Varanasi News : ज्ञानवापी परिसर में अतिरिक्त ASI सर्वेक्षण नहीं होगा, हिंदू पक्ष की याचिका खारिज

Varanasi News : वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में अतिरिक्त एएसआई सर्वेक्षण के लिए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज को खारिज कर दिया है।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-25 19:10 IST

Varanasi News : वाराणसी की एक अदालत ने शुक्रवार को हिन्दू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा अतिरिक्त सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी। याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वह आदेश का अध्ययन करेंगे और फिर तय करेंगे कि वह इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे या जिला न्यायालय में याचिका दायर करेंगे या नहीं।

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की फास्ट-ट्रैक कोर्ट में बीते फरवरी माह में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई को व्यापक सर्वेक्षण करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया। उन्होंने केंद्रीय गुंबद, तहखाना, द्वार और कक्ष सहित पूरे परिसर का पुरातात्विक तरीकों, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), जियो-रेडियोलॉजी सिस्टम आदि के माध्यम से सर्वे कराया जाए। उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी परिसर प्लॉट संख्या 9130 पर स्थित है, जो भगवान आदि विश्वेश्वर के दो आसन्न प्लॉटों (संख्या 9131 और 9132) से जुड़ा हुआ है। 

इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी ने याचिका का विरोध किया

वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने परिसर में किसी भी प्रकार की खुदाई करने से साफ मना किया है। इसके साथ ही एएसआई को किसी भी सरंचनात्मक क्षति से बचने का निर्देश दिया था।

एएसआई ने किया था सर्वेक्षण

बता दें कि एएसआई ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई, 2023 के आदेश के अनुसार ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया या नहीं। एएसआई ने 18 दिसंबर को जिला न्यायालय को एक सीलबंद रिपोर्ट में अपने सर्वेक्षण के निष्कर्ष प्रस्तुत किए थे। यह सर्वेक्षण हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा यह दावा किए जाने के बाद शुरू किया गया था कि 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले के मंदिर के ऊपर किया गया था।

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