यहां पानी की किल्लत, परेशान ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
पानी पर किसी कवि की यह रचना बुंदेलखंड के जिला हमीरपुर के गौरवशाली इतिहास का बोध कराती है। लेकिन आज जब हम बुंदेलखंड के लोगों की जीवनचर्या....
बुंदेलों की सुनो कहानी, बुंदेलों की बानी में।
पानीदार यहाँ का पानी, आग यहाँ के पानी में।।
बुंदेलखंड: पानी पर किसी कवि की यह रचना बुंदेलखंड के जिला हमीरपुर के गौरवशाली इतिहास का बोध कराती है। लेकिन आज जब हम बुंदेलखंड के लोगों की जीवनचर्या पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि बुंदेलखंड की एक बड़ी आबादी हर रोज पीने के पानी की जद्दोजहद में अपनी जिंदगी काटने को मजबूर है।
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राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र, ऐतिहासिक रूप से बेहद गौरवशाली इतिहास समेटे बुंदेलखंड का क्षेत्र आज पीने और सिचाई के पानी के भयानक संकट का सामना कर रहा है। पानी की क़िल्लत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कहीं ऐसे गाँव हैं जहाँ लोग अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते तो कहीं हालात इतने खराब हैं कि लोग अपना घरबार छोड़कर पलायन कर चुके हैं। इन सबके बीच बुंदेलखंड को पानी उपलब्ध कराने की सारी कोशिशें विफल साबित हुई हैं।
पेयजल के लिए करना पड़ता है संघर्ष
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में 7 जिले झाँसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा और महोबा हैं। इन सभी जिलों के साथ गौरवशाली इतिहास की अलग-अलग कहानियां जुडी हैं लेकिन वर्तमान में हर जगह के लोग एक ही तरह के संकट का सामना कर रहे हैं। वह संकट है पीने का पानी। बुवाई के समय में इस क्षेत्र के लोग सिचाई और पलेवा के लिए पानी की जद्दोजहद करते दिखाई देते हैं लेकिन जब महीना अप्रैल और मई का शुरू होता है तो बुंदेलखंड के ग्रामीण-कस्बाई क्षेत्रों में पीने के पानी के लिए हाहाकार मच जाता है।
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नगरीय क्षेत्र के लोग भी पीने के पानी के लिए भयानक संघर्ष करते दिखाई देते हैं। भूगर्भ जल का खतरनाक स्तर बुन्देलखण्ड के हमीरपुर जिले के दर्जनों गाँवो में पानी कि समस्या इस कद्र शुरू हो जाती है कि यहाँ के लोग अपना सारा काम भूल कर एक एक बूंद पानी कि तलाश में लग जाते है चाहे वह बच्चे हो या जवान या फिर बुजुर्ग सभी लोग सूरज कि तपती धुप में बूंद बूंद पानी कि खोज में यहाँ वहा धूमते नजर आते है उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बुंदेलखंड के लोगो को करोडो की पेय जल की योजना भी यहाँ के प्यासे लोगो कि प्यास बुझाने में सफल नहीं हो पा रही है।
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वैसे तो आम तौर पर लोगो की जिंदगी की शुरुआत सूरज की पहली किरण के साथ चाय व् नाश्ते से होती है लेकिन बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के दर्जनों गांव के लोगो की सुबह हाथ में खली वर्तन लिए अपनी और अपने परिवार की प्यास की आग को बुझाने के लिए पानी की तलाश से शुरू होती है। क्योंकि गर्मी शुरू होते ही यहाँ के तालाब, कुएं, हेंड पम्प का पानी सुख जाता है जिससे जिंदगी की सबसे बड़ी जरुरत पानी की भयावय समस्या से यहाँ के लोगोँ को जूझना पड़ता है।
जल क्रान्ति होने की संभावना
हमीरपुर जनपद की मौदहा कोतवाली क्षेत्र के बांदा और महोबा जनपद की सीमाओं से जुडे गांवो मे पानी की घोर समस्या उत्पन्न हो गई है, जिसके चलते शीध्र ही जल क्रान्ति होने की संभावना है। मामला जनपद हमीरपुर के बांदा और महोबा की सीमा से लगे गांव करहय्या सहित कई गांवों का है, वैसे भी बुण्देली धरती अपनी चडियल चटटानो के लिए प्रसिद्ध है, जहां पर गर्मी में हमेशा भीषण पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है और हर साल सरकार पेयजल समस्या को दूर करने के लिए बड़े -बड़े दावे करती है।
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ग्रामीणों ने आंदोलन करने की दी चेतावनी
आज कस्बे के तहसील कार्यालय में एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने तहसीलदार रामानुज शुक्ला को ज्ञापन देकर शीध्र समस्या का हल नहीं होने पर आंदोलन के साथ ही अनशन करने की चेतावनी दी, और तहसीलदार से लेकर मुख्यमंत्री तक आला अधिकारियों को पत्र द्वारा अपनी समस्या से अवगत कराया, हालांकि बुंदेली धरती पर ऐसा मामला नया नहीं है और अधिकारियों द्वारा आश्वासन की घुटटी पिला कर मामला शांत कर दिया जाता है।
रिपोर्ट: रविंद्र सिंह
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