Sonbhadra News: फसल बोई जमीन पर बालू खनन का दे दिया गया पट्टा, बगल के पट्टाधारक ने की शिकायत तो खुली पोल
Sonbhadra News: ओबरा तहसील के अगोरी क्षेत्र में एक ऐसी जमीन पर बालू खनन के लिए रेत-खेत योजना के तहत काश्तकारी पट्टे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जिस पर वर्तमान में भी फसल बोई हुई है। मामला सामने आने पर बगल के पट्टाधारक ने इसकी शिकायत डीएम से की। उनके निर्देश पर टीम भेजकर नापी कराई गई तो वहां भी तस्वीर साफ हो गई।;
जमीन की नापी करते हुए अधिकारी।
Sonbhadra News: पट्टा कहीं.., खनन कहीं.., को लेकर सुर्खियों में रहने वाले सोनभद्र के खनन जगत में एक बार फिर से ऐसा ही मामला सामने आया है। मामला ओबरा तहसील (Obra Tehsil) के अगोरी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। यहां एक ऐसी जमीन पर बालू खनन के लिए रेत-खेत योजना के तहत काश्तकारी पट्टे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जिस पर वर्तमान में भी फसल बोई हुई है।
मामला तब सामने आया जब बगल के पट्टाधारक ने इसकी शिकायत डीएम से की। उनके निर्देश पर टीम भेजकर नापी कराई गई तो वहां भी तस्वीर साफ हो गई। फसल बोई जमीन पर बालू खनन की दी गई अनुमति का क्या होगा? इसको लेकर डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी गई है।खंड दो के पट्टा धारक की तरफ से डीएम को दी गई शिकायत में कहा गया है कि कुछ लोगों ने तथ्यों को छुपाकर निजी काश्त वाली फसल बोई जमीन पर, बालू हटाकर जमीन को खेती योग्य बनाने के नाम पर काश्तकारी पट्टा हासिल कर लिया है। जबकि खनन तो दूर वर्तमान में ही उस पर फसल बोई हुई है।
पट्टा धारक का कहना है कि इससे स्पष्ट है कि पट्टा भले ही फसल बोई जमीन पर हासिल किया गया है लेकिन खनन उसके बाद वाली जगह पर किया जाएगा।उन्हें जो पट्टा आवंटित किया गया है वह काश्तकारी परमिट वाली जगह से महज 20 मीटर दूर है। इससे उन्हें पूरी आशंका है कि उनके हिस्से वाली एरिया से बालू खनन किया जाएगा। उनके पट्टे वाली एरिया में अवैध खनन होने की दशा में राजस्व की समय से अदायगी को लेकर भी असमर्थता जताई गई है।
मामले को देखते हुए डीएम की तरफ से एक टीम भी भेज कर मौके पर नापी कराई गई। बताया जाता है कि नापी के दौरान नोकझोंक की भी कई बार स्थिति बनी। फसल बोई जमीन पर ही बालू खनन के लिए काश्तकारी पट्टा हासिल करने की बात सामने आई। मामले को गरमाता देख पट्टा धारक को अपने एरिया में ही खनन करने की हिदायत भी दी गई लेकिन सवाल उठता है कि जिस जमीन पर फसल वर्तमान में ही बोई हुई है। उस जमीन को खेती योग्य बनाने के लिए, उस पर जमा बालू खनन के नाम पर काश्तकारी पट्टा कैसे आवंटित किया जा सकता है?
उधर जिला खान अधिकारी जेपी दुबे (District Mines Officer JP Dubey) का कहना है कि काश्तकारी परमिट वाले पट्टा धारक को अपने एरिया में ही खनन के लिए निर्देशित किया गया है। अभी फसल बोई हुई है। फसल कटने के बाद वह वहां जमे बालू को हटाएंगे, लेकिन जब जमीन पहले से खेती की स्थिति में है तो उस पर जमा बालू का किस रूप में उपयोग किया जाएगा और उसके परमिट का कहां उपयोग होगा? यह सवाल वह टाल गए।
सड़क में लग रहे जाम से लोग परेशान
सोन नदी की अगोरी बालू साइड पर पांच खंडों में बालू के टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। अगोरी खास खण्ड (Agori Khas Khand) एक का पट्टा चंद्रशेखर चौरसिया, खण्ड दो का पट्टा मल्होत्रा ब्रदर्स, खंड तीन का ट्टा न्यू इंडिया मिनरल्स के नाम से जारी किया गया है। चौथे खंड को भी पट्टा आवंटित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। वहीं, पांचवें की अंतिम चरण में है।
इन बालू साइडों पर निर्धारित सीमा से अधिक बालू लोड करने की शिकायत तो चर्चा में है ही, बालू लोड करने पहुंच रहे ट्रकों के आड़े तिरछे खड़े करने से लग रहे जाम भी लोगों की परेशानी का कारण बने हुए हैं। इस बीच अब बालू साइडों पर विवाद की भी स्थिति बनने लगी है। डीएम से की गई शिकायत में भी बिना कांटा बालू लोडिंग खनन का जिक्र किया गया है। खंड चार पर बगैर कांटा स्थापित किए बालू खनन की शिकायतें भी मिलनी शुरू हो गई हैं। इसको लेकर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।
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