Varanasi News: नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की हो रही पूजा, बालाजी घाट पर स्थित है मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर
Varanasi News: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है।
Varanasi News: शारदीय नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। धार्मिक नगरी काशी में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा हो रही है। मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर बालाजी घाट पर स्थित है।मां ब्रह्मचारिणी नवशक्ति की दूसरी रुप हैं।इनकी उपासना से तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की बृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा साधक,तपस्वी और आम सांसारिक लोग सौभाग्य की वृद्धि के लिए करते हैं।
जानें माता ब्रह्मचारिणी के बारे में
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। देवी का यह रूप अत्यंत ज्योतिर्मय और भव्य है। पर्वत राज हिमालय के घर में माता ने जन्म लिया था देवर्षि नारद के उपदेश से भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या किया माता के इस घोर तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या 1000 सालों तक किया। तपश्चर्य के दौरान माता ब्रह्मचारिणी जंगल के कंद मूल और फल खाकर तपस्या की थी। घोर तपस्या के कारण माता ब्रह्मचारिणी का दूसरा नाम अपर्णा भी है। माता ब्रह्मचारिणी साधकों ऋषियों और तपस्यियों क्षितिज और ब्रह्मचर्य को बढ़ाती हैं।
माता ब्रह्मचारिणी के मंदिर में उमड़ा जनसैलाब
काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई है। दूर दराज से आए श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त कर रहे हैं। श्रद्धालु मां को प्रसाद के रुप में नारियल, चुनरी, माला-फूल चढ़ा रहे हैं। पूर्वांचल के सभी जिलों और बिहार से श्रद्धालु माता के दर्शन पूजन के लिए आते हैं।
हर मनोकामना होती है पूरी
यहां ना सिर्फ काशी बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन एवं पूजन के लिए आते हैं।नवरात्रि पर तो इस मंदिर में लाखों भक्त मां के दर्शन करने के लिए आते हैं।ऐसी मान्यता है कि मां के इस रूप का दर्शन करने वालों को संतान सुख मिलता है. साथ ही वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से सभी की मुरादे पूरी हो जाती हैं। दुनिया में एकमात्र काशी ही नगरी है जहां माता के नवदुर्गा स्वरूप अलग-अलग जगह पर विराजमान है। ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के लिए सबसे ज्यादा साधना करने वाले लोग आते हैं।