Kalki Dham: कौन है कैलादेवी और बूढ़े बाबा, जिनका पीएम मोदी ने संभल में लगाया जयकारा
Kalki Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संभल जिले में भगवान कल्कि मंदिर का शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने जनमानस को सम्बोधित किया तो सबसे पहले उन्होंने कैला देवी और बूढ़े बाबा की जयकार लगायी।;
PM Modi cheered in kalki dham Sambhal source: social media
Kalki Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संभल जिले में भगवान कल्कि मंदिर का शिलान्यास किया। इस मंदिर का निर्माण कल्कि पीठ करवा रहा है। भगवान कल्कि को विष्णु का आखिरी अवतार कहा जाता है। पुराणों के अनुसार मान्यता है कि कलयुग के आखिर में जब धरती पर पाप चरम पर होगा और धर्म पर संकट आएगा तब भगवान अवतार लेंगे। पीएम मोदी कल्कि धाम के शिलान्यास के साथ ही उसकी खासियतों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कल्कि धाम आस्था के केंद्र के रूप में सामने आया है। शिलान्यास के बाद जब पीएम मोदी ने जनमानस को सम्बोधित किया तो सबसे पहले उन्होंने कैला देवी और बूढ़े बाबा की जयकार लगायी। इसके बाद तो पूरा कार्यक्रम इस जयकारे के साथ गूंजने लगा। आखिर कौन है कैला देवी और बूढ़े बाबा आइये जानते हैं।
करौली में स्थित कैला देवी मंदिर source: social media
यदुवंश की देवी हैं कैला
राजस्थान के करौली में स्थित कैला देवी मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। कैला देवी मंदिर उत्तर भारत के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिरों में से एक माना जाता है। यहाँ प्रतिदिन भक्तों की भारी भीड़ जमा रहती है, जो अपनी मनोकामनाओं को लेकर यहाँ आते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है केला देवी का सम्बन्ध सीधे भगवान श्री कृष्ण से है। असल में जब माता देवकी के भाई कंस को पता चला की उनकी बहन की आठवीं संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। तो वह एक-एक करके माता देवकी और पिता वासुदेव की सभी संतानों को मार देता है। लेकिन जब आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीं कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव उसे गोकुल में नन्द और यशोदा के घर में छोड़ आते है और उनकी बेटी को अपने साथ ले आते है। जैसे ही कंस को पता चलता है की देवकी की आठवीं संतान ने जन्म ले लिया है। वह उसे भी ख़त्म करने के लिए आ जाता है। जैसे ही वह उसे ख़त्म करने लगता है तभी वह बच्ची देवी का रूप धारण कर के आकाश की ओर चली जाती है और भविष्यवाणी करती है की उसके काल ने जन्म ले लिया है। जो उसकी मृत्यु का कारण बनेगा और वो इस समय सुरक्षित स्थान पर है। यह कहते ही वह अंतर्ध्यान हो जाती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार इसके बाद देवी विंध्य पर्वत पर विंध्यवासिनी देवी के रूप में निवास करने लगीं। एक अन्य मत है कि कंस से छूटकर देवी राजस्थान में कैला देवी के रूप में विराजमान हुईं।
सारंगपुर में बूढ़े बाबा का मंदिर source: social media
सम्भल में है बूढ़े बाबा का मंदिर
संभल के असमोली और रजपुरा क्षेत्र के सिरसा और कैलादेवी क्षेत्र के गांव सारंगपुर में बूढ़े बाबा का मंदिर स्थित है। यहां हर साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि बूढ़े बाबा के मंदिर में पूजा करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। इसी मान्यता के आधार पर जिले में बूढ़े बाबा के मंदिरों पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। जनवरी माह में यहां पर खूब भीड़ उमड़ती है और महिला, पुरूष, और बच्चे मंदिर पर पहुंचकर वहां उपस्थित तालाब में स्नान करते हैं। इसके बाद वे घर से लाये हुए सात प्रकार के अनाज को परिक्रमा करते हुए चढ़ाते हैं। इसके बाद सभी श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार प्रसाद चढ़ाते हैं और दान देते हैं।
हजारों वर्षों की रूपरेखा है कल्कि धाम
पीएम मोदी ने कल्कि धाम के बारे में और भी कई बातें कहीं। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि भगवान राम के समान ही कल्कि अवतार भी हजारों साल की रूपरेखा का निर्धारण करेगा। उन्होंने यह भी कहा हैं कि कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रेरक और प्रेरणास्रोत हैं। आज भारत पूरे विश्व के सामने उदाहरण पेश कर रहा है। भारत के नागरिक किसी भी विश्व के कोने में हो, वह अपने आप पर गौरव महसूस करता हैं। देश में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का ज्वार अद्भुत है, इसलिए हमारी शक्ति अनंत है और हमारे लिए संभावनाएं भी अपार हैं।