क्या होगा मनसे का रंग?

Update: 2020-01-21 15:54 GMT

मुंबई। क्या मनसे भगवा रंग में रंगने और रमने वाली है ? यह सवाल महाराष्ट्र के मीडिया गलियारों में कई दिनों से तैर रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का प्रचार तंत्र "महाराष्ट्र धर्म" पर विचार करने की बात कह रहा है। नई लड़ाई का मुहूर्त आ गया है, नए प्रारम्भ के लिए, चलें शिवाजी की ओर। महाराष्ट्र धर्म के विचार को शिवाजी से जोड़ते हुए, हिन्दू स्वराज्य का निर्धारण की बात कर रहा है मनसे प्रचारतंत्र। और राज्यव्यापी सम्मेलन के माध्यम कुछ न कुछ नया तो कहने जा ही रही है मनसे।

मनसे का मुंबई में राज्यव्यापी सम्मेलन

23 जनवरी का दिन महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। 2019 के विधानसभा चुनावों में धुल चुकी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पुनर्वापसी की ओर बढ़ सकती है। आज मुंबई में Newstrack इस खबर पर बना रहा और खबरों की खबर निकालने के लिए हमने मुलाकात की मनसे, महासचिव संदीप देशपांडे एवं कई अन्य वरिष्ट नेताओं से।

23 जनवरी को गोरेगाँव में होने वाले पहले राज्यव्यापी सम्मेलन के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अपने चेहरे, अपनी छवि में आमूल चूल परिवर्तन ला सकती है। पूरे दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में राज ठाकरे सुबह से ही उपस्थित रहेंगे और शाम पाँच से छह के बीच में उनका भाषण होगा। सुबह नौ बजे कार्यक्रम का शुभारम्भ राज ठाकरे करेंगे और उसके बाद दिन भर मनसे के वरिष्ट नेता मंच से अपने विचार साझा करेंगे। सम्पूर्ण महाराष्ट्र से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सैनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इकठ्ठा हो रहे हैं। कार्यक्रम में महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति एवं पार्टी की भविष्य की नीतियों पर चर्चा होगी। मनसे का एक एक कार्यकर्ता एकदम व्यस्त नजर आ रहा है। और तैयारी ऐसी ही है, कि जिससे स्पष्ट रूप से समझ में आ रहा है कि यह सम्मलेन अत्यंत महत्वूर्ण है और मनसे कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है।

मनसे महासचिव से Newstrack की बात

 

संदीप देशपांडे ने मीडिया द्वारा लगाई जा रही अटकलों, झंडे के भगवाकरण पर तो मुस्कुरा कर बस इतना ही कहा, क्या होने वाला है, यह राज साहेब 23 जनवरी को खुद ही बतायेंगे और दिखायेंगे। लेकिन जब महाराष्ट्र धर्म के विचार और हिन्दू स्वराज्य के निर्धारण की बात पूछी गई, तो वे तपाक से बोले राज साहेब ने हमेशा महाराष्ट्र धर्म निभाया है और वे हमेशा हिन्दू धर्म के रक्षार्थ खड़े रहे हैं। राज साहेब अन्य पार्टियों और नेताओं की तरह सिर्फ बातें नहीं करते हैं। वो करके दिखाते हैं।

याद कीजिये 11 अगस्त, 2012 में "रजा अकादमी" के कार्यक्रम के दौरान जब आजाद मैदान में हिंसा हुई थी, तब राज साहेब ने ही सबसे पहले इस घटना की निंदा की थी। बाकी नेता और पार्टियाँ वोट बैंक के मूल्यांकन में लगे रह गए थे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार, महाराष्ट्र पुलिस तक को नहीं बचा पाई थी। उन्मादी भीड़ ने उन पर तक गुस्सा निकाला था। क्या ऐसा संभव है कि एक मैदान में इकठ्ठा भीड़ महाराष्ट्र पुलिस पर भारी पड़ जाय। अगर समय रहते पुलिस को आदेश मिल गया होता तो महाराष्ट्र पुलिस को "आजाद मैदान" पर कविता न लिखनी पड़ती। उन्मादी भीड़ दर्द भरे नगमे लिख रही होती।

संदीप देशपांडे यहाँ उस महिला ट्रैफिक पुलिस की कविता "आजाद मैदान" का जिक्र कर रहे थे, जो उसी दिन शाम को किसी न्यूज़ चैनल पर पढ़ी गई थी और वायरल हो गई थी। वैसे 2012 के लिए वायरल शब्द कम उपयुक्त होगा, लेकिन हाँ वह कविता बहुत लोकप्रिय हुई थी और ख़बरों में खूब चली थी।

संदीप आगे कहते चले जाते हैं, जब गणेश उत्सव या दही हांडी के खिलाफ कोर्ट के आदेश आते हैं, तब भी राज साहेब सबसे पहले मुखर होते हैं। राज साहेब हिन्दुओं या महाराष्ट्र के खिलाफ कुछ हो जाय तो चुप बैठ ही नहीं सकते।

क्या कहता है मनसे का अतिसक्रिय प्रचारतंत्र

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का प्रचार तंत्र इन दिनों अतिसक्रिय नजर आ रहा है। यह कार्यक्रम ऐतिहासिक बताते हुए प्रचारित किया जा रहा है। काफी समय के बाद एमएनएस के प्रचार तंत्र में इस प्रकार की आक्रामकता देखी गई है। जैसी की सूत्रों के हवाले से पहले से ही ख़बरें आ रही हैं कि इस सम्मलेन से पार्टी एक नई दिशा पकड़ सकती है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नए झण्डे की भी बात मीडिया गलियारों में सुनी जा रही है। पार्टी का नया भगवा झण्डा भगवा रंग में शिवाजी की राजमुद्रा के साथ होगा या शिवाजी के चित्र के साथ यह राज भी उस दिन राज ठाकरे खोल सकते हैं। पार्टी की नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत मिल रहे हैं । पार्टी प्रचार साधनों पर भगवा रंग प्रमुखता ले चुका है, जो कि आज तक तिरंगा (नीला, भगवा और हरा) रहा करता था। यह सब कुछ क्या रंग लेने वाला है 23 जनवरी देर शाम तक साफ़ हो जाएगा।

मनसे की शिवसेना पर आक्रामकता

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अब ऐसा लग रहा है कि शिवसेना के खिलाफ आक्रामक भी हो सकती है। क्योंकि कॉंग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना का जाना बहुत से कार्यकर्ताओं एवं मराठी मानुसों को नागवार गुजर रहा है। शिवसेना का यह कदम शिवसेना के वोट बैंक में निश्चित रूप से सेंध लगाने वाला हो सकता है। कम से कम उन लोगों पर तो असर पड़ ही रहा है, जिन्होंने बाला साहेब को देखा हुआ है। ऐसा बहुत से शिवसैनिकों से बात करने के बाद ही कह रहे हैं हम। युवाओं पर इस गठजोड़ का असर हुआ है या नहीं, पता नहीं पर 45 + के शिवसैनिक इस फैसले दिग्भ्रमित दिख रहे हैं।

राज ठाकरे ने पकड़ी नब्ज़

शायद इसी दुखती रग को राज ठाकरे ने टटोल लिया है और उस पर ही वे वार कर सकते हैं। शिवसेना भवन के ठीक सामने मनसे का भगवा बिलबोर्ड जिस पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ था, "सत्ता की खातिर 1760, महाराष्ट्र धर्म के लिए बस एक सम्राट" सीधी चुनौती देने जैसा था। और उस बिलबोर्ड से आगे के राज जल्द खुलेंगे जब राज ठाकरे 23 जनवरी की शाम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सैनिकों को सम्बोधित करेंगे।

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