Varanasi News: वाराणसी कचहरी का रिएलिटी चेक, जानिए कैसे हैं यहां सुरक्षा इंतजाम
Varanasi News: वाराणसी कचहरी की बात करें तो सुरक्षा के लिहाज से कचहरी पहले से ही सेंसिटिव जोन में है। वाराणसी कचहरी में साल 2007 में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हुए थे।
Varanasi News: लखनऊ की घटना से भी पुलिस प्रशासन सबक नहीं ले रहा है। बुधवार को लखनऊ में कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े पश्चिमी यूपी के दुर्दांत अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई। जीवा हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। कचहरी और न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर बड़ा सवालिया निशान लगा है। वहीं बात अगर वाराणसी कचहरी की बात करें तो सुरक्षा के लिहाज से कचहरी पहले से ही सेंसिटिव जोन में है। वाराणसी कचहरी में साल 2007 में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हुए थे।
प्रत्यक्षदर्शी को नहीं भूलता 2007 का वो खौफनाक मंजर
ब्लास्ट की प्रत्यक्षदर्शी अधिवक्ता मीरा यादव ने उस खौफनाक मंजर के बारे में बताया। कहा कि ‘मैं 12 बजे कोर्ट का काम करके वापस आई तो एक क्लाइंट के केस के सिलसिले में डिस्कस हो रहा था। तभी ठीक 1 बजे बम ब्लास्ट हुआ। क्लाइंट के पैर से खून बहने लगा। जब मुझे होश आया तो मैंने क्लाइंट के पैर में गमछा बांधकर अस्पताल भिजवाई। जिसके बाद दहशत से मैं घर चली गई। जब घर पहुंची तो मैंने अपने हाथ में चोट देखी, तुरंत मुझे कबीरचौरा अस्पताल ले जाया गया। कबीरचौरा में मेरे हाथ का एक्स-रे हुआ, जिसमें बम का छर्रा मिला। मैं एक हफ्ते वहां एडमिट रही। ब्लास्ट के अगले दिन उस समय की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कबीरचौरा अस्पताल में घायलों का हालचाल लिया था।
अधिवक्ता ने कहा- ‘आज भी कचहरी सुरक्षित नहीं’
लखनऊ की घटना के बाद बनारस कचहरी की कितनी सुरक्षा है, इस सवाल पर अधिवक्ता मीरा यादव ने कहा कि लखनऊ की घटना से सारे लोग दहले हुए हैं। उनका कहना है कि क्या महिला, क्या पुरूष, यहां कोई भी व्यवस्था नहीं है। यहां कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। इसलिए जितने भी गेट हैं, उन सभी पर सुरक्षा व्यवस्था टाइट करना चाहिए। ताकि कोई भी किसी को हताहत करके भाग ना सके। क्योंकि लखनऊ में जो आरोपी था वो वकील के भेष में आया था। वकील हो, वादकारी हो, पत्रकार हो, सबकी जांच होने के बाद ही एंट्री हो ताकि कोई चूक ना हो सके। यहां भी फर्जी अधिवक्ताओं के खिलाफ अभियान चलाया गया है, जिसमें कई लोग पकड़े भी गए थे। स्टैंडिंग कमेटी की तरफ से ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की गई।
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बनारस कचहरी हमेशा से रही है संवेदनशील!
बनारस कचहरी के कुल 4 गेट हैं। गेट संख्या 1 से लेकर 4 तक की सुरक्षा की बात करें तो बाहर की तरफ सिर्फ गेट संख्या 2 और 3 पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं। कलेक्ट्रेट की तरफ से सुरक्षा के लिए सिर्फ होमगार्ड के जवानों की तैनाती रहती है। ट्रेज़री की तरफ से कचहरी में एंट्री करने वालों की निगरानी नहीं की जाती है। वहां पर सुरक्षा का कोई प्वांइट नहीं बना है। कचहरी की सुरक्षा भगवान भरोसे ही चल रही है।