Sonbhadra News: पावर कैपिटल के हेड क्वार्टर पर पावर कट की स्थिति, 8 घंटे से बिजली गायब, शहर में छाया अंधेरा
सोनभद्र के जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज शहर पर मंडराया पावर कट का संकट
Sonbhadra News: रोजाना 10,000 मेगावाट से अधिक बिजली पैदा करने की क्षमता रखने के कारण उत्तर प्रदेश के पावर कैपिटल (Power Capital) के रूप में पहचान रखने वाले सोनभद्र के जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज शहर पर पावर कट (power cut) की स्थिति बनी हुई है। दोपहर एक बजे के करीब गायब हुई बिजली रात साढ़े नौ बजे तक नमूदार नहीं हो सकी है। इससे जहां बिजली से जुड़े धंधे और कामकाज प्रभावित रहे। वहीं रात गहराते ही अधिकांश घरों के इनवर्टरों के जवाब देने से करीब-करीब पूरे शहर में अंधेरे की स्थिति बन गई। लोग मोमबत्ती के सहारे घर में रोशनी कर बिजली के इंतजार में गलियों और छतों पर टहलते रहे।
जिला मुख्यालय पर बिजली आपूर्ति (bijali aapurti thup) देने वाले छपका विद्युत सब स्टेशन (Chhapka Electricity Sub Station) और हाइडिल विद्युत सब स्टेशन का फोन इंगेज मिलता रहा। अधिकांश अधिकारियों के फोन पर नाट रिचेबल का जवाब मिलता रहा। वहीं एसडीओ लोगों को जल्द बिजली आ जाने का दिलासा देते रहे। कोयला संकट के चलते जहां उत्तर प्रदेश पिछले कई दिनों से बिजली की कमी से जूझ रहा है। वहीं दशहरे के अगले दिन ही, प्रदेश की आधी बिजली की जरूरत पूरी करने वाले सोनभद्र के जिला मुख्यालय पर आठ घंटे से भी अधिक समय से गायब बिजली ने लोगों को तड़पा कर रख दिया है।
एक तरफ जहां उमस और मच्छरों की भरमार लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई है। वहीं इनवर्टरों के भी जवाब देने से हायतौबा की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बिजली विभाग के लोग पहले शाम तक बिजली आपूर्ति शुरू हो जाने का दिलासा देते रहे। लेकिन जैसे-जैसे रात गहराने लगी वैसे-वैसे उनके मोबाइल फोन नॉट रिजेबल और बिजी होने शुरू हो गए। वितरण निगम के साथ ही ट्रांसमिशन निगम के भी लोग फोन उठाने से परहेज करते रहे। जिले में हाईटेंशन लाइन की आपूर्ति की स्थिति देख रहे लोगों के फोन के रिंग बजती रही। लेकिन फोन नहीं उठा।
इससे परेशान नगर के लोग एक दूसरे को फोन कर बिजली आएगी भी या नहीं? इसकी जानकारी लेने में लगे रहे। लेकिन उप केंद्रों के कंट्रोल रूम के नंबर इंगेज होने और विद्युत वितरण निगम के अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों के फोन नॉट रिचेबल, स्विच्ड ऑफ आने से बिजली कटने का कारण और बिजली आने की स्थिति के बारे में जानकारी न मिलने से लोगों की बेचैनी बढ़ी रही।
कई लोग ऐसे भी थे, जो अंधेरे में बैठकर बिजली की बाट जोहते रहे। बता दें कि कोयला संकट ने प्रदेश के 17 बिजली घरों में क्रिटिकल हालात बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार की देर शाम पीक आवर में प्राइवेट सेक्टर की चार परियोजनाओं से राज्य को एक यूनिट भी बिजली नहीं मिली। वहीं पीक आवर में बिजली की मांग 19000 मेगावाट के मुकाबले राज्य स्तर और प्राइवेट सेक्टर से प्रदेश को 9000 मेगावाट के इर्द-गिर्द ही बिजली उपलब्ध हो सकी।
शेष की जरूरत केंद्र सेक्टर के करार वाली परियोजनाओं से बिजली लेकर और केंद्रीय पुल से बिजली खरीद कर पूरी की गई। उधर सोनभद्र के जिला मुख्यालय पर बिजली गायब होने के बारे में अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र यादव से बात की गई तो उन्होंने बिजली गुल होने की जानकारी से अनभिज्ञता जताई। वहीं उपखंड अधिकारी का कहना था कि 33 केवीए लाइन से ब्रेकडाउन है। रात 9:30 बजे तक बिजली उपलब्ध हो जाने की उम्मीद है लेकिन बताए गए समय के बाद भी, समाचार दिए जाने तक बिजली नहीं आ सकी थी।