Varanasi News: मोदी युग में काशी का कायाकल्प, परंपरा और आधुनिकता की जीवंत तस्वीर
Varanasi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 2014 में वाराणसी से सांसद बनने के बाद इस पवित्र नगरी के पुनर्जागरण की एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू हुई।;
PM Modi (social media)
Varanasi News: " कितनी सँवर गई है काशी " यह केवल एक स्लोगन नहीं, बल्कि एक सजीव साक्ष्य है उस परिवर्तन का, जो भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में बीते कुछ वर्षों में घटित हुआ है। काशी, जो कभी अपने संकरे रास्तों, अव्यवस्थित यातायात और उपेक्षित घाटों के लिए जानी जाती थी, आज विश्वभर में अपने नये रूप, सौंदर्य और आध्यात्मिक भव्यता के लिए चर्चा में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 2014 में वाराणसी से सांसद बनने के बाद इस पवित्र नगरी के पुनर्जागरण की एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू हुई। काशी ने बीते एक दशक में विकास, स्वच्छता,आधुनिकीकरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर : इस परियोजना ने काशी की आत्मा को नया जीवन दिया है। संकरी गलियों से गुजरकर दर्शन पाने की कठिनाई को समाप्त करते हुए यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा घाट से जोड़ता है।
घाटों का कायाकल्प : गंगा किनारे स्थित प्रसिद्ध घाटों का कायाकल्प करते हुए उन्हें और भी सुंदर और स्वच्छ बनाया गया है। रोशनी से जगमगाते घाट, सजे-धजे पाथवे और गंगा आरती के भव्य आयोजन अब विश्व स्तर पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
सड़क, रिंग रोड और फ्लाईओवर : विकास की गति को तेज़ करने हेतु शहर में सड़क चौड़ीकरण, रिंग रोड, फ्लाईओवर और स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया गया है। इससे न केवल शहर की यातायात व्यवस्था सुधरी है, बल्कि आसपास के जिलों से कनेक्टिविटी भी बेहतर हुई है।
रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर और सांस्कृतिक आयोजन : भारत और जापान की मैत्री का प्रतीक, 'रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर' एक आधुनिक सांस्कृतिक मंच बनकर उभरा है, जहां देश-विदेश के सांस्कृतिक कार्यक्रमों योजन होता है। इससे काशी की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच मिला है।
काशी अब केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि आधुनिकता और परंपरा का संगम बन चुकी है। " कितनी सँवर गई है काशी " यह अब एक भाव नहीं, बल्कि सच्चाई है जिसे देश-दुनिया के हर आगंतुक ने अपनी आंखों से देखा और अनुभव किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि, संकल्प और समर्पण से काशी को मिला यह नया रूप भारत के पुनर्निर्माण की मिसाल बन चुका है।वास्तव में काशी अब केवल देखी नहीं जाती, बल्कि अनुभव की जाती है। सचमुच, कितनी सँवर गई है काशी !