राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य रहे पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन, CM योगी ने जताया दुख
Pujari Laxmikant Dixit Death: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य आचार्य के रूप में शामिल हुए काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का आज सुबह निधन हो गया। उन्ही के नेतृत्व में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का पूजन संपन्न हुआ था।
Pujari Laxmikant Dixit Death: अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य आचार्य के रूप में शामिल होकर 121 वैदिक ब्राह्मणों का नेतृत्व करने वाले काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का आज सुबह निधन हो गया। पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन की सूचना मिलने के बाद काशी समेत पूरे देश के लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। जनवरी में अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पूजन में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में ही सभी पूजन को संपन्न कराया गया था। उनके बेटे और परिवार के अन्य सदस्य भी राम मंदिर उद्घाटन के पूजन में शामिल हुए थे। राम मंदिर के अलावा वो दिसंबर 2021 में काशी में हुए विश्वनाथ धाम लोकार्पण के पूजन में भी शामिल हुए थे। आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित ने आज 90 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मनिकर्निका घाट पर किया जाएगा।
सीएम योगी ने जताया दुख
आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर सीएम योगी ने दुख जताया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। पोस्ट में सीएम ने दुख जताते हुए लिखा,”काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।”
आचार्य दीक्षित ने अपने चाचा से ली थी दीक्षा
बता दें कि आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का पूरा परिवार कई पीढ़ियों से काशी में ही रहता है। लक्ष्मीकांत दीक्षित वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे। इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश की मदद से की गई थी। पूरे वाराणसी में आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित वेदों के बहुत अच्छे जानकार माने जाते थे। आचार्य दीक्षित की गिनती यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में भी की जाती । मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आचार्य दीक्षित ने वेदों और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित से ली थी।