ला सुब्बाराव शास्त्री ने बताया कि काशी क्षेत्र 3 खंडों में विभक्त है। केदारखंड, विश्वेश्वर खंड, ओंकार खंड। सावन के महीने में श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन किया जाता है। तिलभांडेश्वर का दर्शन किया जाता है। साथ ही केदारेश्वर महादेव का दर्शन किया जाता है। महादेव के इन समस्त स्वरूपों का दर्शन करने के बाद भगवान गणेश के दर्शन का काशी में विधान है। काशी में भगवान गणेश 56 विधायकों के रूप में विराजमान है।

चिंतामणि गणेश जी ने असुर का किया था वध

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिंदुरासुर नाम का प्राचीन काल में एक असुर हुआ। सिंदुरासुर ने भगवान महादेव की घोर तपस्या की सिंदुरासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने सिंदुरासुर को दर्शन देते हुए उसे वरदान भी दिया। भगवान भोलेनाथ ने मनुष्य, देवता, गंधर्व के हाथों ना मारे जाने और आधा हाथी और आधा मानव वाले देवता के हाथों मारे जाने का वरदान दे दिया। जिसके बाद भगवान चिंतामणि गणेश जी ने वरदान के अनुसार सिंदुरासुर का वध किया। जिसके बाद से ही भगवान गणेश को चिंतामणि गणेश के रुप में पूजा जाने लगा। जो कोई भी चिंतामणि गणेश की पूजा करता है, उसकी समस्त बाधाओं का नाश होता है।

बुधवार के दिन होती है पूजा, ये चढ़ता है प्रसाद में

बुधवार के दिन चिंतामणि गणेश की पूजा विशेष रूप से होती है। बुधवार के दिन पूजा करने से चिंतामणि गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं। भोर से ही चिंतामणि गणेश के मंदिर में बुधवार के दिन श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है। हाथ में नारियल लेकर गणेश भगवान की परिक्रमा करने मात्र से समस्त बाधा नष्ट हो जाती है। चिंतामणि गणेश मंदिर में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं। सावन के महीने में चिंतामणि गणेश में कांवरिया भी आते हैं, सावन के सोमवार के दिन यादव बंधुओं के द्वारा चिंतामणि गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। चिंतामणि गणेश को प्रसाद के रूप में मोदक, बेसन का लड्डू, दूध, लावा, नारियल, चुनरी, सुपारी, पान चढ़ता है। 7 बुधवार लगातार दर्शन करने मात्र से ही समस्त प्रकार की मनोरथ पूर्ण होती है।

Tags:    

Similar News