Gyanvapi Case: ‘तहखाने में मूर्तियां रखी गईं, हम ज्ञानवापी के लिए अंत तक लड़ेंगे’, वाराणसी के शीर्ष मौलवी ने मुस्लिमों से की ये अपील

Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष निचली अदालत के फैसले की मुखालफत कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाने के बावजूद उन्हें फौरी राहत नहीं मिल पाई है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2024-02-05 10:03 IST

Gyanvapi Case (photo: social media )

Gyanvapi Case: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का मामला गरमाया हुआ है। हिंदू पक्ष जहां लोअर कोर्ट के फैसले पर जश्न मना रहा है और दावा कर रहा है कि अयोध्या की तरह यहां भी फैसला उनके पक्ष में ही आएगा। वहीं, मुस्लिम पक्ष निचली अदालत के फैसले की मुखालफत कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाने के बावजूद उन्हें फौरी राहत नहीं मिल पाई है। अब इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कल यानी 6 फरवरी को सुनवाई होनी है।

इस बीच वाराणसी के शीर्ष मौलाना जिन्हें मुफ्ती-ए-शहर कहा जाता है, ने मुस्लिम समुदायों से अपील की है। मुफ्ती-ए-शहर अब्दुल बातिम नोमानी ने आरोप लगाया है कि तहखाने के अंदर मूर्ति नहीं थी, बल्कि उसे उसी रात (31 जनवरी) प्रशासन की मदद से रखा गया। उन्होंने कहा कि हम समझ सकते हैं कि मुस्लिम समुदाय के साथ क्या हो रहा है। मगर मैं ज्ञानवापी के लिए अंत तक लड़ेंगे। मौलाना नोमानी ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति के सचिव भी हैं।

मौलाना ने आगे कहा कि मैं समुदाय के सदस्यों से हमारी सफलता के लिए प्रार्थना करने का आह्वान करता हूं। दरअसल, मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि जब 31 जनवरी को जिला अदालत ने हिंदुओं को वहां पूजा करने की अनुमति दी थी, तब तहखाने के अंदर कोई मूर्तियां नहीं थीं। ये हिंदू पक्ष के उस दावे के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि जब तहखाने को पूजा के लिए खोला गया तो उसके अंदर पहले ही चार मूर्तियां थीं।

हाईकोर्ट ने पूजा पर रोक लगाने से किया इनकार

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई में पूजा पर रोक लगाने के मुस्लिम पक्ष की मांग को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती देने को कहा। वाराणसी जिला अदालत ने इस आदेश के तहत डीएम को ज्ञानवापी परिसर का रिसीवर नियुक्त किया था। इसी आदेश पर 23 जनवरी को वाराणसी जिलाधिकारी ने परिसर को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद 31 जनवरी को जिला न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित कर काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारी के जरिए व्यासजी तहखाने में पूजा करने की अनुमति हिंदू पक्ष को दे दी।

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